आखिरत के दिन पर विश्वास

आखिरत

संसारिक जीवन के समाप्त होने के बाद पारलोकिक जीवन में प्रवेश होने पर पुख्ता और कठोर आस्था रखना ही आखिरत के दिन पर विश्वास को शामिल है। आखिरत के दिन का आरम्भ मनुष्य की मृत्यु से हो कर , क़ियामत के आने, फिर क़ब्र से उठाऐ जाने, हश्र के मैदान में जमा होने ,ह़िसाब का होना, पुल सिरात़ से गुज़रना और जन्नत या जह़न्नम में प्रवेश होने का नाम है।
अल्लाह तआला मख्लूक (प्रति वस्तु) को व्यर्थ और बेफायदा पैदा नहीं किया है। बल्कि एक लक्ष्य के लिए रचना किया है और मृत्यु के बाद दोबारा उसे उठाएगा और उस व्यक्ति का जैसा कर्म होगा, उसी के अनुसार पुरस्कार या डंडित करेगा। आखिरत के दिन को अल्लाह ने क़ुरआन में विभिन्न नामों से ज़िक्र किया है। क़ियामत का दिन, क़ारिआ ( खड़ खड़ा देने वाली) , ह़िसाब का दिन, बद्ले का दिन, आफत और संकट, पीड़ित करने वाली, कान बह्रा कर देने वाली, छुपा लेने वाली, आदि

क़ियामत कब प्रकट होगी

वास्तविक्ता है कि क़ियामत के प्रकट होने का ज्ञात किसी को नहीं है। जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है।

 “ يسئلونك عن الساعة أيان مرساها- قل إنما علمها عند ربي – لا يجليها لوقتها إلا هو – ثقلت في السموات والأرض – لاتأتيكم إلا بغتة – يسئلونك كأنك حفيَ عنها – قل إنما علمها عند الله ولكن أكثر الناس لا يعلمون  ” (الأعراف: 187)

इस आयत का अर्थातः यह लोग आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से क़यामत के बारे में प्रश्न करते हैं कि वह कब आयेगी। आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कह दीजिए कि इस का इल्म केवल मेरे रब के पास ही है। इस को इस के वक्त पर सिवाए अल्लाह के कोइ दूसरा ज़ाहिर नहीं करेगा, वह आकाशों और धरती की बहुत बड़ी ( घटना) होगी, वह तुम पर अचानक आ पड़ेगी , वह आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से इस तरह प्रश्न करते हैं जैसा कि आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) उस की खोज कर चुके हैं। आप कह दीजिए कि उस का इल्म खास तौर से अल्लाह ही के पास है। परन्तु ज्यादातर लोग नहीं जानते।   (सूरः अल-आराफः 187)

 प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के कथन से भी प्रामाणित है। जब जिब्रील (अलैहिस्सलाम) ने आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से प्रश्न किया, क़यामत कब प्रकट होगी ? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने उत्तर दिया कि ” इस का ज्ञान न मुझे है और न ही तुम्हें ” परन्तु क़यामत प्रकट होने से पुर्व कुछ छोटी और कुछ बड़ी चिह्न प्रकट होंगी, इस के बाद ही क़यामत प्रकट होगी।

सामान्यता- छोटी निशानियाँ

क़ियामत के आने से एक लम्बी अवधि पूर्व घटित होंगीं जिन में से कुछ निशानियाँ प्रकट हो चुकी हैं और निरंतर प्रकट हो रही हैं और कुछ चिह्न कुछ अभी तक अस्तित्व में नहीं आई हैं किन्तु वे प्रकट होंगी जैसाकि प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इसकी सूचना दी हैं।
क़ियामत की छोटी चिह्न बहुत हैं और बहुत सारी सही हदीसों में उनका वर्णन आया है।
उन में से कुछ निम्नलिखित हैं:

क़ियामत की छोटी निशानियाँ
1- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का नबी बनाकर भेजा जाना।  
2- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का देहांत होना।  
3-  बैतुल मक्दिस की विजय।  
4- फित्नों (उपद्रव) का प्रकट होना हैं, उसमान (रज़ियल्लाहु अन्हु) की हत्या, उन्हीं में से इस्लाम के प्रारंभिक युग में उत्पन्न होने वाले फित्ने ,  जमल और सिफ्फीन की लड़ाई, खवारिज का प्रकट होना, हर्रा की लड़ाई और क़ुर्आन को मख्लूक़ कहने का फित्ना।
5-   नबी (ईश्दूत) होने का दावा करने वालों का प्रकट होना, उन्हीं नुबुव्वत (ईश्दूतत्व) के दावेदारों में से मुसैलमा कज़्ज़ाब” और “अस्वद अंसी” हैं।  
6-  हिजाज़ (मक्का और मदीना के क्षेत्र को हिजाज़ कहा जाता है) से आग का प्रकट होना (हिज्री वर्ष 654 के मध्य में यह आग सातवीं शताब्दी में प्रकट हुई थी और यह एक बड़ी आग थी, इस आग के निकलने के समय मौजूद तथा उसके पश्चात के उलमा ने इसका विस्तार से वर्णन किया है, इमाम नववी फरमाते हैं कि “हमारे ज़माने में वर्ष 654 हिज्री में मदीना में एक आग निकली। यह मदीना के पूरबी छोर पर हर्रा के पीछे एक बहुत बड़ी आग थी। पूरे शाम (सीरिया) और अन्य सभी नगरों में निरंतर लोगों को इसका ज्ञान हुआ तथा मदीना वालों में से जो उस समय उपस्थित थे उन्हों ने मुझे इसकी सूचना दी।”
7- अमानत का खत्म होना और अमानत को नाश करने का एक रूप लोगों के मामलों की बागडोर को ऐसे अक्षम और अयोग्य लागों के हवाले कर देना है जो उसको चलाने की क्षमता और योग्यता नहीं रखते हैं।
8- ज्ञान का उठा लिया जाना और अज्ञानता का प्रकट होना और ज्ञान का उठना उलमा (ज्ञानियों) के देहांत के कारण होगा, जैसाकि सही बुखारी और सही मुस्लिम में इसका वर्णन आया।
9- व्यभिचार (ज़िनाकारी) का प्रचलन होना ।  
10- सूद (व्याज) का प्रचलन होना ।  
11- शराब (मदिरा) पीने की बहुतायत।  
12- बकरियों के चराने वालों का भवनों में गर्व करना।  
13- लौंडी का अपने मालिक को जन्म देना जैसाकि सही बुखारी एंव मुस्लिम में यह हदीस प्रमाणित है। इस हदीस के अर्थ के बारे में विद्वानों के कई कथन हैं, हाफिज़ इब्ने हजर ने इस अर्थ को चयन किया है  कि बच्चों में माता-पिता की अवज्ञाकारी की बहुतायत हो जायेगी, चुनाँचि बेटा अपनी माँ से इस प्रकार व्यवहार करेगा जिस तरह लौंडी का मालिक अपनी लौंडी से अपमानजनक और गाली गलोज के साथ व्यवहार करता है।
14- झूठी गवाही की बहुतायत और सच्ची गवाही को छुपाना।  
15- हत्या (क़त्ल) की बाहुल्यता।  
16- भूकम्पों का अधिक आना।  
17-  रूमियों की संख्या का अधिक होना और उनका मुसलमानों से लड़ाई करना।  
18- कपड़े पहनने के उपरांत नग्न दिखने वाली महिलाओं का प्रकट होना तथा स्त्री की संख्या का अधिक होना।  
19- फरात नदी से सोने के पहाड़ का प्रकट होना।  
20- दरिंदों और जमादात का मनुष्यों से बात-चीत करना।  
इस के सिवा भी कुछ छोटी निशानियाँ  हैं जो हदीसों से प्रामाणित हैं परन्तु विस्तार के डर से छोड़ दिया गया है।

 क़ियामत की बड़ी निशानियाँ :

(1)  धुँआ का प्रकट होना
(2)  दज्जाल का प्रकट होना
(3)  ईसा बिन मर्यम का उतरना
(4)  याजूज- माजूज का नकलना
(5) तीन बार धरती का धंसना : एक बार पूरब में धंसना (6) और एक बार पच्छिम में धंसना (7) और एक बार अरब द्वीप में धंसना।
(8) सूरज का पच्छिम से निकलना।
(9) चौपाया का निकलना और लोगों से बात-चीत करना।
(10) वह आग जो लोगों को उनके मह्शर (क़ियामत के दिन एकत्र होने के स्थान) की तरफ हाँक कर ले जायेगी।
ये निशानियाँ एक के पीछे एक प्रकट होंगी, जब इन में से पहली निशानी प्रकट होगी तो दूसरी उसके पीछे ही प्रकट होगी।

इमाम मुस्लिम ने हुज़ैफा बिन उसैद अल-ग़िफारी (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत किया है कि उन्हों ने कहा कि : नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हमारे पास आये और हम आपस में बात-चीत कर रहे थे, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने पूछा : तुम लोग क्या बात-चीत कर रहे हो ?, लोगों ने कहा: हम क़ियामत का स्मरण कर रहे हैं, आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमाया: क़ियामत नहीं आयेगी, यहाँ तक कि तुम उस से पहले दस निशानियाँ देख लो, चुनाँचि आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बताया कि: धुँआ , दज्जाल , चौपाया, सूरज का पच्छिम से निकलना, ईसा बिन मरियम का उतरना , याजूज माजूज , तीन बार धरती का धंसना: एक बार पूरब में धंसना और एक बार पच्छिम में धंसना और एक बार अरब द्वीप में धंसना और अंतिम निशानी वह आग होगी जो यमन से निकलेगी और लोगों को उनके मह्शर (क़ियामत के दिन एकत्र होने के स्थान) की तरफ खदेड़ कर ले जाये गी।” (   )

 इन निशानियों के क्रम तरतीब के बारे में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है।

सऊदी अरब के एक महान विद्वान मुहम्मद बिन सालेह अल-उसैमीन (रहिमहुल्लाह) से प्रश्न किया गया कि, क्या क़ियामत की बड़ी निशानियाँ क्रमानुसार प्रकट होंगी?   तो उन्हों ने जवाब दिया,  क़ियामत की बड़ी निशानियाँ कुछ तो क्रमबद्ध हैं और ज्ञात है और कुछ क्रमबद्ध नहीं हैं और उनके क्रम का कोई ज्ञान नहीं हैं, जो निशानियाँ क्रमबद्ध हैं , उनमें से ईसा बिन मर्यम का उतरना, याजूज माजूज का निकलना और दज्जाल है। क्योंकि (पहले) दज्जाल भेजा जायेगा फिर ईसा बिन मर्यम उतरेंगे और उसे क़त्ल करेंगे फिर याजूज माजूज निकलेंगे।

क़ियामत की यह ब़ड़ी-बड़ी निशानियाँ जब प्रकट होंगी तो क़ियामत निकट आ चुकी होंगी और अल्लाह तआला ने क़ियामत की कुछ निशानियाँ निर्धारित कर दी हैं क्योंकि यह एक महत्वपूर्ण घटना है जिसके घटित होने की निकटता पर चेतावनी देने की लोगों को आवश्यकता है।”

 फिर धरती पर एक भी अच्छा मनुष्य नहीं विशेष रहेगा तो अल्लाह तआला के आज्ञानुसार फरिश्ता इस्राफील (अलैहिस्सलाम) सूर (नरसिंगा) फुंकेंगे तो क़ियामत प्रकट होगी और सम्पूर्ण वस्तु नाश हो जाऐगी , खत्म हो जाऐगी जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है।

و نفخ في الصور فصعق من في السماوات ومن في الأرض إلا من شاء الله ثم نفخ فيه أخرى فإذا هم قيام ينظرون وأشرقت الأرض بنور ربها ووضع الكتاب وجاءي بالنبيين والشهداء وقضي بينهم بالحق وهم لايظلمون ووفيت كل نفس ما عملت وهو أعلم بما يفعلون ” [الزمر:68  

इस आयत का अर्थातः“  और उस दिन सूर (नरसिंघा) फूंका जाएगा और वह सब मर कर गिर जाऐंगे जो आकाशों और धरती में हैं। सिवाए उनके जिन्हें अल्लाह जीवित रखना चाहे, फिर दुसरा सूर (नरसिंघा) फूंका जाएगा और अचानक सब उठ कर देखने लगेंगे। धरती अपने रब के प्रकाश से चमक उठेगी , कर्म पत्रिका ला कर रख दी जाएगी, नबियों और सारे गवाहों को उपस्थित कर दीया जाएगा, लोगों के बीच ठीक ठीक हक के साथ न्याय किया जाएगा, उन पर कण्य भर अत्याचार न होगा, प्रत्येक जीव को जो भी उस ने कर्म किया था उसका पुरा पुरा बदला दिया जाएगा, लोग जो कुछ भी करते हैं अल्लाह उसको खूब जानता है।” (सूरः ज़ुमरः 68)

आखिरत के दिन( अन्तिम दिन) पर विश्वास तथा ईमान रखने से हमें कुच्छ लाभ प्राप्त होते हैं।

(1) अल्लाह की आज्ञाकारी की रूची का बढ़ना, क़ियामत के दिन के बदले के लिए ज्यादा से ज्यादा अच्छे काम करने के लिए उत्सव उत्पन्न होगा, इसी तरह अल्लाह के अज़ाब से भय उत्पन्न होगा और लोग बुराइ और खलत कार्य से दूर रहेंगे।
(2) दुनिया की नेमतें जिन मुस्लिम को प्राप्त न होई है और अल्लाह की इबादत करते हुए वह परसन्न है तो उस के लिए हार्दिक संतुष्टी है कि आखिरत में इस संसारिक नेमतों के बदले न खत्म होने वाली नेमतें दिया जाएगा।

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