21वीं शताब्दी, विकास और अंधविश्वास

 

अभी हम 21वीं शताब्दी से गुजर रहे हैं , यह शताब्दी अविष्कारों की शताब्दी कहलाती है , बुद्धि विवेक में प्रगति की शताब्दी कहलाती है , हर मैदान में विकास ही विकास दिखाई दे रहा है , परन्तु खेद की बात यह है कि इस शताब्दी में सभ्य और विकसित कहलाने वाले कुछ लोग ऐसा ऐसा काम करने लगे हैं जिसे सुनकर पशुओं की दुनिया याद आ जाती है

अभी हम 21वीं शताब्दी से गुजर रहे हैं , यह शताब्दी अविष्कारों की शताब्दी कहलाती है , बुद्धि विवेक में प्रगति की शताब्दी कहलाती है , हर मैदान में विकास ही विकास दिखाई दे रहा है , परन्तु खेद की बात यह है कि इस शताब्दी में सभ्य और विकसित कहलाने वाले कुछ लोग ऐसा ऐसा काम करने लगे हैं जिसे सुनकर पशुओं की दुनिया याद आ जाती है

अभी हम 21वीं शताब्दी से गुजर रहे हैं , यह शताब्दी अविष्कारों की शताब्दी कहलाती है , बुद्धि विवेक में प्रगति की शताब्दी कहलाती है , हर मैदान में विकास ही विकास दिखाई दे रहा है , परन्तु खेद की बात यह है कि इस शताब्दी में सभ्य और विकसित कहलाने वाले कुछ लोग ऐसा ऐसा काम करने लगे हैं जिसे सुनकर पशुओं की दुनिया याद आ जाती है , दिमाग चकराने लगता है और बार बार हमारे मन में यह सवाल उठता है कि समझ बुझ रखने के बावजूद लोग ऐसा क्यों कर रहे हैं….?  पिछले दिनों समाचार पत्रों के माध्यम से तीन ऐसी घटनायें नज़रों से गुज़रीं जिन्हें पढ़कर  आश्चर्यचकित रह गया.

पहली घटनाः एक व्यक्ति ने अपने सगे बेटे को जान से मार डाला क्योंकि किसी तांत्रिक ने उसे बताया था कि अगर उसने अपने बच्चे की हत्या कर दी तो वह बहुत जल्द धनवान बना जाएगा- यह घटना भारतीय राज्य असम की है।

दूसरी घटनाः एक बाप अपनी ही बेटी के साथ 9वर्ष तक बलात्कार करता रहा क्योंकि उसे तांत्रिक ने यह सुझाव दिया था कि अगर अपनी आर्थिक बदहाली दूर करना चाहते हो तो अपनी बेटियों को अपनी हवस का शिकार बनाओ. यही नहीं बल्कि उसने अपनी एक अन्य जवान बेटी को तांत्रिक के हवाले किया जो उसी के घर में उसकी बच्ची के साथ बलात्कार करता रहा. यह घटना मुंबई की है।

तीसरी घटनाः चार भाइयों ने रातों रात धन प्राप्त करने के चक्कर में तांत्रिकों के कहने पर मां की बेरहमी से हत्या कर दी. इन चारों भाइयों से किसी तांत्रिक ने यह कहा था कि उनके घर में खजाना मौजूद है … .लेकिन इसे प्राप्त करने के लिये अपनी माँ की बलि देनी होगी. आश्चर्य की बात यह है कि चारों भाई शिक्षित थे उनमें से एक MBA दूसरा इनजीनियर और बाकी दो बारहवीं कक्षा के छात्र थे . यह घटना भारतीय राजधानी दिल्ली की है।

  एक आम आदमी जब ऐसी घटनाओं को सुनता और पढ़ता है तो आश्चर्य में पड़ जाता है कि क्या आज भी इस धरती पर चलने फिरने वाले ऐसे लोग हैं जो प्रगतिशील कहलाने के बावजूद पशुओं के स्तर से नीचे जीवन बिता रहे हैं….लेकिन अगर यह घटनायें ऐसे समुदाय की ओर से सामने आयें जो 33 करोड़ देवताओं के सामने सर टेकता हो, हर कंकड़ को शंकर मानता हो और योनि तक को पूजता हो, तो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. क्योंकि जब एक व्यक्ति अपने वास्तविक निर्माता से बेवफाई कर सकता है और पंडितों और जोगियों को प्रभु का स्थान दे सकता है तो दैनिक जीवन में उनके आदेशों का पालन करने में क्यों कर झिझक महसूस करेगा।

यह एक कड़वी सच्चाई है कि आज तक हिन्दु समाज पर एक विशेष वर्ग ने ऐसा भय डाल रखा है कि ज्ञान और प्रगति के इस दौर में भी उनकी बातें पत्थर की लकीर मानी जाती हैं, यह जोगी और तांत्रिक जैसे चाहते हैं उनकी बुद्धि से खिलवाड़ करते हैं. और यह सब मात्र इस लिए हो रहा है कि उनका विश्वास सर्वशक्तिमान अल्लाह में नहीं है. यह सत्य है कि जब एक मनुष्य का संबंध अपने निर्माता से कट जाता है तो वह दर दर की ठोकरें खाता है, हर चीज़ से डरता है यहां तक कि अपनी छाया से भी डर खाता है , अपने ही जैसे व्यक्ति को लाभ और हानि का मालिक बना लेता है , उसके सामने सर टेकता है और अंधविश्वास के रंग में ऐसा रंग जाता है कि उसके अंदर से अच्छे और बुरे की तमीज़ मिट जाती है. वह मनुष्य के रूप में पशु बन जाता है….यहां तक ​​कि उसे यह भी एहसास नहीं रहता कि जॉन का महत्व क्या है और सम्मान क्या चीज़ है ? .

जब इस प्रकार की घटनाओं सामने आती हैं तो इस से हमारे ईमान में वृद्धि होती है कि हम जिस धर्म के मानने वाले हैं उसमें इस प्रकार के मिथकों के लिए कोई गुंजाइश नहीं क्योंकि उसकी शिक्षा शुद्ध एकेश्वरवाद पर आधारित है . इस लिए कि आज से चौदह सौ साल पहले मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मानवता के सामने जो संदेश पेश किया था उसका आधार इस बात पर था कि अल्लाह के अलावा कोई लाभ अथवा हानि का मालिक नहीं, उसी से मांगा जाए, उसी से लौ लगाया जाए, उसी को मुश्किल दूर करने वाला और आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाला समझा जाए।

प्रिय पाठको! यह तीन घटनायें जो हमने आपके समक्ष प्रस्तुत की हैं इनमें मूल रूप में एक ही बिंदु सामने आ रहा है और वह है धन और सम्पत्ति में वृद्धि की लालच, लेकिन चूंकि उनका ईमान अपने पैदा करने वाले की शक्ति पर था नहीं, इस लिए उन्हों ने समझा कि यह तांत्रिक ही हमारे भाग्य के मालिक हैं इस प्रकार अंधविश्वास में जो चाहा कर गुज़रे।

माल वैसे ही प्रलोभन और फसाद की जड़ है….जब माल से मुहब्बत दिल में पैदा होती है, तो मनुष्य के लिए हर प्रकार की सीमा को कूद जाना बहुत सरल हो जाता है , वैध और अवैध किसी चीज़ की परवाह नहीं करता, अल्लाह पर मजबूत ईमान ही उसे अपने दायरे में रखता है, बल्कि ईमान वालों के लिये भी धन को सबसे बड़ा प्रलोभन सिद्ध किया गया है, एक सही हदीस में आता है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः

  ما ذئبان جائعان أرسلا في غنمٍ بأفسد لها من حرص المرء على المال والشرف لدينه   رواه الترمذي 

“यदि दो भूखे भेड़िए एक बकरी पर छोड़ दिए जाएं तो वह बकरी को जितना हानि न पहुंचाएंगे उससे कहीं अधिक संपत्ति और पद की लालच मानव के दीन और धर्म को हानि पहुंचाती है”। ( तिर्मिज़ी )  इसी से आप अनुमान लगा सकते हैं कि जब माल ईमान वालों के लिये इतना खतरनाक है तो ऐसे लोगों का क्या हाल होगा जो अल्लाह पर विश्वास ही नहीं रखते।

यहीं पर हमें इस्लाम की महानता समझ में आती है, वह इस्लाम जो दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है, जो सारे मनुष्यों का मार्गदर्शन करने के  लिए आया है लेकिन दुनिया के अधिकांश लोग उसकी महानता को आज तक न समझ सके हैं।

प्रिय पाठक ! यह तो ऐसे लोगों का हाल है जिनका विश्वास सिरे से अल्लाह में नहीं होता लेकिन जो लोग अल्लाह पर ईमान रखते हैं वह भी ईमान की कमजोरी के कारण इस प्रकार के काम करते हुए देखाई देते हैं, आज भी हमारे समाज में अपशगुन बहुत हद तक पाया जाता है। परीक्षा में सफलता प्राप्त करनी हो, या मन पसंद शादी, पति को कब्जे में करना हो या दुश्मनों को विफल करना, हर काम के लिये जोगियों और ढ़ोंगे बाबाओं का सहारा लिया जाता है, नकली पीरों का सबसे ज़्यादा शिकार महिलाएं होती हैं, सच्ची बात यह है कि महिलायें पुरुषों की तुलना में अपशगुन कुछ अधिक ही लेती हैं, इस लिए ढोंगी भविष्यवक्ता उन्हें अपने चंगुल में फंसाने के लिये तरह तरह के नाटक करते हैं। और भोली भाली महिलाएं पति के खून पसीने की कमाई ऐसे ढ़ोंगियों के हवाले कर देती हैं हालांकि वास्तव में यह धोखा देने वाले होते हैं जिनका काम ही ठग कर धन कमाना होता है।

लगभग दस साल पहले की बात है एक बार कुछ महिलाओं के संगत मेरे रिश्तेदार की एक औरत ऐसे ही एक ढ़ोंगी बाबा के पास गई, उसे किसी तरह की शिकायत थी , ढ़ोंगी बाबा ने इलाज के रूप में उसे तावीज़ पहनने के लिए दिया, घर आई तो किसी ने उस से कहा कि ऐसा करना गलत है…. वह तुरंत तावीज़ लिये मेरे पास आई, मैंने आग्रह करके उस से वह तावीज़ लिया और उसके सामने ही खोला तो सब लोग देख कर आश्चर्यचकित रह गये कि उसमें वृक्ष के कुछ पत्ते हैं, कागज के टुकड़े हैं, कुछ घास है और मिट्टी है। यह देख कर महिला सिर पीट कर रह गई कि धोखा देकर कमीने ने मेरे पैसे ठग लिया।

इस लिए ऐसे ढ़ोंगों से कभी धोखा नहीं खाना चाहिए क्योंकि वे ईमान का सौदा तो करते ही हैं साधे लोगों से अच्छे पैसे भी ऐंठ लेते हैं, आज भी उनकी दुकान खूब चमक रही है . उनके बैनरों पर एक दृष्टी डाल लें

 ” इच्छाओं की पूर्ति के विशेषज्ञ …. पत्थर दिल महबूब एक इशारे पर पैरों के नीचे…. 24 घंटे सेवा, हर काम की गारंटी ”

यह और इस प्रकार के हजारों पोस्टर भारत और पाकिस्तान के छोटे बड़े शहरों के सड़कों पर अक्सर देखने को मिलेंगे।

यदि आपके मन में यह प्रश्न पैदा हो कि यह लोग मुसलमान होते हुए ऐसे ढ़ोंगों के पास क्यों जाते हैं तो इसका उत्तर यह है कि यह सारे कार्य हिंदु संस्कृति से प्रभाव के परिणामस्वरूप सामने आते हैं। वास्तव में उपमहाद्वीप के निवासियों ने इस्लाम स्वीकार तो कर लिया लेकिन हिंदू धर्म के कुछ अंश उनमें बाक़ी रह गये, आज कई ऐसे हिन्दुओं के रस्म मुस्लिम संस्कृति में आ चुके हैं जिनका इस्लाम से दूर का भी सम्बन्ध नहीं है, जैसे दहेज प्रथा,  बारात , लड़कियों को विरासत से वंचित रखना, शगुन लेना , जादू टोने करना आदि। (जारी है) 

Related Post