क़ुरआन में परिवर्तन क्यों सम्भव नहीं ?

q ईश्वर ने मानव मार्गदशर्न हेतु हर युग तथा हर देश में संदेष्टाओं को भेजा और उनके साथ धार्मिक ग्रन्थ भी अवतरित किया ताकि लोग उसके आदेशानुसार जीवन बिताएं परन्तु पहले के प्रत्येक धर्म तथा ग्रन्थ सीमित काल तक होते थे । बाद में आने वाले संदेष्टाओं के ग्रन्थ पहले आने वाले ग्रन्थ को निरस्त कर देते थे। ईश्वर ने सब से अंत में जबकि मानव बुद्धि विवेक ऊंची हो गई अन्तिम संदेष्टा ( कल्की अवतार जिनकी आज हिन्दू समाज में प्रतीक्षा हो रही है) को सातवीं शताब्दी में भेजा तथा उन पर अन्तिम ग्रन्थ क़ुरआन का अवतरण किया। इस धरती पर क़ुरआन के अतिरिक्त कोई धार्मिक ग्रन्थ अपनी वास्तविक रूप में शेष नहीं है चाहे तौरात हो या इंजील (बाईबल) जब कि क़ुरआन अन्तिम ग्रन्थ है तथा अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 कल्की अवतार हैं अतः आपका लाया हुआ धर्म भी अन्तिम धर्म है । अब प्रलय तक आने वाले सारे इनसानों को क़ुरआन के आदेशानुसार जीवन बिताना है। अब प्रश्न यह है कि क़ुरआन में परिवर्तन क्यों सम्भव नहीं ? तो उसका उत्तर यह है कि

(1) क़ुरआन का अवतरण एक चमत्कार के रूप में हुआ है अर्थात क़ुरआन को ईश्वर नें कल्कि अवतार के लिए चमत्कार के रुप में उतारा। चमत्कार का अर्थ यह है कि ईश्वर अपने संदेष्टाओं को उनकी ईश्दुतत्व के समर्थन के लिए चमत्कारियाँ देता था। मुहम्मद सल्ल0 के लिए क़ुरआन एक चमत्कार है । क़ुरआन में कहा गया है (सूरः बक़रा 2 – 23) यदि तुम क़ुरआन के सम्बन्ध में संदेह में पड़े हो तो उसके समान एक सूरः ही ले आओ यदि तुम सच्चे हो ) पर इतिहास साक्षी है कि आज तक कोई क़ुरआन के समान न एक टूकड़ा बना सका है और न बना सकता है।

(2) ईश्वर ने स्वयं इस ग्रन्थ की सुरक्षा का विशेष प्रबन्ध भी किया वह इस प्रकार कि उसे उतारते समय कहा ( मैंने क़ुरअन को अवतरित किया है तथा स्वयं हम ही उसकी सुरक्षा करने वाले हैं – सूरः हिज्र 9)

(3) कुरआन मुहम्मद सल्ल0 की वाणी नहीं बल्कि ईश्वर की वाणी है जो 23 वर्ष की अवधि में आवश्यकतानुसार अवतरित हुआ। उसने जब जब मुहम्मद सल्ल0 पर क़ुरआन को अवतरित किया मुहम्मद सल्ल0 ने अपने कातिबों (जिनकी संख्या 13 थी) से उसे लिखवा दिया फिर उसे स्वयं अपने साथियों को कंठस्त कराया । उसी प्रकार आकाशीय दूत जिब्रील अलै0 प्रति वर्ष रमज़ान के महीनें में आपके पास आते और क़ुरआन का दौरा करते थे । इस प्रकार लिपि तथा ह्रदय दोनों में कुरआन सुरक्षित हो गया।

(4) संसार के प्रत्येक ग्रन्थों में केवल क़ुरआन एक ऐसा ग्रन्थ है जिसको सब से ज्यादा पढा जाता है । सारी धरती पर बसने वाले लोगों में कहीं पर भी क़ुरआन के किसी एक शब्द में भी कोई परिवर्तन नहीं पाया जाता यहाँ तककि उसके अक्षर और शैली में भी कोई फर्क नहीं मिल सकता।

(5) यदि दुनिया के सारे ग्रन्थ जला दिए जायें तो उसके मानने वालों के लिए उनका दोबारा लिख लेना सम्भव नहीं क्योंकि उन्होंने उसे ह्रदय में सुरक्षित नहीं किया हुआ है यदि यदि काम क़ुरआन के साथ हो तो उसके कल ही हो कर हर देश में उसकी कितनी प्रतियाँ तैयार हो जाएंगी क्यों कि मुसलमानों के लाखों लोगों ने हर देश में उसे पूरा का पूरा कंठस्त किया हुआ है ।

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