इस्लाम की सुरक्षा के लिए हर युग में कुफ्र और शिर्क के वातावरण में परवरिश पाने वाले नव मुस्लिम पुरुषों एवं महिलाओं ने अद्भूत बलिदान दिया है और क़यामत की सुबह तक देते रहेंगे। ऐसा ही एक बलिदान दिया है ipc में दावती विभाग से जुड़े हमारे इब्राहीम भाई ने, जिन्हें इस्लाम स्वीकार करने के परिणाम स्वरूप अपने परिवार और बच्चों से कटना पड़ा, विभिन्न प्रकार की कठिनाइयां सहन कीं, और अब तक सहन करते आ रहे हैं, तो लिजीए उनके बलिदान की कहानी उन्हीं की ज़बानी प्रस्तुत है इस आशा के साथ कि यह कहानी आपको पसंद आएगी और इस से आप अपने जीवन के लिए कोई संदेश ले सकेंगे ( सफात आलम तैमी)