जब पति पत्नी एक साथ इस्लाम स्वीकार करें:
यदि पति और पत्नी दोंनों एक साथ इस्लाम स्वीकार करें तो दोनों अपने पुराने निकाह पर बाक़ी रहेंगे। उनका निकाह दोहराने की ज़रूरत नहीं है। हाँ कुछ स्थितियाँ इस से पृथक हैं जैसेः
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यदि वह अपनी किसी महरम से शादी कर रखा था, जैसे भांजी अथवा भतीजी आदि से उसकी शादी हुई थी जैसा कि आंध्र-प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में यह प्रथा प्रचलित है तो उनके इस्लाम स्वीकार करते ही पति पत्नी के बीच जुदाई डालना आवश्यक है।
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यदि उसने शादी में दो बहिनों को एकत्र किया था या पत्नी और उसकी फूफी तथा पत्नी और उसकी ख़ाला से शादी की थी तो दोनों में से किसी एक को तलाक़ देना आवश्यक होगा।
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यदि वह और उसकी पत्नियाँ इस्लाम स्वीकार करें जबकि उसके पास चार से अधिक पत्नियाँ हों तो सब को अपनी निकाह में बाक़ी रखना उसके लिए जाइज़ नहीं बल्कि उसके लिए अनिवार्य है कि चार का चयन कर के बाक़ी को तलाक़ दे दे।