मानव जीवन पर हज्ज का प्रभाव

हज्ज

हज्ज की यात्रा प्रेम और स्नेह की यात्रा है, इसके रास्ते में आदमी अपने रब के दरबार में जा रहा होता है. अपने अल्लाह के आदेश के आगे प्यार से सिर झुका देने का नाम हज्ज है। अब से चार हजार साल पहले हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने रब की आज्ञा के आगे सिर झुकाते हुए ऐसी ही एक यात्रा की थी. उन्होंने अल्लाह के आदेश के अनुसार अपनी पत्नी हाजरा रज़ियल्लाहु अन्हा और छोटे बच्चे इस्माईल अलैहिस्सलाम को मक्का के चट्यल मैदान में बसाया था. इसी सिर झुकाने की याद अब दुनिया भर से लाखों लोग मक्का आकर ताजा करते हैं।

यदि देखा जाए तो दुनिया के हर धर्म में कुछ ऐतिहाकिस स्थन एवं तिर्थ यात्रायें हैं जिनके मानने वाले उनका दर्शन करने के लिए दूर दूर से आते हैं, इस्लाम एक विश्वव्यापी धर्म है इसलिए उसने इस तिर्थ यात्रा को भी विश्वव्यापी रूप में प्रकट किया है। हज्ज एक तिर्थ यात्र ही है, इसका लाभ क्या है, अल्लाह तआला ने हज्ज की सार्वजनिक घोषणा करने का आदेश देते हुए कहाः ليشهدوا منافع لهم “ताकि वे लाभ दीखें जो यहाँ उनके लिए रखे गए हैं?”. कया फ़ाइदे रखे गए हैं हज्ज में ? हज्ज से मिलने वाले कुछ लाभ का वर्णन निम्न में किया जा रहा है।

दासता की भावना में प्रगतिः

सबसे पहले हज में दासता की भावना पूर्ण रूप में पैजा होती है। एक हाजी अल्लाह के लिए अपना घरबार छोड़ता है, यात्रा में हर प्रकार की परेशानियाँ सहन करता है, इस यात्रा में अधिकतर वह अल्लाह की याद में संलग्न रहता है, एहराम की दो चादरें पहनता है तो वह मौत को याद करता है, कफन को याद करता है, अब उसे एहसास होता है कि एक दिन ऐसे ही मुझे मरना है, मुझे लोग नहलाएँगे, कफन पहनाएंगे क़ब्र की गोद में सुला देंगे, अततः वह एक एक क्षण अल्लाह की याद में गुज़ारता है, इस तरह उसकी भावना बिल्कुल पाक और शुद्ध हो जाती है।

नैतिकता पर प्रशिक्षणः

हज्ज में अच्छे चरित्र पर एक हाजी की प्रशिक्षण होती है, वह धैर्य सीखता है, विवेक सीखता है, उसके अंदर सहनशालता पैदा होती है, माफ करने का जज्बा पैदा होता है, अल्लाह पाक ने कहाः

فَمَن فَرَضَ فِيهِنَّ الْحَجَّ فَلَا رَفَثَ وَلَا فُسُوقَ وَلَا جِدَالَ فِي الْحَجِّ ۗ 

 तो जो इनमें हज करने का निश्चय करे, को हज में न तो काम-वासना की बातें हो सकती है और न अवज्ञा और न लड़ाई-झगड़े की कोई बात। 

इस प्रकार हज्ज में एक व्यक्ति नैतिकता की शिक्षा ग्रहण करता है।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वातावरण का अनुभवः

 हज में एक हाजी मक्का की भूमि पर पहुंचकर वहां के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक वातावरण को अपने माथे की आँखों से देखता है. वह देखता है कि इसी भूमि पर हजारों साल पहले इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने परिवार को बसाया था, फिर काबा का निर्माण किया था और हज्ज की सार्वजनिक घोषणा की थी. वह देखता है कि मोहम्मद सल्ल. ने इसी जगह से दावत का आरम्भ किया था, और यहीं पर ईमान का अभूतपूर्व बलिदान दिया था. इस तरह उसके दिल में इस धरती के चप्पे चप्पे से प्रेम और स्नेह बैठ जाता है.

एकता और समानताः

हज्ज में विभिन्न देशों से मुसलमान आते हैं. कोई काला है तो कोई गोरा है, कोई अमीर है तो कोई गरीब है, कोई किसी पद पर आसीन है तो कोई उससे वंचित है. लेकिन हज के दौरान सारा भेद-भाव मिट जाता है. सबके शरीर में एक ही पोशाक होता है, सभी की ज़बान पर एक ही पुकार होती है, सब एक ही इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ते हैं. जहाँ भी जाना है सब एक साथ जाते हैं, जहां ठहरना होता है सब एक साथ ठहरते हैं. इस तरह हज्ज के अंदर पूरी दुनिया के मुसलमान खुद को एक परिवार के सदस्य के रूप में प्रकट करते हैं।

उसी तरह हज्ज एक विश्वव्यापी सभा है, इसमें दुनिया के कोने कोने से मुसलमान शामिल होते हैं. एक हाजी को दूसरे देश के यात्रियों से मिलने का अवसर मिलता है, इस तरह उन्हें यहां प्रशिक्षण मिलता है कि अपने जीवन को हमेशा एकता के साथ गुज़ारनी चाहिए।

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