ज़ुबान की असंख्य आपदाओं में से एक आपदा चुगली है, चुगली कहते हैं एक की बात दूसरे तक बिगाड़ पैदा करने के लिए पहंचाना। मानो चुगली का उद्देश्य होता है दो व्यक्तियों के बीच फूट डालना, जुदाई और मतभेद पैदा करना। यह ऐसी बीमारी है जिस से आज अधिकतर लोग पीड़ित हैं। इस वजह से समाज को बड़ा से बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है क्योंकि इस से विश्वासघात की स्थिति पैदा होती है, और आपस में रंजिश होती है, इसी चुग़ली के कारण एक दूसरे के घर बर्बाद हो जाते हैं, रिश्ते टूट जाते हैं। कितने घरों को इस आदत ने खराब कर दिया है, जीवन साथी को एक दूसरे से अलग कर दिया है, माता पिता से बच्चों को अलग कर दिया है, इस चुग़ली के आधार पर दोस्त दोस्त का शत्रु बन जाता है, बेटा बाप का, भाई भाई का दुश्मन बन जाता है, कई अपराध, झगड़े, हत्या, लड़ाई इसी चुग़ली का परिणाम होती हैं।
इसी लिए कुरआन और हादीस में चुग़ली की काफी निंदा की गई है और उसे बड़े बड़े गुनाहों में शुमार किया गया है। अल्लाह तआला का फरमान है:
وَيْلٌ لِّكُلِّ هُمَزَةٍ لُّمَزَةٍ ، الَّذِي جَمَعَ مَالًا وَعَدَّدَهُ – سورة لمزة: 1-2
तबाही है हर कचो के लगानेवाले, ऐब निकालनेवाले के लिए, जो माल जमा करता है और उसे गिन गिन कर रखता है। सूरः लुमज़ाः 1-2)
उसी तरह सूरतुल क़लम में अल्लाह ने कहाः
وَلَا تُطِعْ كُلَّ حَلَّافٍ مَّهِينٍ ، هَمَّازٍ مَّشَّاءٍ بِنَمِيمٍ – سورة القلم: 10-11
तुम किसी भी ऐसे व्यक्ति की बात न मानना जो बहुत क़समें खानेवाला, हीन है, (10) कचोके लगाता, चुग़लियाँ खाता फिरता है। (सूरः अल-क़लम 10-11)
सही बुखारी (216) और सही मुस्लिम (292) की रिवायत है, हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा का बयान है कि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दो का गुज़र मक्का या मदीना की दो क़ब्रों से हुआ, तो आपने सुना कि दो व्यक्तियों को उनकी क़ब्रों में अज़ाब हो रहा है। तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कहाः
إنهما ليُعَذَّبَانِ ، وَمَا يُعَذَّبَانِ فِي كَبِيرٍ ، ثُمَّ قَالَ : بَلَى ، كَانَ أَحَدُهُمَا لا يَسْتَتِرُ مِنْ بَوْلِهِ ، وَكَانَ الآخَرُ يَمْشِي بِالنَّمِيمَةِ – صحيح البخارى: 216، صحيح مسلم: 292
इन दोनों कब्र वालों को सजा हो रहा है और सजा भी किसी बड़ी बात पर नहीं हो रहा (जिस से बचना मुश्किल हो) उनमें से एक तो मूत्र के छींटों से नहीं बचता था और दूसरा चुग़ली खाता था।
सुनन अबी दाऊद की रिवायत है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया:
مَنْ كان لهُ وجْهانِ في الدنيا كان لهُ يومَ القيامةِ لِسانانِ من نارٍ – السلسلة الصحيحة 892
“जो दुनिया में दो चेहरे होंगे कल क़यामत के दिन उसे आग की दो ज़ुबान दी जाएगी “। (अस्सिलसिला अस्सहीहाः 892 ) और सही बुखारी की रिवायत में अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया
وتجِدونَ شرَّ النَّاسِ ذا الوجهينِ ، الَّذي يأتي هؤلاءِ بوجهٍ ، ويأتي هؤلاءِ بوجهٍ – صحيح البخاري: 3493
तुम )न्याय के दिन( लोगों में सबसे बुरा इंसान उसे पाओगे जो दो चेहरा वाला है जो एक के पास एक चेहरे के साथ और दूसरे के पास अगल चेहरे के साथ जाता है।
जी हाँ! यह है दो चेहरा वाला इंसान जो पाखंडी है, हर आदमी के मतलब की बात करता है, एक के पास जाकर उससे कुछ बोलता है, जबकि दूसरे के पास जाकर उसके कुछ और बोलता है, डबल स्टेंडर्ड का होता है, दो तरफा होता है।
सही मुस्लिम की रिवायत है अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह भी कहा:
لا يدخلُ الجنةَ نَمَّامٌ – صحيح مسلم: 105
चुगलखोर स्वर्ग में नहीं जाएगा।
अब आप के मन में यह सवाल पैदा हो सकता है कि एक आदमी चुग़ली क्यों खाता है, और इसका इलाज क्यों कर सम्भव है? तो इसकी एक वजह तो यह बनती है कि एक आदमी पर्यावरण और परिवार से प्रभावित होता है। घर में अगर माता-पिता किसी की बात एक दूसरे से नकल करते हैं तो जाहिर है कि घर के बच्चे उनकी नक़्क़ाली करेंगे। इसलिए अपने बच्चों को इस बुरी आदत से बचाने के लिए पहले माता-पिता को चाहिए कि वे किसी की चुगली न खायें, माँ को भी चाहिए कि वह बुआ, बाजी, मौसी और पड़ोसियों की शिकायतें अपने पति से न करें और पति भी पत्नी से दूसरों की चुगली न खाए क्योंकि अगर माँ बाप को चुग़ली की आदत होगी तो उनके बच्चे भी उनका अनुसरण करेंगे और इस बुरी आदत को उन से सीख लेंगे। कभी कोई बच्चा अपनी अम्मी, बहन या भाई की शिकायत बाप से करता है और चुगली खाता है तो इस अवसर पर पिता की जिम्मेदारी है कि तुरंत बच्चे को रोके और कहे कि चुग़ली खाना बुरा काम है, क्यों अम्मी की बात मेरे सामने बयान करते हो? मुझे अच्छा नहीं लगता कि तुम दूसरों की बातें मुझ से बयान करो, इसके बाद मैं कभी तुझे चुग़ली खाते हुए देखना नहीं चाहता।
कभी ईर्ष्या और दूसरों के लिए बुराई चाहना भी चुगली का कारण बनता है, जब एक आदमी किसी से जलता है तो वह सोचता है कि कैसे उसे बदनाम किया जाए, कैसे उसके व्यक्तित्व को आहत पहंचाया जाए, इसके लिए आसान रणनीति यह अपनाता है कि वह उसकी कोई बात उचकता है और दूसरे से बयान करने लगता है, इसका इलाज यह है कि उसे यह सोचना चाहिए कि अल्लाह किसी को कोई नेमत दिया है तो आखिर मैं उस से क्यों जलूं, अल्लाह ने फ़लाँ नेमत उसके लिए पसंद किया है और वह उसके पास रहने देना चाहता है तो मैं क्यों उसे नापसंद करूं, मानो ईर्ष्या करना अल्लाह के निर्णय से जलना है। और ईर्ष्या करने वाला अपनी ही आग में जलता है, हज़रत यूसुफ़अलैहिस्सलाम को उनके भाइयों ने ईर्ष्या से कुएं में डाल दिया था लेकिन अल्लाह ने यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की सुरक्षा की।
कभी कभी आदमी चुगली इस लिए खाता है कि वह अपने मैनेजर या किसी पद के मालिक की दृष्टि में अच्छा बनना चाहता है, आमतौर पर यह बीमारी कंपनियों में पाई जाती है, मनेजर से जो करीब होता है वह दूसरों की बातें उससे नकल करता रहता है। यह एक घटिया स्वभाव है, इससे छुटकारे का यह उपाय है कि उसे खुद को उस व्यक्ति की जगह पर रखकर देखना चाहिए जिसकी वह चुगली खा रहा है, जाहिर है कि अगर उसकी चुगली खाई जाती तो उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता, बस उसी तरह उसे अपने भाई को भी समझना चाहिए और ऐसे काम से रुक जाना चाहिए।
फिर मामूली दुनिया के लिए अपनी आख़िरत बर्बाद करना अच्छी बात नहीं है, हालांकि अल्लाह का डर रखते तो आख़िरत के साथ दुनिया भी मिलती। अल्लाह ने कहाः
وَلَوْ أَنَّ أَهْلَ الْقُرَىٰ آمَنُوا وَاتَّقَوْا لَفَتَحْنَا عَلَيْهِم بَرَكَاتٍ مِّنَ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ وَلَـٰكِن كَذَّبُوا فَأَخَذْنَاهُم بِمَا كَانُوا يَكْسِبُونَ – سورة الأعراف :96
यदि बस्तियों के लोग ईमान लाते और डर रखते तो अवश्य ही हम उनपर आकाश और धरती की बरकतें खोल देते, परन्तु उन्होंने तो झुठलाया। तो जो कुछ कमाई वे करते थे, उसके बदले में हमने उन्हें पकड़ लिया। (सूरः आराफ़ः 96)
कभी एक व्यक्ति चुग़ली मनोरंजक के लिए भी खाता है, नियत तो यह होती है कि मनोरंजक करें हालांकि यही में मज़ाक उड़ाना और दिल तोडना बन जाता है। और ज़ाहिर है मज़ाक़ में भी चुग़ली खाने की इस्लाम हमें अनुमति नहीं देता। इसका भी इलाज यही है कि जिस की चुगली खा रहा है उसकी जगह खुद को रखकर देखे, स्वयं अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने हमें यह नियम बता दियाः
لا يُؤمِنُ أحدُكم حتى يُحِبَّ لأخيه ما يُحِبُّ لنَفْسِه – صحيح البخارى: 13
तुम में से एक व्यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता, जब तक कि अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो अपने लिए पसंद करता है।
चुग़ली के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि चुग़ली खाने वाले को प्रोत्साहित न किया जाए, चुग़ली पर प्रतिक्रिया व्यक्त न की जाए और चुग़ली खाने वाली की बिल्कुल परवाह न करें।
बादशाह सुलैमान बिन अब्दुल मलिक के पास एक आदमी को लाया गया, उस समय बादशाह के पास इमाम मुहम्मद बिन मुस्लिम बिन शिहाब अज़्ज़ुहरी बैठे थे, सुलैमान बिन अब्दुल मलिक ने कहा: मैंने सुना है कि तुमने मेरे खिलाफ बात की है और ऐसा वैसा कहा है। उस व्यक्ति ने कहा: नहीं मैं ने कुछ नहीं कहा। सुलैमान बिन अब्दुल मलिक ने कहा: मुझे एक सच्चे इंसान ने खबर दी है। तब इमाम मुहम्मद बिन मुस्लिम बिन शिहाब अज़्ज़ुहरी ने कहाः
لا یکون النمام صادقا۔
चुगलखोर सच्चा नहीं हो सकता।
यह सुनना था कि सुलैमान बिन अब्दुल-मलिक ने कहा। जाओ चले जाओ, कोई बात नहीं।
चुग़ली खाने वाले के प्रति एक मुसलमान का क्या तरीक़ा होना चाहिए? इस संबंध में इमाम नववी रहिमहुल्लाह ने कहा है कि जिस से चुगली की जाए या जिसको कहा जाए कि फ़लाँ तेरे बारे में यूं कहता है या यूं करता है तो इसके लिए 6 काम करना ज़रूरी है-
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इसकी पुष्टि बिल्कुल न करे क्योंकि चुग़लखोर पापी और गुनहगार होता है।
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उसको ऐसा करने से मना कर दे, उसे नसीहत करे और उसके काम को बुरा समझे।
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अल्लाह की आज्ञाकारी के लिए उस से नफरत करे, क्योंकि अल्लाह तआला उससे नफरत करता है और जिस से अल्लाह नफ़रत करे उससे नफरत करना वाजिब है।
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अपने गायब भाई के लिए बुराई का ख़्याल तक न करे।
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उसकी बयान की हुई बात की खोज परख और उस पर विचार करने के लिए उसको बिल्कुल महत्व न दे।
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चुगलखोर को पसंद न करे और न ही उसकी चुगली को आगे किसी से बताते हुए यह कहे कि फलां यूं कहता था क्योंकि ऐसा करने से वह भी चुग़लखोर बन जाएगा और मना की हुई बात करने का दोषी हो जाएगा।
सारांश यह समझें कि अगर चुग़ली खाने वाले की पुष्टि न की जाए और जिसकी चुगली खाई है तुरंत उसे बुलाकर उसके सामने कर दिया जाए कि तुम्हारे सम्बन्ध में यह ऐसी ऐसी बात कह रहा है तुम्हारा क्या ख़्याल है। उसी तरह चुग़ली खाने वाले के दिल में अल्लाह का डर पैदा किया जाए, मरने के बाद की ज़ींदगी का उसे एहसास दिलाया जाए। उसी तरह चुग़लखोर को अच्छा वातावरण प्रदान किया जाए , बुरे माहौल से दूर रखा जाए और अल्लाह वालों के आदर्श जीवन को हर समय अपने सामने रखें तो आसानी के साथ चुग़ली से बचा जा सकता है।