यदि आपने पैर में मोज़े पहन रखा है, और वुज़ू कर रहे हैं तो शरीअत ने आसानी दे रखी है कि उसे उतारने के बजाय मोज़े के ऊपरी भाग पर भीगा हाथ फेर लेना काफ़ी है, लेकिन शर्त यह है कि :
1.आपने मोज़े को वुज़ू की स्थिति में पहना हो
2. और वुज़ू टूटने के के बाद निकाला भी नहीं हो.
यदि आपने मोज़े वुज़ू की हालत में पहना है और वुज़ू टूटने के बाद निकाला नहीं है तो आपके लिए बस इतना काफी है कि :
हाथ भिगाकर उसे पहले अपने दाहिने पैर के ऊपरी भाग पर फेर लें, फिर बाएं पैर के ऊपरी हिस्से पर फेर लें. हाथ एक बार फेरना है तीन बार नहीं. अगर किसी ने वुज़ू टूटने के बाद पहना, या वुज़ू की हालत में पहना था लेकिन वुज़ू टूटने के बाद निकाल दिया था तो वुज़ू करते समय मोज़े निकाल कर पैर धुलने होगा.
अगर कोई यात्री है तो मोज़े पर तीन दिन और तीन रात तक मसह् कर सकता है और अगर कोई मुक़ीम अर्थात् घर पर है तो एक दिन और एक रात तक मसह् कर सकता है. मोज़े पर मसह् की छूट अल्लाह के रसूल सल्ल. और अनगिनत सहाबा रज़ि. से प्रमाणित है। इसलिए इस छूट को अपनाना चाहिए। अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमायाः अल्लाह यह पसंद करता है कि उसकी छूट को अपनाया जाए जैसे यह नापसंद करता है कि उसकी अवज्ञा की जाए।