अल्लाह तआला ने नबियों तथा रसूलों को दुनिया में भेजा ताकि उन का अनुसरण किया जाए और उनकी अवज्ञा से बचना ही सफलता की गारेन्टी है। क्योंकि रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण वास्तव में अल्लाह तआला का ही अनुसरण है। जैसा कि अल्लाह तआला का प्रवचन है।
مَّن يُطِعِ الرَّسُولَ فَقَدْ أَطَاعَ اللَّـهَ ۖ وَمَن تَوَلَّىٰ فَمَا أَرْسَلْنَاكَ عَلَيْهِمْ حَفِيظًا. (سورة النساء: 80
जिसने रसूल की आज्ञा का पालन किया, उसने अल्लाह की आज्ञा का पालन किया और जिसने मुँह मोड़ा तो हमने तुम्हें ऐसे लोगों पर कोई रक्षक बनाकर तो नहीं भेजा है। (सूरह अन्निसाः80)
अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम की बहुत सी आयतों में अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत करने का आदेश दिया है और जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وَأَطِيعُوا اللَّـهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ ۚ فَإِن تَوَلَّيْتُمْ فَإِنَّمَا عَلَىٰ رَسُولِنَا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ. (سورة التغابن: 12
अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल की आज्ञा का पालन करो, किन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो हमारे रसूल पर बस स्पष्ट रूप से (संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है। (64- सूरह तग़ाबुनः 12)
अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश का अनुसरण अनिवार्य है और अवज्ञा करने के कारण अल्लाह ने अज़ाब की चेतावनी दे दी है।
وَمَا آتَاكُمُ الرَّسُولُ فَخُذُوهُ وَمَا نَهَاكُمْ عَنْهُ فَانتَهُوا ۚ وَاتَّقُوا اللَّـهَ ۖ إِنَّ اللَّـهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ. (سورة الحشر: 7
रसूल जो कुछ तुम्हें दे उसे ले लो और जिस चीज़ से तुम्हें रोक दे उससे रुक जाओ, और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह की यातना बहुत कठोर है। (59-सूरह अल्हश्रः 7)
प्रत्येक वस्तुओं में केवल अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेशों का अनुसरण किया जाए और मतभेद जैसा भी हो अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश के अनुसार ही निर्णय किया जाएगा। क्योंकि अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का आदेश न्याय पर आधारित है।
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّـهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ وَأُولِي الْأَمْرِ مِنكُمْ ۖ فَإِن تَنَازَعْتُمْ فِي شَيْءٍ فَرُدُّوهُ إِلَى اللَّـهِ وَالرَّسُولِ إِن كُنتُمْ تُؤْمِنُونَ بِاللَّـهِ وَالْيَوْمِ الْآخِرِ ۚ ذَٰلِكَ خَيْرٌ وَأَحْسَنُ تَأْوِيلًا. (سورة النساء: 59
ऐ ईमान वालो! अल्लाह की आज्ञा का पालन करो और रसूल का कहना मानो और उनका भी कहना मानो जो तुम में अधिकारी लोग है। फिर यदि तुम्हारे बीच किसी मामले में मतभेद हो जाए, तो उसे तुम अल्लाह और रसूल की ओर लौटाओ, यदि तुम अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हो। यही उत्तम है और परिणाम की स्पष्ट से भी अच्छा है। (सूरह अन्निसाः 59)
जो कुछ भी अल्लाह तआला ने अपने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) पर क़ुरआन और हदीस अवतरित किया है। उन सम्पूर्ण बातों पर ईमान और अनुसरण ज़रूरी है। जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है।
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّـهَ وَرَسُولَهُ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَأَنتُمْ تَسْمَعُونَ. (سورة الأنفال: 20
ऐ ईमान लानेवालो, अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करो और उससे मुँह न फेरो जबकि तुम सुन रहे हो। (सूरह अल्अन्फालः 20)
अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत और अनुसरण करने वाले व्यक्तियों को बहुत सा लाभ प्राप्त होता है। जिन में से कुछ लाभ के प्रति निम्न में बयान किया जाता है।
(1) अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत और अनुसरण करने से अल्लाह की मुहब्बत प्राप्त होती है और जिस व्यक्ति से अल्लाह मुहब्बत करने लगे तो गोया कि उसे दुनिया और आखिरत की सब से बड़ी दौलत मिल गई। अल्लाह के इस कथन पर विचार करें।
قُلْ إِن كُنتُمْ تُحِبُّونَ اللَّـهَ فَاتَّبِعُونِي يُحْبِبْكُمُ اللَّـهُ وَيَغْفِرْ لَكُمْ ذُنُوبَكُمْ وَاللَّـهُ غَفُورٌ رَّحِيمٌ ﴿آل عمران: ٣١
कह दो, ” यदि तुम अल्लाह से प्रेम करते हो तो मेरा अनुसरण करो, अल्लाह भी तुमसे प्रेम करेगा और तुम्हारे गुनाहों को क्षमा कर देगा। अल्लाह बड़ा क्षमाशील, दयावान है।” (सूरह आले इमरानः 31)
(2) जो लोग अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण नहीं करते हैं तो गोया कि उसने अल्लाह का इनकार किया और अल्लाह इनकार करने वाले, नाशुकरे को पसन्द नहीं करता है। जैसा कि अल्लाह तआला फरमान है।
قُلْ أَطِيعُوا اللَّـهَ وَالرَّسُولَ ۖ فَإِن تَوَلَّوْا فَإِنَّ اللَّـهَ لَا يُحِبُّ الْكَافِرِينَ. (سورة آل عمران: 32
(ऐ नबी) कह दो, अल्लाह और रसूल का आज्ञापालन करो। फिर यदि वे मुँह मोड़े तो अल्लाह भी इनकार करनेवालों से प्रेम नहीं करता। (सूरह आले इमरानः 32)
(3) अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत करने से सही मार्ग मिलता है। अल्लाह की ओर से मार्ग दर्शन होता है। जैसा कि अल्लाह का वादा है।
قُلْ أَطِيعُوا اللَّـهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ ۖ فَإِن تَوَلَّوْا فَإِنَّمَا عَلَيْهِ مَا حُمِّلَ وَعَلَيْكُم مَّا حُمِّلْتُمْ ۖ وَإِن تُطِيعُوهُ تَهْتَدُوا ۚ وَمَا عَلَى الرَّسُولِ إِلَّا الْبَلَاغُ الْمُبِينُ. (سورة النور: 54
कहो, ” अल्लाह का आज्ञापालन करो और उसके रसूल का कहा मानो। परन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो उस पर तो बस वही ज़िम्मेदारी है जिसका बोझ उसपर डाला गया है, और तुम उसके ज़िम्मेदार हो जिसका बोझ तुमपर डाला गया है। और यदि तुम आज्ञा का पालन करोगे तो सही मार्ग पा लोगे। और रसूल पर तो बस साफ़ -साफ़ (संदेश)पहुँचा देने ही की ज़िम्मेदारी है। (सूरह अन्नूरः 54)
(4) जो लोग अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत करते हैं और अल्लाह से भयभीत होते हुए अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेशों की उल्लघंन नहीं करते हैं तो ऐसे ही लोगों को बहुत बड़ी सफलता मिलती है। जैसा कि अल्लाह का वादा है।
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ وَيَخْشَ اللَّـهَ وَيَتَّقْهِ فَأُولَـٰئِكَ هُمُ الْفَائِزُونَ. (سورة النور: 52
और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञा का पालन करे और अल्लाह से डरे और उसकी सीमाओं का ख़याल रखे, तो ऐसे ही लोग सफल हैं। (सूरह अन्नूरः 52)
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ فَقَدْ فَازَ فَوْزًا عَظِيمًا. (سورة الأحزاب: 71
और जो अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञापालन करे, उसने बड़ी सफलता प्राप्त कर ली है। (सूरह अलअह्ज़ाबः 71)
(5) जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का पुर्ण रूप से अनुसरण करते हैं। तो ऐसे लोगों को अल्लाह तआला जन्नत में दाखिल करेगा, जिस में वे लोग सदैव रहेंगे। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ خَالِدِينَ فِيهَا ۚ وَذَٰلِكَ الْفَوْزُ الْعَظِيمُ – (سورة النساء: 13
जो कोई अल्लाह और उसके रसूल के आदेशों का पालन करेगा, उसे अल्लाह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। उनमें वह सदैव रहेगा और यही बड़ी सफलता है (सूरह अन्निसाः 14)
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۖ وَمَن يَتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا أَلِيمًا. (سورة الفتح: 17
जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा, जिनके नीचे नहरे बह रही होंगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा। (सूरह अलफतहः17)
रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने स्पष्ट तौर पर फरमा दिया कि जो रसूल की अनुसरण करेगा, वह जन्नत में दाखिल होगा और जो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की नाफरमानी करेगा, गोया कि उसने जन्नत में जाने से इनकार किया। इस हदीस पर विचार करें।
अबू हुरैरा(रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः मेरी उम्मत का प्रत्येक व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा सिवाए जिस ने जन्नत में दाखिल होने से इन्कार किया। तो सहाबा ने प्रश्न किया. ऐ अल्लाह के रसूल! जन्नत में दाखिल होने से कौन इन्कार करेगा? तो आप ने फरमायाः जिसने मेरी अनुसरण किया, वह जन्नत में प्रवेश करेगा और जिसने मेरी अवज्ञा किया, उसने जन्नत में प्रवेश करने से इन्कार किया। (सही बुखारीः 7280)
(6) जो लोग अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुपालण अपने जीवन के प्रत्येक मोड़ पर करते हैं और अपने प्रत्येक कर्म में अल्लाह की प्रसन्नता का लक्ष्य रखता है। तो अल्लाह तआला उसे जन्नत में नबियों, सिद्दीक़ों, शहीदों और अच्छे (नेक) लोगों के साथ रखेगा। जैसा कि अल्लाह का वादा है।
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَالرَّسُولَ فَأُولَـٰئِكَ مَعَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللَّـهُ عَلَيْهِم مِّنَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ وَالشُّهَدَاءِ وَالصَّالِحِينَ ۚ وَحَسُنَ أُولَـٰئِكَ رَفِيقًا. (سورة النساء: 69
जो अल्लाह और रसूल की आज्ञा का पालन करता है, तो ऐसे ही लोग उन लोगों के साथ है जिनपर अल्लाह की कृपा स्पष्ट रही है – वे नबी, सिद्दीक़ों, शहीदों और अच्छे (नेक) लोगों हैं। और वे कितने अच्छे साथी हैं। (सूरह अन्निसाः 69)
अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुपालण करने वाले लोग जन्नत में बहुत ही उच्च स्थान पर बराजमान होंगे, वे लोग जन्नत में नबियों, सिद्दीक़ों, शहीदों और अच्छे (नेक) लोगों के साथ होंगे।
अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की अवज्ञा के नुकसानातः
जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की अवज्ञा करते हैं तो ऐसे लोगों से अल्लाह तआला नाराज होता है, और उसे दुनिया और आखिरत में विभिन्न प्रकार की यातनों में ग्रस्त करेगा। जिन की कुछ उदाहरण निम्न में बयान किया जाता है।
(1) हमेशा रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की अवज्ञा करने से दूर रहना चाहिये, क्योंकि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की अवज्ञा करने वालों और बिदअत में लिप्त रहने वालों को परिक्षा में डाला जाता है या फिर दुखद अज़ाब में ग्रस्त कर दिया जाता है। अल्लाह का फरमान है।
فَلْيَحْذَرِ الَّذِينَ يُخَالِفُونَ عَنْ أَمْرِهِ أَن تُصِيبَهُمْ فِتْنَةٌ أَوْ يُصِيبَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ. (النور: 63
अतः जो उस (नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश की अवहेलना करते है, उनको डरना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो कि उन पर कोई आज़माइश आ पड़े या उनपर कोई दुखद यातना आ जाए। (24- सूरह अन्नूरः63)
(2) जो लोग भी रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की इताअत करते हैं तो उसने गोया कि अल्लाह की इताअत की और जो रसूल की अवज्ञा करते हैं. गोया कि उसने अल्लाह की अवज्ञा की। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फरमान है।
من أطاعَنِي فقد أطاعَ اللهَ . ومن عصانِي فقد عصَى اللهَ . ومن أطاعَ أميري فقدْ أطاعَنِي . ومن عصَى أمِيرِي فقد عصانِي. (البخاري: 7137 ومسلم: 1835
जिसने मेरी इताअत किया तो उसने अल्लाह की इताअत किया और जिसने मेरी नाफरमानी की तो उसने अल्लाह की ना फरमानी की और जिस ने मेरे अमीर की नाफरमानी की तो उसने मेरी नाफरमानी की। (सही बुखारीः 7137 व सही मुस्लिमः1835 )
(3) जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का अनुसरण नहीं करते हैं तो ऐसे लोगों का समाज में कोई स्थान नहीं होता है। सार्वजनिक लोग भी उसका आदर सम्मान नहीं करते हैं और जो लोग सब्र करते हुए अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आज्ञा का अनुपालण करते हैं तो अल्लाह उनके साथ होता है और अल्लाह प्रत्येक प्रकार से उनकी सहायता करता है। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وَأَطِيعُوا اللَّـهَ وَرَسُولَهُ وَلَا تَنَازَعُوا فَتَفْشَلُوا وَتَذْهَبَ رِيحُكُمْ ۖ وَاصْبِرُوا ۚ إِنَّ اللَّـهَ مَعَ الصَّابِرِينَ
और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा मानो और आपस में मतभेद न करो, अन्यथा असफल हो जाओगे और तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी। और सबर से काम लो। निश्चय ही, अल्लाह सबर करने लालों के साथ है। सूरह अन्फालः) 46)
(4) जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश का पालन करते हैं तो उनका अमल नष्ट नहीं होता है और अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश की अवज्ञा करते हैं तो ऐसे लोगों का कर्म अकारथ हो जाता है। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّـهَ وَأَطِيعُوا الرَّسُولَ وَلَا تُبْطِلُوا أَعْمَالَكُمْ. (سورة محمد: 33
ऐ ईमान लानेवालो! अल्लाह का आज्ञापालन करो और रसूल का आज्ञापालन करो और अपने कर्मों को विनष्ट न करो। (सूरह मुहम्मदः 33)
(5) जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश की अवज्ञा करते हैं। अल्लाह और उसके रसूल की आदेशों पर अमल नहीं करते हैं, तो ऐसे लोगों को अल्लाह तआला सख्त यातनाओं में लिप्त करेगा। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وَمَن يُطِعِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ يُدْخِلْهُ جَنَّاتٍ تَجْرِي مِن تَحْتِهَا الْأَنْهَارُ ۖ وَمَن يَتَوَلَّ يُعَذِّبْهُ عَذَابًا أَلِيمًا. (سورة الفتح: 17
जो भी अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञा का पालन करेगा, उसे वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करके, जिनके नीचे नहरे बह रही होंगी, किन्तु जो मुँह फेरेगा उसे वह दुखद यातना देगा। (सूरह अलफतहः17)
(6) जो लोग भी अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के आदेश के अनुसार जीवन नहीं गुज़ारते हैं। अल्लाह और उसके रसूल की आदेशों पर अमल नहीं करते हैं, अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के उपदेश पर अमल नहीं करतें हैं तो अल्लाह तआला ऐसे लोगों को जहन्नम में दाखिल करेगा। जैसा कि अल्लाह का फरमान है।
وَمَن يَعْصِ اللَّـهَ وَرَسُولَهُ وَيَتَعَدَّ حُدُودَهُ يُدْخِلْهُ نَارًا خَالِدًا فِيهَا وَلَهُ عَذَابٌ مُّهِينٌ. (سورة النساء: 14
और जो अल्लाह और उसके रसूल की अवज्ञा करेगा और उसकी सीमाओं का उल्लंघन करेगा उसे अल्लाह जहन्नम में डालेगा, जिसमें वह सदैव रहेगा। और उसके लिए अपमानजनक यातना है। (सूरह अन्निसाः 14)
अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः मेरी उम्मत का प्रत्येक व्यक्ति जन्नत में प्रवेश करेगा सिवाए जिस ने जन्नत में दाखिल होने से इन्कार किया। तो सहाबा ने प्रश्न किया. ऐ अल्लाह के रसूल! जन्नत में दाखिल होने से कौन इन्कार करेगा? तो आप ने फरमायाः जिसने मेरी अनुसरण किया, वह जन्नत में प्रवेश करेगा और जिसने मेरी अवज्ञा किया, उसने जन्नत में प्रवेश करने से इन्कार किया। (सही बुखारीः 7280)
अल्लाह हम सब को नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की पूर्ण रूप से अनुसरण करने की शक्ति दे और जन्नत में अपने कृपा और दया से प्रवेश करे। आमीन।