इस्लाम स्वीकार करने के बाद का अनुभव
रिज़वान भाई के इस्लाम स्वीकार करने के दो महीने बाद मैं ने उन से प्रश्न किया ?
अब आप इस्लाम स्वीकार करने के बाद कैसा अनुभव कर रहे हैं ?
तो उन्हों ने बहुत ही संतुष्ठी से उत्तर दिया। मैं हिंदू परिवार से था और मैं बचपन से कुवैत में रहा हूँ और विवाह होने के बाद तीन वर्ष जीवन बहुत अच्छे तरीक़े से गुज़री फिर जीवन ने एक करवट ली और मेरी जीवन में भूंचाल सा आ गया।
मैं अपने परिवारिक संबंधों के कारण बहुत ज़्यादा ही परेशान, अत्यन्त तनाव और चिनतित था, जीवन से निराश हो कर आत्महत्या तक विचार करने लगा। एक साथी ने बाइबल पढ़ने की ओर उत्साहित किया और मैं बाइबल पढ़ने भी लगा परन्तु हृदय असंतुष्ठ था फिर शान्ति की तलाश में इधर उधर भटकता रहा। फिर एक साथी ने इस्लाम की पुस्तकें ला कर दी, जब में इस्लाम की पुस्तकें पढ़ने लगा तो इस्लामी शिक्षा की ओर आकर्षित होता गया। हृदय को शान्ति और संतोष प्राप्त होने लगा और जीवन का लक्ष्य मालूम हुआ और जब मैं ने इस्लाम स्वीकार किया तो अब मेरी उदाहरण ऐसे ही है जैसे कि कोई व्यक्ति बीच सागर में हो और उस की कश्ती सागर में आए हुए तूफान से हचकुले खा रही हो और नाव के डूबने का विश्वास हो गया कि उसे लंगर मिल जाए और लंगर डाल दे और उस की नाव डूबने से सुरक्षित हो जाए। मेरी भी उदाहरण ऐसी थी कि परेशानी और पत्नी से तलाक होने के बाद मेरी स्तिथि भी डूबने वाली कश्ती की तरह थी और तनाव के कारण आत्महत्या करने पर विचार करने लगा परन्तु इस्लाम स्वीकार करने के बाद जीवन के जीने एक लक्ष्य मिल गया है और जीवन में बहुत शान्ति और ठहराव आ गया है।