इस्लाम की शिक्षा किसी विशेष स्थान, किसी राष्ट्र, या किसी विशेष समय के लिए नहीं है बल्कि यह पूरी मानवता का धर्म है जो महाप्रलय के दिन तक दुनिया का मार्गदर्शन करता रहेगा। कुरआन स्वयं अपना परिचय कराता हैः
“निःसंदेह यह कुरआन मार्गदर्शन है सारी मानवता के लिए।” (सूरः तक्वीर 27)
एक अन्य स्थान पर फरमायाः
“महिमावान है वह अल्लाह जिसने अपने बन्दे पर कुरआन उतारा ताकि वह सारी दुनिया के लिए डराने वाला हो।” (सूरः फुरक़ान 1)
क़ुरआन अन्तिम नबी मुहम्मद सल्ल. के सम्बन्ध में कहता है
“हमने आपको सारे इंसानों के लिए सुसमाचार देने वाला और डराने वाला बनाकर भेजा है। लेकिन अधिकांश लोग इसे नहीं जानते.” (सबा 28)
जी हाँ! यदि वह जानते तो अवश्य आपके संदेश को स्वीकार कर लेते लेकिन वह जानते नहीं हैं जिसके कारण इस संदेश को मुसलमानों का धर्म मान रखा है।