घर वापसीः कहाँ, कैसी और किस प्रकार होगी ?
ब्रह्मांड के निर्माता ने प्रथम मनुष्य आदम अलैहिस्सलाम की सन्तान से अर्थात् उनकी पीठों से उनकी सन्तति निकाली और उन्हें स्वयं उनके ऊपर गवाह बनाया कि क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूं, बोले, क्यों नहीं, हम गवाह हैं। तब अल्लाह ने कहा कि तुम महाप्रलय के दिन कहीं यह न कहने लगो कि “हमें तो इसकी सूचना ही न थी।” या यह कहने लगो कि बहुदेववाद तो हमारे पूर्वजों ने किया था, हमने तो मात्र उनका अनुसरण किया था क्या तू उनके पापों की सज़ा हमें दे रहा है ?
मानो आदम की सन्तान ने शरीर में ढलने से पूर्व यह वादा किया था कि मरते दम तक तेरे घर से जुड़े रहेंगे, फिर जब आदम के पुत्र को धरती पर बसाया गया तो उसे अधिसूचित कर दिया गया था कि शैतान तुम्हारा दुश्मन है वह तुम्हें अपने घर से निकालने का अंथक प्रयास करेगा लेकिन उसके छल में मत आना।
आदम की संतान दस शताब्दी तक वादे पर कायम रही और अपने ही घर में निवास किए रही जिस में उसे उसके निर्माता ने बसाया था, लेकिन दस शताब्दियां बितने के बाद शैतान आदम की संतान के पास आया और उन्हें उकसाया कि तुम्हारे पाँच बड़े महापुरुष (वद्द, सुआअ, यग़ूस, यऊक़ और नस्र) थे, जो इस दुनिया से जा चुके हैं उनकी याद ताजा रखने के लिए उनकी प्रतिमा बनाकर अपनी सभाओं में रखा करो।
आदम अलैहिस्सलाम के बेटों को यह बात अच्छी लगी और उन्होंने प्रतिमा बनाकर अपनी सभाओं में स्थापित कर दिया, जब बितते दिनों के साथ मूर्तियां बनाने वाले गुजर गए तो शैतान ने उनकी सन्तान के पास आकर यह कहना शुरू कर दिया कि तुम्हारे पूर्वज संकट में इन मूर्तियों से मांगते थे और उन्हें मिला करता था, इस प्रकार उन्हों ने मूर्ति पूजा आरम्भ कर दिया।
यह पहला समय था जब शैतान आदम अलैहिस्सलाम के बच्चों को उसके वास्तविक घर से निकाल बाहर किया था, और अलग घर बनाकर उस में उनको बसाने में सफलता प्राप्त कर ली थी।
लेकिन अल्लाह की दया जोश में आई और मनुष्यों को अपना भूला हुआ पाठ याद दिलाने और अपने असली घर की ओर लौटाने के लिए हज़रत नूह अलैहिस्सलाम को भेजा, हज़रत नूह अलैहिस्सलाम साढ़े नौ सौ वर्ष तक अपने समुदाय को उनके असली घर की ओर बुलाते रहे। जब घमंड समुदाय घर वापसी के लिए तैयार न हुआ तो तूफान द्वारा उन्हें नष्ट कर दिया गया।
फिर हर युग में उसी घर की ओर वापस करने के लिए संदेष्टा भेजे गए, जिनकी संख्या एक लाख चौबीस हजार तक पहुंचती है, सारे संदेष्टाओं का नारा एक ही था, और वह थाः घर वापसी।
यह घर पूर्ण सौंदर्य और बेहतरी के साथ बनाया गया था, लेकिन उसके एक कोने में एक ईंट का स्थान खाली था, मानो लोग उसके चारों ओर चक्कर लगाते हैं और उस पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहते हैं “यह ईंट क्यों न लगाई गई?”
जब सातवीं शताब्दी में दुनिया अपनी पूरी जवानी को पहुँच गई तो अल्लाह ने घर की इस ईंट को भी पूरा कर दिया, और उस घर को ऐसा मज़बूत किला बना दिया कि सभी जिन्नात और इनसानों की लौकिक और पारलौकिक सफलता उसी घर में शरण लेने पर ठहरी, जिसने उस में शरण ली वह लौकिक और पारलौकिक जीवन में सफल हुआ और जो घर से बाहर रह गया वह लोक और प्रलोक में विफल रहा।
अतः सपूत आत्माएं मनुष्य के बनाए हुए कच्चे घरोनदों को तोड़कर इस मजबूत घर में शरण लेने लगीं जो उसके निर्माता का घर था और जिस में उसी का कानून चलता था, यहां तक कि दुनिया के कोना कोना में इस घर की ओर निस्बत करने वाले फैल गए और मानवता के सामने उसका परिचय कराया और ऐसा व्यावहारिक नमूना पेश किया कि पूरी दुनिया उसकी ओर लपकने लगी।
लेकिन जब मुसलमानों के मन-मस्तिष्क से इस घर की महानता निकल गई, उनके अंदर से निमंत्रण चेतना निकल गई और वह घर वापस कराने में सुस्ती बरतने लगे तो शैतान के चेले चुस्त हो गए, हर तरफ कच्चे कच्चे घरोनदे बना लिए गए और उस पर तरफा तमाशा यह कि मुसलमानों को ऐसे ही घरोनदों में शरण लेने के लिए आमंत्रित किया जाने लगा जो मच्छर के घर से भी अधिक कमजोर हैं।
पिछले दिनों भारत के सांप्रदायिक दल आर एस एस और बजरंग दल जिनके वजूद का उद्देश्य भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलना और हिंदू संस्कृति का जागरण करना है, ने ताज महल के शहर आगरा में कुछ गरीब मुसलमानों को कार्ड बनवाने की हरी झंडी दिखा कर उन्हें एक धार्मिक समारोह में शामिल किया और यह दर्शाने की कोशिश की कि उन्होंने हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है, हालांकि उन्हें स्यवं पता नहीं था कि वे क्या कर रहे हैं, अगले दिन मीडिया वालों ने जब उनकी शातिराना चाल को बेनकाब किया, तब सच्चाई सामने आ सकी।
इन हिंदू कट्टर पंथियों ने इस प्रक्रिया को घर वापसी का नाम दिया, लेकिन सवाल यह है कि घर है कहां कि घर वापसी होगी, हिंदू धर्म अपने विरोधाभासों, मतभेदों और धार्मिक उथल पथल के कारण अपने अंदर किसी प्रकार का आकर्षण नहीं रखता, बहुदेववाद और विभिन्न देवताओं की पूजा पर सम्मिलित धर्म आख़िर प्रकृति पर पैदा होने वालों का धर्म कैसे हो सकता है, एक मुसलमान चाहे कितना ही कमजोर हो इस्लाम के सार्वभौमिक शिक्षाओं को छोड़ कर स्वयं बनाये हुए धर्म को गले नहीं लगा सकता, इसका अनुभव स्वयं इस्लाम दुश्मन ताक़तों को है कि उन्हों ने जिस शाखे नाजुक पर अपना आशियाना बना रखा है वह बहुत नापाईदार है बल्कि मकड़ी के जाले से भी अधिक कमजोर है, वह यह भी देख रहे हैं कि इस्लाम अपनी प्राकृतिक शिक्षाओं के आधार पर दुनिया के कोना कोना में फैल रहा है, इस लिए उन्होंने घर वापसी का एजेंडा बनाया है ताकि हिंदुओं में अपने धर्म के प्रति बड़ापन की भावना पैदा हो सके कि जब हिंदुओं के अंदर बड़ापन की भावना पैदा होगी तो स्वतः इस्लाम का विकास कमज़ोर पड़ जाएगा। उसी तरह वे चाहते हैं कि भारत में धर्म परिवर्तन का कानून लागू हो ताकि कोई धर्म परिवर्तन का साहस न कर सके।
ऐसे नाजुक हालात में मुस्लिम विद्वानों की बहुत बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि अपनी सफों में एकता पैदा करें, योजना के साथ उन क्षेत्रों में जहां मुसलमान दीन से दूर हैं दावती क़ाफले भेजे जाएं, उनके मन में इस्लाम की महानता बैठाएं , और यह भावना बनाया जाए कि वह देने वाली क़ौम है लेने वाली नहीं, वह प्रभावित करने वाली क़ौम है प्रभावित होने वाली नहीं, वह दाई है आमंत्रित नहीं। हर बस्ती और कस्बे में बच्चों के लिए दीनी शिक्षा हेतु मदरसे स्थापित किए जाएं, जहां बड़ों की शिक्षा का भी व्यवस्था हो. मस्जिदों को मात्र नमाज़ अदा करने तक सीमित न रखा जाए बल्कि उसे सक्रिय और प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाए, धनवान अपने सदकात और दान द्वारा गरीब मुसलमानों की समस्याओं का हल करें कि कभी कभी अज्ञानता और वित्तीय तंगी के कारण कुछ लोग अपने ईमान को बेच डालते हैं। और दीन के दाइयों को भी चाहिए कि घर वापसी के विषय को अपनी वार्ता का विषय बनाकर गैर-मुस्लिमों को इस्लाम की ओर बुलायें कि मूल घर वापसी तो इस्लाम की ओर पलटना है जिस पर हर बच्चे का जन्म होता है।
हिन्दु धर्म की धार्मिक किताबें भी एकेश्वरवाद, रिसालत और महाप्रलय के दिन का समर्थन करती हैं और उन मैं मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आगमन की भविष्य वाणियां भी मौजूद हैं, खुद उनके बड़े बड़े पंडितों ने अपनी धार्मिक पुस्तकों के हवाले से साबित किया है कि वेदों में 31 स्थान पर नराशंस और पुराणों में कल्की अवतार की जो विशेषतायें बयान की गई हैं उन से अभिप्राय मुहम्मद साहब ही हैं जिन्हें माने बिना हिंदुओं को मुक्ति नहीं मिल सकती, इस तरह अगर मुस्लिम विद्वानों ने योजना के साथ काम किया तो घर वापसी का यह मुद्दा यदि अल्लाह ने चाहा तो हिंदुओं की इस्लाम की ओर वापसी का माध्यम बनेगा। अल्लाह करे ऐसा ही हो।