ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों का महत्व

ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों का महत्वबेशक ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों का बहुत महत्व है और यह दस दिन बहुत ही बरकत और इबादत के लिए बहुमूल्य दिनों में हैं। अल्लाह ने इन दिनों को चुन लिया है और उसे पूरे वर्ष के दिवसों पर उत्तमता प्रदान किया है और उन्हें मूमिनीन के लिए कर्म और ईबादतों और अल्लाह की नज्दीकी प्राप्त करने का शुभ अवसर बनाया है। अतः अल्लाह के दासों को इन दिनों को गनीमत समझते हुए लाभ उठाने का अत्यन्त प्रयास करना चाहिये, अल्लाह की दया और क्षमा प्राप्त करने के लिए खूब मेहनत करना चाहिये और अल्लाह की खुशी हासिल करने का इच्छुक होना चाहिये।

महत्वः

1- अल्लाह का फमान है।

وَالْفَجْرِ‌ – وَلَيَالٍ عَشْرٍ‌

शपथ है भोर की- शपथ है दस रात्रियों की। (सूरह अल्फज्रः 1,2)

इब्ने अब्बास (रज़ि) से वर्णन है कि यह दस रात्रियों का मतलब ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिन हैं। अल्लाह तआला ने इन दिनों की कसम खाइ है जो इन दिनों की श्रेष्ठता को प्रमाणित करता है और इनके महत्व होने की दलील है।

2- अल्लाह के पास यह दस दिन सब से प्रतिष्ठित दिन है। जिन में नेक आमाल कर के मानव बहुत नेकियां और पूण्य कमा सकता है और अल्लाह को खुश कर के अल्लाही की नज़्दीकी हासिल कर सकता है। रसूल ने (सल्ल) ने सूचित कर दिया है।

ما من أيامٍ أفضلُ عندَ اللهِ من أَيَّامِ عَشْرِ ذِي الحِجَّةِ. قال: فقال رجلٌ: يا رسولَ اللهِ! هُنَّ أفضلُ أَمْ عِدَّتُهُمْ جِهادًا في سبيلِ اللهِ؟ قال: هُنَّ أفضلُ من عِدَّتِهمْ جِهادًا في سبيلِ اللهِ، إلَّا عفيرٌ يعفرُ وجْهَهُ في التُّرابِ . (صحيح الترغيب: 1150

नेक कर्मों के लिए ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिन अल्लाह के पाल सब दिनों से श्रेष्ठ हैं। एक व्यक्ति ने प्रश्न कियाः ऐ अल्लाह के रसूल! यह दिन में नेक कार्य श्रेष्ठ हैं या इन दिनों की संख्यां के बरारबर अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने से भी अफज़ल हैं, तो आप (सल्ल) ने फरमायाः इन दिनों में नेक कर्म करना अल्लाह के रास्ते में जिहाद करने से भी अफज़ल हैं, मगर कोई अल्लाह के रास्ते में जिहाद के लिए निकला और फिर अल्लाह के रास्ते में शहीद हो गाया। (सही अत्तर्गीबः 1150)

3- इन दस दिनों में बहुत सी इबादतें एकात्र होती हैं। जो वर्ष दुसरे दिनों में एकट्ठा नहीं होती हैं। जैसे की नमाज़ें, रोज़ा, दान और सद्क़ा और ज़कात और हज्ज के पवित्र शुभ अवसर।

4- अल्लाह ने इन दस दिनों में ही अल्लाह के घर का हज्ज करना , तर्वीया का दिन, हाजी मिना जाते हैं, उन के जीभ पर अल्लाह की एकेश्वरवाद का गुणगाण होता है। हाजी तल्बीया पुकारते हुए हज्ज के कार्यों की पूर्ति में ब्यस्त होते हैं। इन दस दिनों में ही अरफा का दिन तथा क़ुरबानी का दिन होता है जो क़ुरबानी अल्लाह के पास बहुत प्रिय है। जैसा कि नबी (सल्ल) ने फरमायाः अल्लाह के पास सब से महान दिन क़ुरबानी का दिन है। (सही अल्जामिअः 1064)

5- इन दिनों की फज़ीलत क़ुरआन और हदीस से प्रमाणित होने के कारण बड़े इस्लामी विद्वान इन दिनों में खूब इबादतों में ब्यस्त हो जाते थे और बहुत ज़्यादा इबादतें करते थे। जैसा कि सईद बिन जुबैर (रहिमहुल्लाह अलैहि) के प्रति आता है। जब ज़िल्हिज्जा का महीना आरम्भ हो जाता तो आप बहुत ज़्यादा इबादतों में लग जाते थे कि दुसरों के लिए वैसी इबादत करना असम्भव हो जाता था।

यह सब फज़ीलत ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों की प्रमाणति है। परन्तु क्या हमने इन बहुत ही सर्वश्रेष्ठ दिनों से लाभ उठाया..?, क्या हम ने खूब अल्लाह की इबादत कर के अल्लाह की खुशी प्राप्त करने की कोशिश किया..?

इन महत्वपूर्ण दिनों का सही प्रयोग कर के हम अपनी झोली को नेकियों से भर सकते हैं। केवल मेहनत और अल्लाह की खुशी के लिए नेक कार्य करने की आवश्यक्ता है।

ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों में किये जाने वाले नेक कार्य

निम्न में कुछ महत्व पूर्ण कार्य कर के ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों की बरकतों और नेकियों से हम अपने दामन को भर सकते हैं।

1- नमाज़ः

फर्ज़ नमाज़ों की पाबनदी के साथ सुन्नतों और नफिल नमाज़ें पर हमेशगी की जाए और अल्लाह की नज़्दीकी हासिल करने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा नफ्ली नमाज़ें पढ़ना चाहिये। रसूल (सल्ल) ने फरमायाः ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह के लिए सज्दे करते रहो, यदि तुम अल्लाह के लिए एक सज्दा करते हो तो वह तुम्हारे लिए एक नेकी लिख लेता है और तुम्हारी एक पाप को क्षमा कर देता है। (सही मुस्लिमः 488) इन नफली इबादतों के माध्यम से अल्लाह की नज़्दीकी हासिल की जा सकती है। जैसा कि हदीस क़ुद्सी में अल्लाह का फरमान हैः जो व्यक्ति मेरे भक्तों से दुश्मनी करता है, मैं उस के विरूद्धि से युद्ध की घोषणा करता हूँ, और मेरा दास मेरी नज्दीकी मेरी अनिवार्य की गई कार्य की पूर्ति के माध्यम से प्राप्त करने की कोशीश में लगा रहता है, और मेरा दास नफ्ली वस्तुओं की ज़्यादा अदाएगी के माध्यम से मेरी क़ुर्बत प्रप्त करने की चेष्ठा में लगा रहता है। यहाँ तक कि मैं उस से प्रेम करने लगता हूँ। (सही बुखारीः 6502)

2- रोज़ाः

ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों में रोज़ा रखना भी बहुत पुण्य का कार्य है और उन में से कुछ दिनों के प्रति विशेष रूप नें रोज़ा रखने पर बल दिया गया है और रोज़ा रखना तक्वा का सब से महत्वपूर्ण कारण है। हुनैदा बिन खालिद अपनी पत्नी से हदीस वर्णन करते हैं और उनकी पत्नी कुछ उम्महातुल मूमिनीन से वर्णन करती हैः

كانَ رسولُ اللَّهِ صلَّى اللَّهُ علَيهِ وسلَّمَ يصومُ تسعَ ذي الحجَّةِ ، ويومَ عاشوراءَ ، وثلاثةَ أيَّامٍ من كلِّ شَهْرٍ ، أوَّلَ اثنينِ منَ الشَّهرِ والخميسَ. (صحيح أبي داؤد:، الألباني: 2437

बेशक रसूल (सल्ल) जिल्हिज्जा के नौ दिन, और आशूरा के दिन और प्रत्येक महीने में तीन दिन और प्रत्येक महीने का प्रथम सोमवार तथा जुमेरात का रोज़ा रखा करते थे। (सही अन्नसईः 2416)

इमाम नव्वी कहते हैः ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों में रोज़ा रखना बहुत मुस्तहब है।

3- उम्रा और हज्जः

ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों में किये जाने वाले नेक कर्मों में उम्रा और हज्ज सब से श्रेष्ठ और पूण्य का कार्य है। जैसा कि प्रिय नबी (सल्ल) ने फरमायाः

العمرةُ إلى العمرةِ كفَّارَةٌ لمَا بينَهمَا، والحجُّ المبرورُ ليسَ لهُ جزاءٌ إلا الجنَّةُ .(صحيح البخاري: 1773

एक उम्रा के बाद दुसरा उम्रा करना अपने बीच के पापों का पश्चताप है और हज्जे मबरूर का बदला जन्नत ही है। (सही बुखारीः 1773)

4- अरफा का दिनः

अरफा के दिन के रोज़ा का बहुत महत्व है और नबी (सल्ल) ने खास कर उसका रोज़ा रखने पर सवाब का वादा किया है। जैसा कि नबी (सल्ल) ने फरमायाः मैं आशा करता हूँ, जो भी अरफा का रोज़ा रखता है, उस के एक वर्ष प्रथम और एक वर्ष पिछ्ले के (छोटे) पापों को क्षमा कर दिया जाता है। (सही मुस्लिमः 1162)

परन्तु जो लोग भी हज्ज करते हुए अरफा के मैदान में हो, तो वह अरफा के दिन का रोज़ा नहीं रखेंगे। जैसा कि हदी से प्रमाणित है। क्योंकि नबी (सल्ल) ने अरफा में ठहरते हुए रोज़ा नहीं रखा है।

5- क़ुरबानी का दिनः

बहुत से मुसलमान भाई क़ुरबानी के दिन के महत्व और उसकी श्रेष्ठता की जानकारी नहीं रखते हैं, जिस कारण उस दिन की सर्वश्रेष्ठता और बरकत से वंचित रहते हैं। अल्लामा इब्ने क़य्यिम (रहि0) कहते हैः अल्लाह तआला के पास सब से सर्वश्रेष्ठ दिन और अच्छा दिन क़ुरबानी का दिन है और वह हज्ज का दिन है। जैसा कि नबी (सल्ल) ने फरमायाः अल्लाह के पास सब से अफज़ल दिन क़ुरबानी का दिन है फिर मिना में ठहरने का दिन है। (सही सुनन अबी दाऊदः 1765)

कुछ विद्वान कहते हैं: सब से अफज़ल दिन अरफा का दिन है क्योंकि इस दिन अल्लाह अपने बन्दों से निकट होता है और फरिश्तों से मिना में ठहरने वालों का ज़िक्र करता है। परन्तु सब से महत्व बात है कि एक मुसलमान को पूरे जिल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिनों को सही तरीके से इबादतों, ज़क्रों अज़्कार और भलाइ और पुण्य के कार्य में बिताना चाहिये।

6- अल्लाह की तक्बीर, तह्लील और तहमीदः

ज़्यादा से ज़्यादा इन दस दिनों में अल्लाह की तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करना चाहिये और विशेष रूप में अरफा कि दिन से अधिक से अधिक करना चाहिये और तश्रीक के दिनों (13 ज़िल्हिज्जा के अस्र तक) अल्लाह की तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करना चाहिये। इब्ने उमर (रज़ि) से वर्णन है कि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः अल्लाह के पास सब से महान और अच्छा दिन ज़िल्हिज्जा के आरम्भिक दस दिन हैं, और इस में अल्लाह के पास सब से प्रिय कर्म अल्लाह की तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करना है। (मुस्नद अहमदः 323/9)

इब्ने उमर, अबू हुरैरा इन दिनों में तक्बीर कहते हुए बाज़ारों में निकलते थे और लोग भी उनके साथ बुलन्द आवाज़ से तक्बीर कहते थे। इब्ने उमर (रज़ि) मिना में ठहरते वक़्त अपने खैमे में बुलन्द आवाज़ से तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करते थे और पांचों नमाज़ों के बाद और अपने बिस्तर पर, अपनी सभाओं में , और गूमते टहलते हुए तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करते थे।

(सही बुखारी)

तक्बीर के शब्दः निम्न में तक्बीर, तह्लील और तहमीद बयान करने के शब्द सही हदीस से प्रमाणित हैं।

 

اللهُ أكبرُ اللهُ أكبرُ، لا إلهَ إلا اللهُ ، واللهُ أكبرُ اللهُ أكبرُ، وللهِ الحمد.ُ   (ارواء الغليل: الألباني: 3/125

 

अल्लाहु अक्बर, अल्लाहु अक्बर, ला इलाहा इल्लल्लाह, वल्लाहु अक्बर, अल्लाहु अक्बर, व लिल्लाहिल्हम्द।   (इर्वाउल-ग़लीलः अल्बानीः 125/3)

इस लिए इन बाबरकत दिनों को अल्लाह की खुशी प्राप्त करने में लगाना चाहिये और उन कार्यों से दूर रहना चाहिये जो अल्लाह तआला की नाराजगी का कारण बने। अल्लाह हमें नेक कार्य करने की क्षमता और शक्ति प्रदान करे। आमीन।

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