मुस्जिदों की ओर अधिक क़दम उठानाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जो व्यक्ति जमाअत की नमाज़ के लिए चल कर मस्जिद गया, उसके जाते और आते समय उसके एक क़दम पर एक पाप मिटा दिया जाता और दूसरे क़दम पर एक पुण्य लिखा जाता है।” (अहमद, तबरानी)
जमाअत से फर्ज़ नमाज़ की अदाएगीः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जमाअत की नमाज़ अकेले नमाज़ पर 27 गुना अधिक फ़ज़ीलत रखती है।” (बुख़ारी)
यह कहना कि मैं अल्लाह को रब मान कर, इस्लाम को दीन मान कर और मुहम्मद को नबी मान कर राज़ी हूंः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने कहा कि मैं अल्लाह को रब मान कर, इस्लाम को दीन मान कर और मुहम्मद को नबी मान कर राज़ी हूं उसके लिए जन्नत अनिवार्य हो गई।” (अबू दाऊद)
जिसने सच्चे दिल के साथ अल्लाह से शहादत का सवाल कियाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने सच्चे दिल के साथ अल्लाह तआला से शहादत माँगी, अल्लाह तआला उसे शहीदों के पद तक पहुंचा देगा यधपि वह अपने बिस्तर पर मरे।” (मुस्लिम)
रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहारः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसे यह बात खुश करती हो कि उसकी आजीविका में वृद्धि हो और उसकी आयु लम्बी कर दी जाए उसे चाहिए कि अपने रिश्तेदारों के साथ अच्छा व्यवहार करे।” (अबू दाऊद)
हर फर्ज़ नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़नाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने हर फर्ज़ नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ी उसे जन्नत में प्रवेश करने से मृत्यु के अतिरिक्त कोई चीज़ रोक नहीं सकती।” (तबरानी)
“सुब्हानल्लाहिल अज़ीम व बि हम्दिहि” कहनाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने सुब्हानल्लाहिल अज़ीम व बि हम्दिहि कहा उसके लिए जन्नत में खुजूर का एक वृक्ष लगा दिया जाता है।” (तिर्मिज़ी)
सौ बार सुब्हानल्लाहि व बि हम्दिहि कहनाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने सौ बार कहाः सुब्हानल्लाहि व बि हम्दिहि उसके पाप क्षमा कर दिए जाते हैं यधपि समुद्र की झाग के समान क्यों न हों।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
अल्लाह के रास्ते में एक रोज़ाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने अल्लाह के रास्ते में एक दिन का रोज़ा रखा अल्लाह तआला उसके चेहरे को जहन्नम से सत्तर वर्ष की गति में दूर कर देता है।” (नसाई)
अरफ़ा का रोज़ाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“अरफा के रोज़ा के संबंध में मुझे अल्लाह से उमीद है कि वह एक वर्ष पहले और एक वर्ष बाद के पापों को मिटा देता है।” (तिर्मिज़ी)
ला हौल व ला क़ुव्व,त इल्ला बिल्लाह कहनाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“ला हौल व ला क़ुव्व,त इल्ला बिल्लाह अधिक से अधिक कहा करो, क्यों यह जन्नत के ख़ज़ानों में से एक ख़ज़ाना है।” (तिर्मिज़ी)
सूरः कहफ़ की प्रथम दस आयतें याद करनाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जिसने सूरः कहफ़ के शुरू की दस आयतें याद कर लीं वह दज्जाल के फ़ितने से सुरक्षित रहेगा।” (मुस्लिम)
ज़ुबान और गुप्तांग की सुरक्षाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जो व्यक्ति मुझे अपनी ज़ुबान और गुप्तांग की गारंटी दे दे, मैं उसे जन्नत की गारंटी देता हूं।” (बुख़ारी)
मुलाक़ात के समय मुसाफाः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जब दो मुसलमान परस्पर मिलते हैं और मुसाफा करते हैं तो उनके जुदा होने से पहले उनके पाप क्षमा कर दिए जाते हैं।” (अबू दाऊद)
जिसने ज्ञान प्राप्त करने के लिए यात्र कीः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“जो व्यक्ति दीन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए किसी रास्ते पह चलता है तो अल्लाह उसके लिए जन्नत का रास्ता सरल कर देता है।” (मुस्लिम)
सृष्टि के साथ दया और विनम्रताः
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः
“दया करने वालों पर रहमान दया करता है, धरती वालों पर दया करो आसमान वाला तुम पर दया करेगा।” (अबू दाऊद)