आज हम सब अपने मन एवं मस्तिष्क में दो जगत की यात्रा करेंगे और वहाँ जो चीज़ें हैं उन्हें देखने के बाद हम निर्णय लेंगे कि हम किस जगत में रहना पसंद करेंगे।
प्रथम जगतः जिसकी धरती मुश्क और ज़ाफरान की है। वहाँ बड़े बड़े भवन हैं जिन्हें सोने और चाँदी की ईंटों से बनाया गया है। वहाँ चार नहरें हैं साफ जल की, शुद्ध दूध की,नशा से खाली शराब की, और शुद्ध शहद की। वहाँ बागीचे भी हैं जिसमें बड़े बड़े वृक्ष हैं जिसकी जड़ें सोने की हैं। वहाँ खान-पान की चीज़ें भी हैं जिसे छोटे छोटे सुन्दर बच्चे पेश कर रहे हैं। विभिन्न प्रकार के फल तथा चिड़ियों के गुश्त भी हैं। प्याले भी सोन और चाँदी के हैं। वहाँ चाँद जैसी रूप की महिलायें सोने और रेशम से बने कपड़े पहने सेवा के लिए उपस्थित हैं। मुहम्मद सल्ल0 के प्रवचनों में आता है कि ” वहाँ की एक महिला यदि धरती वालों की ओर झाँक दे तो धरती और आकाश के बीच की सारी चीज़ों को प्रकाशमान कर दे और अपनी खुशबू से भर दे। तथा उनके सर का दो पट्टा दुनिया और उसमें जो कुछ भी है उस से बिहतर है।” (बुखारी)
जी हाँ! यही वह स्थान है जिसके सम्बन्ध में कहा गया कि वहाँ ऐसी ऐसी नेमतें हैं जिन्हें किसी आँख ने देखा नहीं, न किसी कान ने सुना है, और न ही किसी दिल में उनका ख्याल गुज़रा है।
दूसरा जगतः जिसकी धरती आग से दहक रही है, वह आग भी ऐसी है जो दुनिया की आग की तुलना में सत्तर गुना ज्यादा है। वहाँ के निवासी आग की पोशाक पहने हुए हैं। उनके सरों पर खौलता हुआ पानी ऊंडेला जा रहा है। वह चींख रहे हैं, चिल्ला रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है। आँखें खून के आँसू बहा रही हैं। नबी सल्ल0 ने फरमायाः “नरकवासी इतना रोएगें कि यदि उनके आँसूओं में नाव चलाया जाए तो चल पड़े। और वह आँसू की जगह खून रोएंगे।” (हाकिम) जब भूक और प्यास से तड़पने लगेंगे और खाना माँगेंगे तो उनके मुंह में उनके शरीरों से बहने वाले पीप जो आग में जोश मार रहे होंगे उनके मुंह में डाल दिए जाएंगे जिससे उनके पेट की सारी अंतरियाँ पाएखाने के रास्ते से बाहर आ जाएंगी। और काँटेदार खाना “ज़क्क़ुम” भी मुंह में डाल दिया जाएगा। जिसके सम्बन्ध में हदीस में बताया गया है ” यदि ज़क्क़ुम का एक कतरा धरतीवसियों की ओर गिरा दिया जाए तो वह सारी दुनिया वालों के खान-पान की सामग्रियों को नष्ट भर्ष्ट कर दे, तो फिर उसकी क्या स्थिति होगी जिसको इसे खाना होगा।” (तिर्मिज़ी)
यही वह तथ्य था जिसके कारण हमारे प्यारे नबी मुहम्मद सल्ल0 ने फरमायाः ” उस ज़ात की क़सम जिसके कब्ज़े में मेरी जान है यदि तुम वह जानते जिसे मैं जानता हूं तो रोते ज्यादा और हंसते कम”
अन्तिम बातः हमने दोनो जगत की यात्रा की। एक में आराम ही आराम है और दूसरे में परेशानी ही परेशानी है। अब हमें निर्णय लेना है कि हम किसमें जाना पसंद करेंगे। ज़ाहिर है हम में का हर व्यक्ति पहले जगत में जाना पसंद करेगा और दूसरे जगत से पनाह माँगेगा। पहले जगत का नाम जन्नत (स्वर्ग) है और दूसरे जगत का नाम जहन्नम (नरक) है। यदि हम जन्नत में जाने और जहन्नम से बचने के इच्छुक हैं तो हमें सदैव यह याद रखना होगा कि ” जन्नत को तबियत पर सख्त गुज़रने वाली चीज़ों से ढ़ांप दिया गया है और जहन्नम को शहवतो (सहवास) से ढ़ाँप दिया गया है।” फिर हमें वह काम करने होंगे जो जन्नत में ले जाने का माध्यम हैं। तो लीजिए इनमें से कुछ माध्यम का ज्ञान प्राप्त कीजिए मुहम्मद सल्ल0 के निम्नलिखित बहुमूल्य प्रवचनों की रोशनी में
(1) ” अल्लाह से डरो,पाँच समय की नमाज़ें पढ़ो, रमज़ान के रोजे रखो, अपने माल की ज़कात दो, और अपने हाकिम की इताअत करो तो अपने रब की जन्नत में चले जाओगे” (मुस्लिम)
(2) “जिसने रात और दिन में 12 रकअत (फर्ज़ नमाज़ों के अतिरिक्त) सुन्नत नमाज़ें पढ़ी अल्लाह तआला उसके लिए जन्नत में घर बनाता है” (मुस्लिम)
(3) ” ऐ लोगो !सलाम को फैलाओ, (निर्धनों को ) खाना खिलाओ, रिश्तेदारों की सहायता (सिला रहमी) करो, जब लोग सो रहे हों तो नमाज़ पढ़ो जन्नत में शान्ति के साथ दाखिल हो जाओगे।” (तिर्मिज़ी)
(4) ” उस आदमी के नाम में मिट्टी लगे, उस आदमी के नाम में मिट्टी लगे, उस आदमी के नाम में मिट्टी लगे (अर्थात उसकी बर्बादी हो) जिसने अपने माता-पिता अथवा उनमें से किसी एक को बुढ़ापे में पाया और जन्नत में न दाखिल हो सका”। (मुस्लिम)