ब्याज खाना महा पाप है

सूद का पापब्याज खाना भी महा पापों में से है जिसे अल्लाह तआला और उसके रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने वर्जित किया है। ब्याज या सूदः प्रत्येक वह वस्तु जो कर्ज़ के बदले या एक ही जैसी वस्तु के अदले बदले के समय ज़्यादा कर के लिया जाए सूद और ब्याज कहलाता है। अर्थातः कर्ज़ या उधार के बदले लिया गया लाभ सूद कहलाता है।

ब्याज का शरई आदेशः

अल्लाह तआला ने प्रत्येक प्रकार के सूदी लैन दैन को अवैध किया है और सूदी लैन दैन को फौरन छोड़ने का आदेश दिया है और जो अल्लाह के आदेश का पालन करेगा, ऐसे ही लोग सफल होंगे। अल्लाह का फरमान हैः

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا لَا تَأْكُلُوا الرِّ‌بَا أَضْعَافًا مُّضَاعَفَةً ۖ وَاتَّقُوا اللَّـهَ لَعَلَّكُمْ تُفْلِحُونَ. (سورة آل عمران: 130

ऐईमान लाने वालो! कई कई गुणा बढ़ा कर ब्याज न खाओ, और अल्लाह का डर रखो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो।   (सूरह आले इमरानः 130)

ब्याज खोरों पर अल्लाह की लानतः

सूदी व्यापार में लिप्त प्रत्येक व्यक्ति पापी और गुनाहगार होता है और ब्याज व्यापार से सम्बन्धित प्रत्येक व्यक्ति महा पाप में बराबर के भागिदार होंगे।  जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने चेतावनी दिया है।

لعن رسولُ اللهِ صلَّى اللهُ عليهِ وسلَّمَ آكلَ الربا، ومُوكِلَه، وكاتبَه، وشاهديْه، وقال: هم سواءٌ. –  صحيح مسلم: 1598

जाबिर बिन अब्दूल्लाह (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ब्याज खाने वाले और ब्याज देने वाले और उसके लिखने वाले और उस पर गवाही देने वाले पर लानत की बद्दुआ किया  (अल्लाह की फिटकार) है और फरमाया कि यह लोग पाप में सब बराबर हैं।  (सही मुस्लिमः 1598)

ब्याज खोरों का अल्लाह के साथ युद्धः

बल्कि जो लोग भी ब्याज के प्रति अल्लाह का आदेश आ जाने के बावजूद ब्याज खाते हैं, तो ऐसे लोगों को अल्लाह से युद्ध करने के लिए तैयार रहना चाहिये। जैसा कि अल्लाह ने घौषणा किया है।

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اتَّقُوا اللَّـهَ وَذَرُ‌وا مَا بَقِيَ مِنَ الرِّ‌بَا إِن كُنتُم مُّؤْمِنِينَ- فَإِن لَّمْ تَفْعَلُوا فَأْذَنُوا بِحَرْ‌بٍ مِّنَ اللَّـهِ وَرَ‌سُولِهِ ۖ وَإِن تُبْتُمْ فَلَكُمْ رُ‌ءُوسُ أَمْوَالِكُمْ لَا تَظْلِمُونَ وَلَا تُظْلَمُونَ. –  سورة البقرة: 279

ऐ ईमान लाने वालो! अल्लाह का डर रखो और जो कुछ ब्याज बाक़ी रह गया है, उसे छोड़ दो, यदि तुम मूमिन हो- फिरयदि तुम ने ऐसा न किया तो अल्लाह और उसके रसूल से युद्ध के लिए तैयार होजाओ। और यदि तौबा कर लो तो अपना मूलधन लेने का तुम्हें अधिकार है। न तुम अन्याय करो और न तुम्हारे साथ अन्याय किया जाए। (सूरह बकराः अल् 279)

ब्याज खोरी का पापः

ब्याज खोरी के महा पाप का अनुमान इस से लगाए कि जानबूझ कर एक दिर्हिम (पहले चांदी का सिक्का चलता था) ब्याज खाना 36 बार व्याभीचार करने के पाप के बराबर है। इस हदीस पर विचार करें।

دِرهمُ رِبًا يأكلُه الرجلُ، و هو يعلمُ، أشدُّ عندَ اللهِ من سِتَّةٍ و ثلاثِينَ زَنْيةً. – صحيح الجامع: 3375

आदमी एक दिर्हम सूद जानते हुए खाता है, तो यह पाप अल्लाह के पास 36 बार व्याभीचार करने से ज़्यादा बड़ा पाप है। (सही अल-जामिअः 3375)

ब्याज खोरी के अति घृणा कार्य को यह हदीस स्पष्ट करती हैं। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने ब्याज खाने वाले के बुरे कार्य को एक उदाहरण से समझाया है। ताकि ब्याज खोरी से दूर रहा जाए। इस हदीस पर विचार करें।

الربا ثلاثةٌ وسبعونَ بابًا، وأيسرُها مثلُ أنْ ينكِحَ الرجلُ أمَّهُ، و إِنَّ أربى الرِّبا عرضُ الرجلِ المسلمِ. – صحيح الجامع: 3539

सूद के तेहत्तर शाखाएँ हैं। और उस का सब से छोटा शाख यह कि मानव अपने माता से व्याभीचार करे, और एक मुस्लिम की इज़्तु आब्रू से खेलवाड़ बहुत बड़ा पाप है।  (सही अल-जामिअः 3539)

ब्याज खोरों का अन्जामः

क़ियामत के दिन सूद खोरों का कोई मददगार और सहायक नहीं होगा। पागलों की तरह इधर उधर भटक रहा होगा। क्योंकि ब्याजखोर दुनिया में अल्लाह के आदेश का पालन नहीं किया था। बल्कि अल्लाह के आदेश की अवहिलना करते हुए ब्याज खाया था, जिस कारण क़ियामत के दिन वह पागलों की तरह इधर उधर भटकेगा। जैसा कि अल्लाह तआला ने खबर दिया है।

الَّذِينَ يَأْكُلُونَ الرِّ‌بَا لَا يَقُومُونَ إِلَّا كَمَا يَقُومُ الَّذِي يَتَخَبَّطُهُ الشَّيْطَانُ مِنَ الْمَسِّ ۚ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَالُوا إِنَّمَا الْبَيْعُ مِثْلُ الرِّ‌بَا ۗ وَأَحَلَّ اللَّـهُ الْبَيْعَ وَحَرَّ‌مَ الرِّ‌بَا ۚ فَمَن جَاءَهُ مَوْعِظَةٌ مِّن رَّ‌بِّهِ فَانتَهَىٰ فَلَهُ مَا سَلَفَ وَأَمْرُ‌هُ إِلَى اللَّـهِ ۖ وَمَنْ عَادَ فَأُولَـٰئِكَ أَصْحَابُ النَّارِ‌ ۖ هُمْ فِيهَا خَالِدُونَ. –  سورة البقرة: 275

जोलोग ब्याज खाते है, वे बस इस प्रकार उठते है जिस प्रकार वह क्यक्ति उठताहै जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो और यह इस लिए कि उनका कहना है, “व्यापार भी तो ब्याज के सदृश है,” जबकि अल्लाह ने व्यापार को वैध और ब्याजको अवैध ठहराया है। अतः जिसको उसके रब्ब की ओर से नसीहत पहुँची और वह बाज़ आगया, तो जो कुछ पहले ले चुका वह उसी का रहा और मामला उसका अल्लाह के हवालेहै। और जिसने फिर यही कर्म किया तो ऐसे ही लोग आग (जहन्नम) में पड़ नेवालेहै। उस में वे सदैव रहेंगे। (सूरह अल-बक़राः 275)

ब्याज खान उन पापों में से जिन्हें माफी नहीं है। जैसा कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सूचित किया है।

إياك والذنوبَ التي لا تُغفَرُ، ( وفي رواية : وما لا كفارةَ من الذنوبِ ) ، فمن غَلَّ شيئًا أُتِيَ به يومَالقيامةِ ، وأكلَ الرِّبا ؛ فمن أكلالرِّبا بُعِثَ يومَالقيامةِ مجنونًا يتخبَّطُ ، ثم قرأ : الَّذِينَ يَأْكُلُونَ الرِّبَا لَا يَقُومُونَ إِلَّا كَمَا يَقُومُ الَّذِي يَتَخَبَّطُهُ الشَّيْطَانُ مِنَ الْمَسِّ. [البقرة : 275]. –   السلسلة الصحيحة: 3313

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः उन पापों स बहुत दूर रहो जिन्हें क्षमा नहीं किया जाता है। (दुसरी रिवायत में इस प्रकार हैः और जिन पापों से प्रायाश्चाताप नहीं है), जिस ने माले गनीमत में से कुछ चोरी किया तो क़ियामत के दिन उसे ले कर आएगा। और ब्याज खोरों और जिस ने ब्याज खाया तो क़ियामत के दिन पागलों और लड़खड़ा कर चलने वालों की तरह उठाया जाएगा। फिर यह आयत तिलावत कियाः जोलोग ब्याज खाते है, वे बस इस प्रकार उठते है जिस प्रकार वह क्यक्ति उठताहै जिसे शैतान ने छूकर बावला कर दिया हो। (सूरह अल-बक़राः 275) – अस्सिल्सिला अस्सहीहाः शैख अल्बानीः 3313)

अल्लाह तआला हमें और आप को शक्ति और तौफीक दे कि हम ब्याज और सूद की लानत और पापों से सुरक्षित रह सकें। ऐ अल्लाह अपने कृपा से हमे इस से सुरक्षित रख। आमी।।।।।।।न

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