नबी (सल्ल0) के अख्लाक़

अच्छे आचारलेखकः मुहम्मद शाहनवाज

इस्लामिक जीवन में अच्छे आचार तथा व्यवहार बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसी कारण इस्लाम ने अच्छे आचरण और स्वभावी व्यक्तियों को उच्च स्थान पर स्थापित किया है। उत्तम व्यवहार एवं सुन्दर आचार एक आदर्श समाज की पूर्निर्माण के लिए ईंट का काम करती है और सुन्दर संस्कृति की निर्माण के लिए ठोस नीव है। अच्छे व्यवहार की ओर सर्व नबियों, रसूलों ने आमंत्रण किया है।

नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने अनुयायियों को प्रत्येक उत्तम व्यवहार और स्वभाव का शिक्षण दिया और अशुद्ध आचार से दूर रहने का आदेश दिया। यही कारण कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने प्रवचनों, उत्तम व्यवहार, शुद्ध आचार तथा सर्वश्रेष्ट चरित्र से अच्छे अख्लाक ओर लोगों को पूरी जीवन निमंत्रण करते रहे और अपने प्रवचनों से खुले शब्दों में कह दिया कि मेरे नबी बना कर भेजे जाने का लक्ष्य ही उत्तम आचार का प्रचार करना है। मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन है।

  إنما بعثت لاأتمم مكارم الأخلاق.     السلسة الصحيحة للشيخ الألباني: 45.

निःसंदेह मुझे केवल इसी लिए भेजा गया कि मैं उत्तम आचार की ओर बुलाता रहूँ ” (मुस्नद अहमद )

जब मानव का आचार अच्छा होगा तो उसका ईमान भी सम्पूर्ण होगा और उस के जन्नत में प्रवेश होने की संभावना भी अधिक होगी जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन है,

” وعن أبي هريرة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال : أكمل المومنين ايمانا أحسنهم خلقا و خياركم خياركم لنسائهم خلقا “ – أخرجه أحمد والترمذي

अर्थातः अबू हुरैरा (रज़ी अल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” सब से सम्पूर्ण और सर्वश्रेष्ट मुस्लिम वह है जो व्यवहार के अनुसार सब से अच्छा हो और तुम में से उत्तम वह है जो अपनी पत्नियों के साथ अच्छा व्यवहार करे।” (सुनन तिर्मज़ी और मुस्नद अहमद)

इसी प्रकार जो लोग अच्छे व्यवहार के साथ जीवन गुज़ारते हैं और उत्तम आचार के साथ लोगों से मिलते जुलते हैं, लोगों को किसी प्रकार का तकलीफ नही देते, उन्हें कष्ठ नहीं पहुंकाते तो ऐसा व्यक्ति क़ियामत के दिन नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के निकट्तम होंगे जैसा कि जाबिर बिन अब्दुल्लाह से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः

إن من أحبكم إليّ و أقربكم مني مجلسا يوم القيامة أحاسنكم أخلاقا “ – أخرجه الترمذي وحسّنه

मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथी जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ी अल्लाह अन्हुमा) कहते है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” निः संदेह क़ियामत के दिन तुम मेरे पास ज्यादा प्रिय और बैठक के अनुसार ज्यादा नज्दीक होंगे जो अच्छे और उत्तम आचार वाले होंगे।”   (सुनन तिर्मिज़ी)

उत्तम आचार, उम्दा मेल-जोल, मीठे बोल-चाल के माध्यम से एक मूमिन हमेशा रोज़ा रखने वाले, हमेशा नमाज़ पढ़ने वाले के पद को पा सकता है। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फरमान हैः”

وعن عائشة رضي الله عنها قالت سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يقول ” إن المؤمن ليدرك بحسن خلقه درجة الصائم والقائم ” -( أخرجه ابوداؤد والحاكم

इस हदीस का अर्थः बेशक मूमिन अपने अच्छे आचरण और शुद्ध व्यवहार से हमेशा रोज़ा रखने वाले, हमेशा नमाज़ पढ़ने वाले के स्थान को पा सकता है।

इसी तरह क़ियामत के दिन तराज़ू में सब से भारी चीज़ अच्छा आचार, उत्तम चरित्र ही होगा। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फरमान है”

وعن أبي الدرداء رضي الله عنه أن النبي صلى الله عليه وسلم قال ” ما من شيئ أثقل في ميزان العبد المؤمن يوم القيامة من حسن الخلق وان الله يبغض الفاحش البذي “– ( أخرجه الترمذي

 इस हदीस का अर्थातः अबू दरदा (रज़ी अल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” मूमीन बन्दों के तराज़ू में क़ियामत के दिन सब से भारी चीज़ अच्छे अख्लाक होंगे और अल्लाह तआला बद खुलुक दुराचार तथा दुर्व्यवहार वाले से घृणा करता है।”     (सुनन तिर्मिज़ी)

अल्लाह तआला भी उन लोगों से प्रेम करता है जो अच्छे चरित्र वाले होता है और अल्लाह की ओर से मानव को सब से उत्तम चीज़ वर्दान की जाती है, वह अच्छा व्यवहार , सुन्दर आचार और बेह्तरीन चरित्र है।  जैसा कि हदीस में आया है।

قالوا : يا رسول الله ! ما خير ما اعطي الإنسان ؟ قال ” الخلق الحسن “- ( صحّحه العلامة الألباني

लोगों ने प्रश्न किया. ऐ अल्लाह के रसूल! लोगों को सब से अच्छी चीज़ कौन सी वर्दान की जाती है तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया। अच्छे व्यवहार”- (अलबानी ने सही कहा है।)

जो लोग अच्छे चरित्र वाले होते हैं, स्वभाव को अपनी जीवन का अटूट हिस्सा बना लेते हैं, लोगों के प्रति उसका हृदय नरम होता है, अच्छे व्यवहार से मिलते जुलते हैं तो ऐसे लोगों के लिए जन्नत (स्वर्ग) की गारेन्टी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने लिया है

وعن أبي أمامة الباهلي رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال:” أنا زعيم ببيت في ربض الجنة لمن ترك المراء وإن كان محقا ، وببيت في وسط الجنة لمن ترك الكذب وإن كان مازحا ، وببيت في أعلى الجنة لمن حسن خلق ” -(الترغيب والترهيب للمنذري

हदीस का अर्थः अबु उमामा बाहली (रज़ियल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” मैं उस व्यक्ति के लिए जन्नत (स्वर्ग) के निच्ले हिस्से की जिम्मेदारी लेता हूँ जो हक्दार होने के बावजूद झग्ड़ा लड़ाइ छोड़ दे और मैं उस व्यक्ति के लिए जन्नत (स्वर्ग) के बीचवाले हिस्से की जिम्मेदारी लेता हूँ जो हंसी-मज़ाक में भी झूट बोलना छोड़ दे, और मैं उस व्यक्ति के लिए जन्नत (स्वर्ग) के उच्च स्थान की जिम्मेदारी लेता हूँ जिसका चरित्र, व्यवहार, स्वभाव अच्छा होजाए। (तरगीब व तरहीब)

सुब्हानल्लाह, कितना बड़ा स्थान है और क्या ही शुभ सूचना है, उन व्यक्तियों के लिए जो उत्तम व्यवहार, सुन्दर आचार, अच्छे अख्लाक़ और उम्दा चरित्र वाले होते हैं। यही कारण है कि संसारिक जीवन और पारलौकिक जीवन की सफलता केवल मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के आदर्शनीय जीवन के अनुसार जीवन बिताने पर निर्भर करता है। जीवन के हर मोड़ पर मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को अपना आदर्श माना जाए, क्योंकि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अमल कर के क़ुरआन का व्याख्या किया है, अल्लाह तआला ने क़ुरआन मजीद में मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के महामहानतम अख्लाक को बयान किया,

(وإنّك لعلى خلق عظيم  “- ( القلم : 4

इस आयत का अर्थातः और बेशक आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अख्लाक़ के बड़े मरतबे पर स्थापित हो,

प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के अख्लाक़ के प्रति आईशा (रज़ी अल्लाह अन्हा) से प्रश्न किया गया तो आईशा (रज़ी अल्लाह अन्हा) ने उत्तर दिया कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का अख्लाक ही क़ुरआन था।

इतने उच्च आचार और उत्तम व्यवहार के मालिक होने के बावुजूद आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) अल्लाह से प्रार्थना करते थे कि मेरे अख्लाक को उत्तम से उत्तम कर दे,

عن عبدالله بن مسعود  رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم كان يقول: ” اللهم أحسنت خلقي فأحسن خلقي “- (  مسند أحمد )

हदीस का अर्थः अबदुल्लाह बिन मस्ऊद (रज़ी अल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह से हमेशा दुआ मांगते थे ” ऐ अल्लाह! जिस तरह तू ने मेरे रूपरेखा को अति सुन्दर बनाया है उसी तरह मेरे आचार, व्यवहार को अति सुन्दर कर दे। –    ( मुस्नद अहमद ,

अल्लाह तआला ने क़ुरआन मजीद में खुले शब्दों में मानव को आदेश दे दिया कि यदि तुम अल्लाह और अन्तिम दिन पर विश्वास और ईमान रखते हो तो रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के अनुसार जीवन गुज़ारो और इसी में तुम्हारी सफलता है। अल्लाह का कथन है।

لقد كان لكم في رسول الله أسوة حسنة لمن كان يرجو الله و اليوم الآخر وذكرالله كثيرا (الأحزاب: 21)

अर्थः “ वास्तव में तुम लोगों के लिए अल्लाह के रसूल में एक उत्तम आदर्श है प्रत्येक उस व्यक्ति के लिए जो अल्लाह और अन्तिम दिन की आशा रखता है और अल्लाह को ज़्यादा याद रखता है

प्रिय मित्रो, अच्छे आचार, सुन्दर स्वभाव केवल पढ़ने–लिखने की चीज़ नहीं और न ही कहानिया हैं जिसे केवल बयान किया जाए और ईच्छाए हैं जिस की कल्पना की जाए बल्कि यह अल्लाह पर विश्वास तथा ईमान से प्राप्त होता है।

अल्लाह पर ईमान पेड़ है तो अच्छा अख्लाक़ उसका फल, यदि ईमान बिल्डिंग की नीव है तो अच्छे अख्लाक़ उसकी इमारत, जब भी अख्लाक, व्यवहार, आचार अच्छा होगा, ईमान ज़्यादा होगा और अख्लाक बिग्ड़ेगा, आचार अशुद्ध होगा तो ईमान कमज़ोर होगा,

इसी लिए एक मुस्लिम की परिभाषा यह की गइ है जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का कथन है।

” المسلم من سلم المسلمون من لسانه ويده ”  ( أخرجه : الترمذي )

“ मुसलमान वह है जिस के हाथ तथा ज़ुबान के शड़यंत्र से दुसरे मुसलमान सुरक्षित रहे”।     (सुनन तिर्मिज़ी)

और एक व्यक्ति उसी समय जन्नत का मुस्तहिक़ होगा जब उसका आचरण, व्यवहार, स्वभाव अतिसुन्दर हो और उस के पड़ोसी उस से परसन्न हो, यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार तथा चरित्र सुन्दर न हो, वह अपने पड़ोसियों को परीशान करता हो, उसके पड़ोसी उस से अपरसन्न हो तो ऐसा व्यक्ति जहन्नम (नरक) में जाऐगा जैसा कि अबू हुरैरा (रज़ियल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) से एक व्यक्ति ने प्रश्न किया कि ऐ अल्लाह के रसूल! फलाँ महिला बहुत नमाज़ पढ़ती, बहुत रोज़ा रखती और बहुत ज़्यादा दान करती परन्तु उस के पड़ोसी उस महिला से बहुत परीशान हैं। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” वह जहन्नम (नरक) में जाऐगी, तो फिर उस व्यक्ति ने प्रश्न किया कि ऐ अल्लाह के रसूल ! फलाँ महिला केवल फर्ज़ (अनिवार्य़) नमाज़ पढ़ती, केवल फर्ज़ (अनिवार्य़) रोज़ा रखती और केवल फर्ज़ (अनिवार्य़) दान देती परन्तु उस के पड़ोसी उस महिला से बहुत ज़्यादा प्रसन्न हैं। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” वह जन्नत में जाऐगी”

अतः अच्छे अखलाक़, स्वभाव तथा उत्तम आचार के कारण ही हम अपने पारलोकिक जीवन को सफलपूर्वक बना सकते हैं और दूर्व्यवहार, अशुद्ध आचार के कारण हम अपने पारलोकिक जीवन को नष्ठ कर सकते हैं। निर्णय तथा कर्म करना हमारे हाथ में है।  जैसे कार्य और कर्तव्य करेंगे, वैसा ही फल और पुरस्कार प्राप्त करेंगे।

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