रमज़ान के रोज़े छोड़ना महा पाप है

रमज़ान महीने का रोज़ा छोड़ना भी महा पाप है।रमज़ान महीने का रोज़ा बिना किसी धार्मिक उचित कारण के छोड़ना बहुत बड़ा पाप है। जिस में लिप्त व्यक्ति को सख्त अज़ाब में ग्रस्त किया जाएगा। यदि वह रमज़ान के रोज़े की अनिवार्यता का इन्कार करते हुए रोज़ा छोड़ता है, तब तो वह इस्लाम की सिमा से निकल जाएगा, वह मुस्लिम नहीं रहेगा। क्योंकि रमज़ान के महीने का रोज़ा रखना इस्लाम के पांच अरकारन में से एक रुक्न है। जिस का इन्कार, इस्लाम धर्म का इन्कार है। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने रमज़ान के रोज़े के रुक्न होने के प्रति फरमायाः

بُنِي الإسلامُ على خمسٍ: شَهادةِ أن لا إلهَ إلا اللهُ و أنَّ محمدًا رسولُ اللهِ، وإقامِ الصلاةِ، وإيتاءِ الزكاةِ، والحجِّ، وصومِ رمضانَ. صحيح البخاري: 8 وصحيح مسلم: 16)

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः इस्लाम की बुन्याद पाँच वस्तुओं पर आधारित हैं: कल्मा शहादतः ला इलाहा इल्लल्लाह और मुहम्मदुर्- रसूलुल्लाह की गवाही देना, और नमाज़ काईम करना और ज़कात देना और हज्ज अदा करना और रमज़ान का रोज़ा रखना। (सही बुखारीः 8 व सही मुस्लिमः 16)

तो प्रत्येक मुसलमान को इन पाँच वस्तुओं पर ईमान और आस्था रखते हुए अमल करना अनिवार्य है। यदि कोई व्यक्ति रमज़ान के रोज़े की अनिवार्यता का प्रतिज्ञा करते हुए सुस्ती और आलस से छोड़ता है। या भूख पर सब्र नहीं करते हुए रोज़ा नहीं रखता तो बहुत बड़े पाप में लिप्त हो गया। इस हदीस से रमज़ान का रोज़ा छोड़ने की गम्भीरता पर विचार करें।

हदीस बहुत विस्तार से वर्णित है, परन्तु उसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः मैं सोया हुआ था कि दो व्यक्ति (फरिश्ते) मेरे पास आए। और मुझे ले कर बहुत ऊंचे और कठिन रास्ते वाले पहाड़ी इलाके में लाए और कहा, इस पहाड़ पर चढ़ो, तो मैं ने उत्तर दिया, मैं इस पर्वत पर नहीं चढ़ सकता, तो उन्हों ने उत्तर दिया कि हम तुम्हारी सहायता करेंगे। तो जब हम बीच पहाड़ पर पहुंचे तो बहुत ही सख्त प्रकार की चीखने चिल्लाने की आवाज़ आई, तो मैं ने कहाः यह किन लोगों के चीखने चिल्लाने की आवाज़ है ?, तो उन फरिश्तों ने उत्तर दियाः यह जहन्नम वासियों के चीखने चिल्लाने की आवाज़ है। ………………. तो मुझे ले कर वह लोग चले, तो मैं ने देखाः कुछ लोगों को पाँव के बल उलटा लटका दिया गया है और उन के जबरों को चीर दिया गया है, जिस से खून बहता है। तो मैं ने कहाः यह कौन लोग हैं ?, तो उन फरिश्तों ने उत्तर दियाः यह वह लोग हैं जो रोज़ा खोलने का समय होने से पहले ही रोज़ा खोल लिया करते थे।  (सही अत्तर्गीब वत्तर्हीबः अल्लामा अल्बानीः 2392)

जो लोग रमज़ान महीने का रोज़ा रखते थे परन्तु रोज़ा खोलने का समय होने से पहले ही रोज़ा खोल लेते थे। जिस कारण उन्हें जहन्नम में दाखिल कर के, इस प्रकार की सख्त तरीन सजा दी जा रही थी। तो जो लोग सिरे से रमज़ान महीने का रोज़ा नहीं रखते हैं। तो उन्हें किस कदर सख्त से सख्त सज़ा दिया जाएगा, जिस की कल्पना भी नहीं की जा सकता है।

अल्लाह हमें और आप को जहन्नम से सुरक्षित रखें और जन्नत में दाखिल करने वाले कार्य करने की शक्ति प्रदान करें। आमीन।

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