शबे क़द्र

शबे कदररमज़ान महीने में एक रात ऐसी भी आती है, जो हज़ार महीने की रात से बेहतर है। जिसे शबे क़द्र कहा जाता है। शबे क़द्र का अर्थ होता हैः ” सर्वश्रेष्ट रात “, ऊंचे स्थान वाली रात”, लोगों के नसीब लिखी जानी वाली रात।

शबे क़द्र बहुत ही महत्वपूर्ण रात है, जिस के एक रात की इबादत हज़ार महीनों (83 वर्ष 4 महीने) की इबादतों से बेहतर और अच्छा है। इसी लिए इस रात की फज़ीलत क़ुरआन मजीद और प्रिय रसूल मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) की हदीसों से प्रमाणित है।

क़द्र वाली रात का महत्वः

(1)  इस पवित्र रात में अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम को लोह़ महफूज़ से आकाश दुनिया पर उतारा फिर 23 वर्ष की अवधि में आवयश्कता के अनुसार मुहम्नद ( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) पर उतारा गया। जैसा कि अल्लाह तआला का इर्शाद है। ” हम्ने इस (क़ुरआन) को क़द्र वाली रात में अवतरित किया है।……..” (सुराः क़द्र)

(2)  यह रात अल्लाह तआला के पास बहुत उच्च स्थान रखता है। इसी लिए अल्लाह तआला ने प्रश्न के तरीके से इस रात की महत्वपूर्णता बयान फरमाया है और फिर अल्लाह तआला स्वयं ही इस रात की फज़ीलत को बयान फरमाया कि यह एक रात हज़ार महीनों की रात से उत्तम है।     ” और तुम किया जानो कि क़द्र की रात क्या है ?, क़द्र की रात हज़ार महीनों की रात से ज़्यादा उत्तम है।” (सुरहः क़द्र)

(3)  इस रात में अल्लाह तआला के आदेश से अन्गीनित फरिश्ते और जिबरील आकाश से उतरते है। अल्लाह तआला की रहमतें, अल्लाह की क्षमा ले कर उतरते हैं। इस से भी इस रात की महत्वपूर्णता मालूम होती है। जैसाकि अल्लाह तआला का इर्शाद हैः ” फ़रिश्ते और रूह उस में अपने रब्ब की आज्ञा से हर आदेश लेकर उतरते हैं।” (सुरहः क़द्र)

(4)  यह रात बहुत सलामती वाली है। इस रात में अल्लाह की इबादत में ग्रस्त व्यक्ति परेशानियों, ईश्वरीय संकट से सुरक्षित रहते हैं। इस रात की महत्वपूर्ण, विशेषता के बारे में अल्लाह तआला ने क़ुरआन करीम में बयान फरमाया हैः ” यह रात पूरी की पूरी सलामती है उषाकाल के उदय होने तक। ” (सुराः क़द्र)

(5)   यह रात बहुत ही पवित्र तथा बरकत वाली हैः इस लिए इस रात में अल्लाह की इबादत की जाए, ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से दुआ की जाए, अल्लाह का फरमान हैः ” हम्ने इस (क़ुरआन) को बरकत वाली रात में अवतरित किया है।…….. ” (सुरहः अद् दुखान )

(6)   इस रात में अल्लाह तआला के आदेश से लोगों के नसीबों (भाग्य) को एक वर्ष के लिए दोबारा लिखा जाता है। इस वर्ष किन लोगों को अल्लाह तआला की रहमतें मिलेंगी ? यह वर्ष अल्लाह की क्षमा का लाभ कौन लोग उठाएंगे ?, इस वर्ष कौन लोग अभागी होंगे ?, किस को इस वर्ष संतान जन्म लेगा और किस की मृत्यु होगी ? तो जो व्यक्ति इस रात को इबादतों में बिताएगा, अल्लाह से दुआ और प्रार्थनाओं में गुज़ारेगा, बेशक उस के लिए यह रात बहुत महत्वपूर्ण होगी । जैसा कि अल्लाह तआला का इरशाद हैः ” यह वह रात है जिस में हर मामले का तत्तवदर्शितायुक्त निर्णय हमारे आदेश से प्रचलित किया जाता है। ” (सुराः अद् दुखानः5 )

(7)    यह रात पापों, गुनाहों, गलतियों से मुक्ति और छुटकारे की रात है। मानव अपनी अप्राधों से मुक्ति के लिए अल्लाह से माफी मांगे, अल्लाह बहुत ज़्यादा माफ करने वाला, क्षमा करने वाला है। खास कर इस रात में लम्बी लम्बी नमाज़े पढ़ा जाए, अधिक से अधिक अल्लाह से अपने पापों, गलतियों पर माफी मांगा जाए, अल्लाह तआला बहुत माफ करने वाला, क्षमा करने वाला है। जैसा कि मुहम्मद ( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) का कथन हैः ” जो व्यक्ति शबे क़द्र में अल्लाह पर विश्वास तथा पुण्य की आशा करते हुए रातों को तरावीह (क़ियाम करेगा) पढ़ेगा, उसके पिछ्ले सम्पूर्ण पाप क्षमा कर दिये जाएंगे।” ( बुखारी तथा मुस्लिम)

यह महान क़द्र की रात कौन सी है?

यह अल्लाह की ओर से एक प्रदान रात है जिस की महानता के बारे में कुछ बातें बयान की जा चुकी हैं। इसी शबे क़द्र को तलाशने का आदेश प्रिय रसूल( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने अपने कथन से दिया है। ” जैसा कि आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) वर्णन करती हैः ” रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” कद्र वाली रात को रमज़ान महीने के अन्तिम दस ताक रातों में तलाशों ” (बुखारी तथा मुस्लिम)

एक हदीस में रमज़ान करीम की चौबीसवीं रात में शबे क़द्र को तलाशने का आज्ञा दिया गया है। और प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने इस मुबारक रात की कुछ निशानियाँ बताया है। जिस के अनुसार वह रात एकीस रमज़ान की रात थीं जैसा कि प्रिय रसूल के साथी अबू सईद अल खुद्री (रज़ियल्लाहु अन्हु) वर्णन करते हैं। प्रिय रसूल के दुसरे साथी अब्दुल्लाह बिन अनीस (रज़ियल्लाहु अन्हु) की रिवायत से पता चलता कि वह रात तेईस रमज़ान की रात थीं और अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) तथा उबइ बिन कअब (रज़ियल्लाहु अन्हु) की रिवायत से पता चलता कि वह रात सत्ताईस रमज़ान की रात थीं। और उबइ बिन कअब (रज़ियल्लाहु अन्हु) तो कसम खाया करते थे कि शबे क़द्र सत्ताईस रमज़ान की रात है। तो उन के छात्र ने प्रश्न किया कि किस कारण इसी रात को कहते हैं? तो उन्हों ने उत्तर दिया, निशानियों के कारण, प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम )ने भी शबे क़द्र को अन्तिम दस ताक वाली (21, 23, 25,27, 29) रातों में तलाशने का आदेश दिया है। शबे क़द्र के बारे में जितनी भी हदीस की रिवायतें आइ हैं। सब सही बुखारी ,सही मुस्लिम और सही सनद से वर्णन हैं। इस लिए हदीस के विद्ववानों ने कहा है कि सब हदीसों को पढ़ने के बाद मालूम होता है कि शबे क़द्र हर वर्ष विभिन्न रातों में आती हैं। कभी 21 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 23 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 25 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 27 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती, तो कभी 29 रमज़ान की रात क़द्र वाली रात होती और यही बात सही मालूम होता है। इस लिए हम इन पाँच बेजोड़ वाली रातों में शबे क़द्र को तलाशें और बेशुमार अज्रो सवाब के ह़क़्दार बन जाए।

शबे क़द्र की निशानीः

प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने इस रात की कुछ निशानी बयान फरमाया है। जिस के माध्यम से इस महत्वपूर्ण रात को पहचाना जा सकता है।

(1)   यह रात बहुत रोशनी वाली होगी, आकाश प्रकाशित होगा, इस रात में न तो बहुत गरमी होगी और न ही सर्दी होगी बल्कि वातावरण अच्छा होगा, उचित होगा। जैसा कि मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने निशानी बताया है, जिसे सहाबी वासिला बिन अस्क़अ वर्णन करते है कि रसूल ने फरमायाः ” शबे क़द्र रोशनी वाली रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और वातावरण संतुलित होता है और सितारे को शैतान के पीछे नही भेजा जाता।” ( तब्रानी )

(2)   यह रात बहुत संतुलित वाली रात होगी। वातावरण बहुत अच्छा होगा, न ही गर्मी और न ही ठंडी होगी। हदीस रसूल ( सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) इसी बात को स्पष्ट करती है ” शबे क़द्र वातावरण संतुलित रात होती है, न ज़्यादा गर्मी और न ज़्यादा ठंढ़ी और उस रात के सुबह का सुर्य जब निकलता है तो लालपन धिमा होता है ।” ( सही- इब्नि खुज़ेमा तथा मुस्नद त़यालसी )

(3)   शबे क़द्र के सुबह का सुर्य जब निकलता है, तो रोशनी धिमी होती है, सुर्य के रोशनी में किरण न होता है । जैसा कि उबइ बिन कअब वर्णन करते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) ने फरमायाः ” उस रात के सुबह का सुर्य जब निकलता है, तो रोशनी में किरण न होता है।” ( सही मुस्लिम )

हक़ीक़त तो यह है कि इन्सान इन रातों की निशानियों का परिचय कर पाए या न कर पाए बस वह अल्लाह की इबादतों, ज़िक्रो- अज़्कार, दुआ और क़ुरआन की तिलावत, क़ुरआन पर गम्भीरता से विचार किरे । इख्लास के साथ, केवल अल्लाह को प्रसन्न करने के लिए अच्छे तरीक़े से अल्लाह की इबादत करे, प्रिय रसूल ( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) की इताअत करे, और अपनी क्षमता के अनुसार अल्लाह की खूब इबादत करे और शबे क़द्र में यह दुआ अधिक से अधिक करे, अधिक से अधिक अल्लाह से अपने पापों, गलतियों पर माफी मांगा जाए। जैसा कि आइशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) वर्णन करती हैं कि, मैं ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से प्रश्न क्या कि यदि मैं क़द्रकी रात को पालूँ तो क्या दुआ करू, तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” अल्लाहुम्मा इन्नक अफुव्वुन करीमुन, तू हिब्बुल-अफ्व, फअफु अन्नी। अर्थः ऐ अल्लाह! निःसन्देह तू माफ करने वाला है, माफ करने को पसन्द फरमाता, तो मेरे गुनाहों को माफ कर दे।”

अल्लाह हमें और आप को इस महीने में ज्यादा से ज़्यादा भलाइ के काम, लोगों के कल्याण के काम, अल्लाह की पुजा तथा अराधना की शक्ति प्रदान करे और हमारे गुनाहों, पापों, गलतियों को अपने दया तथा कृपा से क्षमा करे।   आमीन…………

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