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أكاديمية سبيلي Sabeeli Academy

स्नान करने का तरीक़ा

 लोखकः सफात आलम तैमी मदनी

गुस्ल का तरीका

कुछ चीजों से स्नान करना आवश्यक हो जाता है. जैसे:

एक गैर-मुस्लिम जब इस्लाम स्वीकार करे.

उछल कर विर्य (मनी) के निकलने के बाद, चाहे सोने की स्थिति में निकले, चाहे जीवन साथी के साथ सम्भोग करने से निकले या किसी अन्य तरीक़े से।

उसी प्रकार महिलाओं के विशेष दिनों अर्थात् मासिक-चक्र पूरे हूँ, बच्चे के जन्म के बाद महिला को जो रक्त आता रुक जाए. ऐसी स्थिति में स्नान करना जरूरी है.

अगर एक आदमी ने स्नान के इरादे से पूरे शरीर पर पानी बहा लिया तो उसका स्नान हो जाएगा. लेकिन मसनून तरीके से स्नान करना उत्तम है।

स्नान का मस्नून तरीका क्या है?

बुखारी और मुस्लिम में हज़रत आइशा रज़ि. बयान फ़रमाती हैं कि अल्लाह के रसूल सल्ल. जनाबत से स्नान फ़रमाते तो पहले हाथ धोते, फिर बाएं हाथ से गुप्तांग को धोते और हाथ रगड़ लेते, फिर वुज़ू करते जिस तरह नमाज़ के लिए वुज़ू किया जाता है, फिर पानी सिर पर डालते, उसे बालों की जड़ों तक पहुंचाते, फिर पानी तीन बार सर में डालते. इस के बाद पूरे सिर पर पानी बहा लेते थे।

वाजबी स्नान के साथ वज़ू भी हो जाता है अलग से वुज़ू करने की आवश्यकता नहीं है, हाँ अगर ऐसे ही स्नान कर रहे हैं तो स्नाम से पहले वुजू की नियत ज़रूरी है। सुनन अबी दाऊद में सय्येदा आयशा से रज़ि. से रिवयत है कि “अल्लाह के रसूल सल्ल. स्नान के बाद वुज़ू नहीं करते थेन।

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