लेखकः सफात आलम तैमी मदनी
इस्लाम रंग नस्ल और जाति के अंतर को मिटाकर सारी मानवता को एक कर देता है। सारे इनसनों को एक माँ बाप की संतान ठहराता है,जिनके बीच कोई भेदभाव,जातीय पक्षपात और उच्च्यता नहीं, इस प्रकार इस्लाम विश्व भाईचारा स्थापित करता हैः
“ऐ लोगो! हमने तुम सब को एक ही पुरुष एवं स्त्रि से पैदा किया तथा कबीलों और समुदायों में बांट दिया ताकि एक दूसरे को पहचान सको, अल्लाह के निकट तुम में उत्तम वह है जो अल्लाह का सबसे अधिक डर रखने वाला हो।” (सूरः हुजरात 13)
अन्तिम हज्ज के अवसर पर मुहम्मद सल्ल0 ने अपने एक लाख 44 हज़ार अनुयाइयों के समूह को सम्बोधित करते हुए यही बात कही थीः
“ किसी अरबी को किसी अजमी पर, और किसी अजमी को किसी अरबी पर , किसी गोरे को किसी काले पर और किसी काले को किसी गोरे पर कोई श्रेष्टता नहीं। श्रेष्टता का आधार अल्लाह का संयम है। (मुस्नद अहमद)
इसी लिए इस्लाम में दुनिया के किसी कोने के लोग जब प्रवेश करते हैं तो यहाँ पर समान स्थान प्राप्त करते हैं उसके बीच किसी प्रकार का भेदभाव नहीं रखा जाता कि सारे मानव आदम की संतान हैं।