- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “दो बोल हैं जो ज़ुबान पर हल्के फुल्के हैं, अमल के तराज़ू पर बहुत भारी होंगे, रहमान को बहुत प्यारे हैं: सुब्हानल्लाहि व बिहम्दिहि सुब्हानल्लाहिल अज़ीम। (मैं अल्लाह की पवित्रता बयान करता हूं और उसकी तारीफ़ करता हूं, मैं अल्लाह की पवित्रता बयान करता हूं जो बड़ी महानता वाला है।)” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबूहुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है, वह कहते हैं कि एक व्यक्ति अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और कहाः “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे अच्छे व्यवहार का सब से ज़्यादा हक़दार कौन है? आपने फरमायाः तुम्हारी माँ। उसने कहाः फिर कौन? आपने फरमायाः तुम्हारी माँ। उसने कहाः फिर कौन? आपने फरमायाः तुम्हारी माँ। उसने कहाः फिर कौन? आपने फरमायाः तुम्हारे बाप।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “गुमान से बचो, क्यों कि गुमानी सब से झूठी बात है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “निःसंदेह एक बंदा कोई बात बोलता है और उसके परिणाम पर विचार नहीं करता जिसके कारण वह फिसल कर जहन्नम में चला जाता है हालाँकि वह उस से इतना दूर होता है जितनी दूरी पूरब और पश्चिम के बीच है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “निःसंदेह अल्लाह को ग़ैरत आती है, और अल्लाह की ग़ैरत यह है कि मोमिन ऐसा काम करे जिसे अल्लाह ने हराम ठहराया है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जमाई शैतान की ओर से होती है, जब तुम में से किसी को जमाई आए तो जहाँ तक हो सके उसे रोके रखे।” (बुख़ारी,मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “विधवाओं और निर्धनों की सहायता हेतु दौड़धूप करने वाला उस व्यक्ति के समान है जो अल्लाह के रास्ते में जिहाद करता है। या उस व्यक्ति के समान है जो रात भर अल्लाह के सामने खड़ा रहता है थकता नहीं और उस रोज़ेदार के समान है जो इफ़तार नहीं करता लगातार रोज़े रखता है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “मुसलमान को जो भी थकावट, बीमारी, ग़म फिक्र, और परेशानी आती है और जो भी उसे कष्ट पहुंचता है यहाँ तक कि एक काँटे भी चुभता है तो उसके कारण अल्लाह उसके पाप मिटा देता है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर छ अधिकार हैं। पूछा गया कि ऐ अल्लाह के रसूल वह क्या हैं? आप सल्ल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (1) जब तुम मुसलमान से मिलो तो उसे सलाम करो, (2) जब तुम्हें कोई दावत दे तो उसकी दावत स्वीकार करो, (3) जब तुम से कोई परामर्श चाहे तो उसे अच्छा मश्विरा दो।(उसकी ख़ैरख़ाही करो), (4) जब कोई छींके और अल-हम्दुलिल्लाह कहे तो (यरहमुकल्लाह कह कर) उसका जवाब दो, (5) जब कोई बीमार हो तो उसकी इयादत करो, (6) जब कोई मर जाए तो नमाज़े जनाज़ा और दफन के लिए उसके साथ जाओ।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जो व्यक्ति जनाज़ा में उपस्थित हुआ यहाँ तक कि नमाज़े जनाज़ा अदा की उसके लिए एक क़ीरात है, और यदि उसके दफ़न में भी शरीक हुआ तो उसके लिए दो क़ीरात हैं। कहा गयाः दो क़ीरात क्या चीज़ होती है? आपने फरमायाः दो महान पहाड़ के बराबर।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है उन्हों ने कहा कि “अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने कभी किसी खाने में दोष नहीं निकाला, अगर पसंद होता तो खाते और अगर पसंद न होता तो छोड़ देते।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जहन्नम को इच्छाओं और लज़्ज़तों से ढ़ांप दिया गया है और जन्नत को अप्रिय चीज़ों से ढ़ांप दिया गया है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जुमा के दिन जब इमाम ख़ुत्बा दे रहा हो (उस समय) अगर तुम अपने साथी से कहो कि जुप रहो तो तुम ने बेकार हरकत की।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “अगर मुझे इस बात का भय न होता कि मेरी उम्मत परेशानी में पड़ जाएगी तो मैं उनको हर नमाज़ के समय मिस्वाक करने का आदेश देता।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (वुज़ू के पानी से सूखी रहने वाली) “ऐड़ियों के लिए आग का अज़ाब है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जो व्यक्ति (सज्दे में) इमाम से पहले अपना सिर उठाता है क्या इस बात से नहीं डरता कि अल्लाह तआला उसके सिर को गदहे के सिर जैसा कर दे।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जो कोई सुबह और शाम मस्जिद जाता है अल्लाह तआला ने उसके लिए जब भी वह सुबह और शाम जाए मिहमानी तैयार कर रखी है।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “मुनाफ़िक़ (कपटाचारी) की तीन पहचान हैः जब बात करे तो झूठ बोले, जब प्रतिज्ञा करे तो प्रतिज्ञा-भंग कर दे, और जब उसके पास अमानत रखी जाए तो विश्वासघात करे।” (बुख़ारी, मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “पाजामा का जो भाग टख़नों से नीचे है जहन्नम में होगा।” (बुख़ारी)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः फ़रिश्ते तुम में से एक व्यक्ति के लिए दया की दुआ करते रहते हैं जब तक नमाज़ की जगह पर बैठा रहता है यहाँ तक कि उसका वुज़ू टूट जाए, वे हकते हैं: ऐ अल्लाह इसे माफ कर दे, इस पर दया कर।” (बुख़ारी)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मेरी सारी उम्मत जन्नत में जाएगी सिवाये उनके जिन्हों ने इनकार किया। सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल इनकार कौन करेगा ? आप ने फरमायाः जो मेरा अनुसरण करेगा वह जन्नत में दाख़िल होगा और जो मेरी अवज्ञा करेगा उसने इनकार किया। ( बुख़ारी)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब कोई अपने भाई को “ऐ काफिर” कहता है तो उन दोनों में से कोई एक अवश्य काफ़िर होगा। (बुख़ारीः 6103)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जितनी ख़ुशी एक व्यक्ति को अपने भुलाए हुए सामान के मिल जाने से होती है उस से कहीं अधिक ख़ुशी अल्लाह को किसी भक्त की तौबा से होती है।” (मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम जन्नत में प्रवेश नहीं कर सकते यहाँ तक कि तुम मोमिन बन जाओ, और तुम मोमिन नहीं बन सकते जब तक कि तुम परस्पर एक दूसरे प्रेम न करने लगो, क्या मैं तुम्हें ऐसी चीज़ न बताऊं कि जब तुम उसे करने लगो तो तुम में परस्पर प्रेम पैदा हो जाए? (वह यह कि) आपस में सलाम को फैलाओ।
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः पाँच समय की नमाज़ें, एक जुमा दूसरे जूमा तक और एक रमज़ान दूसरे रमज़ान तक उनके बीच होने वाले पापों का कफ्फारा होते हैं अगर बड़े गुनाहों से बचा जाये। ( मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः रमज़ान के बाद सब से उत्तम रोज़ा अल्लाह के महीने मुहर्रम का रोज़ा है, और फर्ज़ नमाज़ों के बाद सब से उत्तम नमाज़ रात में पढ़ी जाने वाली नमाज़ है। (मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिस व्यक्ति ने पश्चिम से सूरज ऊदय होने से पहले तौबा कर लिया अल्लाह उसकी तौबा स्वीकार करेगा। (मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “मोचों को काटो, दाड़ियों को बढ़ाओ और मजूसियों का विरोध करो।” (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मैं सुब्हानल्लाहि, वल-हम्दुलिल्लाहि, व ला इलाह इल्लल्लाहु वल्लाहु अक्बर कहूं, यह मुझे हर उस चीज़ से अधिक प्रिय है जिस पर सूर्य उदय हुआ है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जिसने मुझ पर हथियार उठाया वह हम में से नहीं और जिसने हमें धोखा दिया वह हम में से नहीं।” (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब इनसान मर जाता है तो उस से उसके अमल के सवाब का क्रम बंद हो जाता है, मगर तीन चीज़ों के सवाब का क्रम बाक़ी रहता है, (1) सद्क़-ए-जारिया (जारी रहने वाला सद्क़ा), (2) इल्म जिस से लाभ उठाया जाए, (3) नेक संतान जो (मरने के बाद) उसके लिए दुआ करे। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “तुम अपने मुर्दों (अर्थात् क़रीबुल मर्गः जिन पर मृत्यु का असर विदित हो) को ला इलाह इल्लल्लाह की तल्क़ीन करो।” (सही मुस्लिम) (यानी अगर वह पूर्ण रूप में होश में हों तो उन्हें कलिमा पढ़ने के लिए कहा जाए और अगर परेशानी अधिक हो तो उनके सामने बार बार पढ़ते रहें ताकि सुन कर वह भी पढ़ सकें।)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने मुझ पर जानबूझ कर झूठ बोला वह अपना ठेकाना जहन्नम बना ले। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिस व्यक्ति ने किसी को हिदायत की ओर बुलाया, तो उस बुलाने वाले को उस प्रत्येक लोगों के समान सवाब मिलेगा जो उसका अनुसरण करेंगे और उन (अनुसरण करने वालों) के सवाब में कोई कमी नहीं होगी। और जिस व्यक्ति ने किसी को पथभ्रष्टता की ओर बुलाया तो उस व्यक्ति पर पाप का वबाल इतना ही होगा जितना वबाल उन सारे अनुसरण करने वालों को होगा और उनके पापों में कोई कमी नहीं होगी। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः “जिस व्यक्ति ने मुझ पर एक बार दरूद भेजा अल्लाह उस पर दस रहमतें उवतरित करता है।” (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः सदक़ा (दान) करने से माल में कमी नहीं आती, और बंदे को अल्लाह क्षमा कर देने से अधिक सम्मान प्रदान करता है और जिस किसी ने अल्लाह के लिए विनम्रता अपनाई अल्लाह उसे बुलंद करता है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः क्या तुम जानते हो कि ग़ीबत किसे कहते हैं? लोगों ने कहाः अल्लाह और उसके रसूल ही अधिक जानते हैं। आपने कहाः तेरा अपने भाई के सम्बन्ध में ऐसी बात करना जिसे वह ना-पसंद करता हो। (बस यही ग़ीबत है) आप से कहा गयाः यदि मैं अपने भाई की कोई ऐसी बुराई बयान करूं जो वास्तव में उसमें पाई जाती हो (तो क्या यह भी ग़ीबत है)? आपने कहाः यदि वह बुराई जो तुम बयान कर रहे हो उसमें पाई जाती है तो तुमने उसकी ग़ीबत की और अगर वह बुराई (जो तुम बयान कर रहे हो) उसमें पाई ही नहीं जाती हो तो फिर तुम ने उस पर बुह्तान बाँधा (आरोप लगाया)। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मुफ़र्रदून लोग बाज़ी ले गए, सहाबा ने कहाः मुफ़र्रदून कोन हैं? आपने फरमायाः अल्लाह का अधिक से अधिक ज़िक्र करने वाले पुरुष एवं महिलायें। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अल्लाह तुम्हारे रूप और माल की ओर नहीं देखता परन्तु तुम्हारे हृदय और अमल की ओर देखता है। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि एक व्यक्ति ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से कहा कि मुझे वसीयत कीजिए, आपने फरमायाः ग़ुस्सा न करो। (उस व्यक्ति ने कई बार अपनी इच्छा को दोहराया) आपने बार बार यही कहा कि गुस्सा न करो। ( सही बुख़ारी)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अपने घरों को कब्रिस्तान मत बनाओ, निश्चय ही शैतान उस घर से भाग जाता है जिसमें सूरः बक़रा की तिलावत की जाती है। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः वह व्यक्ति जन्नत में प्रवेश नहीं कर सकता जिसकी शरारतों से उसके पड़ोसी सुरक्षित न हों। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः एक व्यक्ति अल्लाह के सब से ज़्यादा क़रीब उस समय होता है जब वह सज्दा में हो, अतः (सज्दे की स्थिति में) अधिक से अधिक दुआ करो। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो कोई इल्म प्राप्त करने के इरादा से रास्ता तै करे अल्लाह उसके कारण उसके लिए जन्नत का रास्ता सरल कर देता है। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अल्लाह तआल कल क़्यामत के दिन कहेगाः कहाँ हैं वह लोग जो (दुनिया में) मेरे लिए परस्पर प्रेम रखते थे? आज के दिन उन्हें अपनी क्षाया में स्थान प्रदान करेंगे जिस दिन मेरी क्षाया के अतिरिक्त कोई क्षाया नहीं। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब इक़ामत कह दी जाए तो फ़र्ज़ नमाज़ के अतिरिक्त कोई नमाज़ नहीं होती। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः दुनिया मोमिन के लिए जेल और काफिर के लिए जन्नत है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने मेरी इस शरीअत में कोई नवीन चीज़ पैदा की जो उसमें से नहीं हो वह रद्द करने योग्य है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अल्लाह की दृष्टि में सब से प्रिय अमल वह हैं जिन्हें निरंतर किया जाए यधपि थोड़े हों। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने अल्लाह का अनुसरण करने की नज़र मानी हो उसे चाहिए कि (अपनी नज़र पूरी कर के) अल्लाह का अनुसरण करे, और जिसने अल्लाह की अवज्ञा करने की नज़र मानी हो उसे चाहिए कि अल्लाह की अवज्ञा न करे। (सही बुख़ारी)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मृतकों को गाली मत दो, इस लिए कि जो कुछ वे अच्छे बुरे अमल आगे भेजे हैं उस तक वे पहुंच चुके। ( सही बुख़ारी)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है वह कहती हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर समय अल्लाह का ज़िक्र करते रहते थे। (सही मुस्लिम)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः फ़ज्र की दो रकअत (सुन्नति मुअक्किदा) दुनिया और उसमे जो कुछ है उस से उत्तम हैं। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः विनम्रता जिस चीज़ में भी होती है उसे सुंदर बना देती है और जिस चीज़ से निकाल ली जाए उसे दोषित कर देती है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम में से कोई व्यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो अपने लिए पसंद करता है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो चाहता हो कि उसकी आजीविका में विशालता आए और उसकी आयु लम्बी हो तो उसे चाहिए कि वह अपने रिश्तेदारों का ख़्याल करे। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः वास्तविक सब्र (धैर्य) तो पहली चोट पर होता है।(सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मृतक के साथ तीन चीज़ें (क़ब्रिस्तान में) जाती हैं, फिर दो लौट आती हैं और एक रह जाती है, उसके साथ उसके परिवार वाले, माल और अमल जाते हैं, पर परिवार के लोग और माल लौट आते हैं और अमल उसके साथ रह जाता है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अपनी सफ़ों को ठीक करो, क्यों कि सफ़ों को दुरुस्त करना नमाज़ की पूर्णता में से है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम में से एक व्यक्ति उस समय तक मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि मैं उसके पास उसके पिता उसकी संतान और प्रत्येक लोगों से अधिक प्रिय न हो जाऊं।
- हज़रत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः मुझे जिब्रील पड़ोसी के साथ अच्छा व्यवहार करने की इतनी ताकीद करते थे कि मुझे भय होने लगा कि शायद उसको माल में वारिस बना देंगे। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर रखी गई है, इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा कोई सही इबादत के योग्य नहीं और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं, नमाज़ स्थापित करना, ज़कात देना, रमज़ान का रोज़ रखना और काबा का हज करना। ( सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अपनी नमाज़ों में वित्र को सब से अन्त में अदा किया करो। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो व्यक्ति लोगों से बराबर माँगता रहता है वह क़यामात के दिन ऐसी शक्ल में आएगा कि उसके चेहरे पर गोश्त नहीं होगा। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसकी अस्र की नमाज़ छूट गई मानो उसके परिवार और माल नष्ट हो गए। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः एक मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है, न उस पर अत्याचार करता है, न उसकी सहायता छोड़ता है, जब तक मुसलमान बन्दा अपने भाई की सहायता में लगा रहता है अल्लाह तआला उसकी सहायता में लगा रहता है, जो व्यक्ति किसी मुसलमान की परेशानी दूर करता है अल्लाह तआला उस से क़यामत के दिन की परेशानी को दूर करेगा, और जिसने किसी मुसलमान के दोष को छुपाया अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसके दोष को छुपायेगा। (सही बुख़ारी)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः दुनिया में ऐसे रहो मानो प्रदेस में रहते हो या रास्ता पार करने वाले हो। ( सही बुख़ारी)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः ज़ुल्म करना क़यामत के दिन अंधेरों का कारण है। ( सही बुख़ारी)
- हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (पिता के देहांत के बाद) सब से अच्छी नेकी यह है कि एक व्यक्ति अपने पिता के मित्रों के साथ अच्छा व्यवहार करे। ( सही मुस्लिम)
- हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः एक व्यक्ति के और शिर्क और कुफ्र के बीच अंतर पैदा करने वाली चीज़ नमाज़ का छोड़ना है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः हर भक्त दिल की उसी स्थिति पर उठाया जाएगा जिस पर उसकी मृत्यु हुई थी। (सही मुस्लिम)
- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की कुछ पत्नियों से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो व्यक्ति किसी ज्योतिष के पास आया और उस से किसी चीज़ के सम्बन्ध में पूछा तो उसकी 40 दिन की नमाज़ स्वीकार नहीं की जाएगी। (सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः क़यामत के दिन अल्लाह के पास वह लोग सब से अधिक अज़ाब से पीड़ित होंगे जो तस्वीर बनाया करते थे। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत इब्ने मस्ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने किसी रात में सूरः बक़रा की अन्तिम दो आयतें पढ़ ली वह उसके लिए (हर बुराई से बचाने के लिए) काफ़ी हो जाएंगी। (सही बुख़ारी)
- हज़रत अबू-ज़र रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः किसी नेकी के काम को तुच्छ मत समझो चाहे (इतना ही हो कि) तू अपने भाई से खुले चेहरे के साथ मिले। (सही मुस्लिम)
- हज़रत अबुद्दरदा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो मुसलमान भक्त अपने भाई के लिए उसके पीठ पीछे दुआ करता है तो फरिश्ता कहता हैः तुझे भी उसी के जैसे मिले। (सही मुस्लिम)
- हज़रत मुआविया रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः अल्लाह जिसके साथ भलाई का मामला करना चाहता है उसे दीन की समझ प्रदान कर देता है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब तुम अज़ान सुनो तो वही वाक्य दुहराओ जो मुअज़्ज़िन कहता है। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू क़तादा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जब तुम में से कोई मस्जिद में प्रवेश करे तो उसे चाहिए कि बैठने से पहले दो रकअत पढ़ ले। (सही बुख़ारी, सही मुस्लिम)
- हज़रत अबू मूसा अश्अरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो व्यक्ति अपने रब का ज़िक्र करता है और जो नहीं करता उनका उदाहरण ज़िंदा और मुर्दा के जैसे है। (सही बुख़ारी)
- हज़रत इब्नि अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जो नेमतें ऐसी हैं जिनके सम्बन्ध में अधिकतर लोग घाटे में होते हैं, स्वास्थ्य और फ़ुरसत (अवसर)। (सही बुख़ारी)
- हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम में उत्तम वह व्यक्ति है जो क़ुरआन सीखे और सीखाए। (सही बुख़ारी)
- हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने वुज़ू किया और अच्छे तरीक़े से वुज़ू किया तो उसके शरीर से उसके पाप निकल जाते हैं यहाँ तक कि उसके नाख़ुनों के नीचे से भी। (सही मुस्लिम)
- हज़रत उस्मान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः जिसने जमाअत से ईशा की नमाज़ अदा की मानो वह आधी रात तक क़्याम किया और जिसने सुबह की नमाज़ जमाअत से अदा की मानो वह पूरी रात क़्याम करता रहा। (सही मुस्लिम)
- जो चीज़ तुझे संदेह में डालती है उसे छोड़ दो और उस चीज़ को ले लो जो तुझे संदे में न डालती हो।
- इनसान के अच्छे इस्लाम की यह पहचान है कि वह बेकार की चीज़ों को छोड़ दे।
- हज़रत अबू ज़र और मुआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः तुम जहाँ कहीं भी रहो अल्लाह का डर दिल में रखो, पाप हो जाने के बाद नेकियाँ कर लोग पाप स्वयं मिट जाएगा और लोगों के साथ अच्छे आचरण से पेश आओ। ( सुनन तिर्मिज़ी)
- उक़्बा बिन अमर अनसारी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः पिछले संदेष्टाओं की जो बातें मिली हैं उन में महत्वपूर्ण बात यह है कि जब तुम से लज्जा समाप्त हो जाए तो फ़िर तुम जो चाहो करो। (सही बुख़ारी)
- हज़रत अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः तुम में से जो कोई बुराई को देखे तो उसे चाहिए कि वह अपने हाथ से रोके, यदि हाथ से रोकने की शक्ति न हो तो ज़ुबान से रोक, यदि ज़ुबना से रोकने की भी शक्ति न हो तो हृदय में बुरा जाने और यह ईमान की तुच्छ श्रेणी है। (सही मुस्लिम)
- हज़रत इमरान बिन हुसैन और हकम बिन अमर ग़िफारी रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः सृष्टा की अवज्ञा के काम में सृष्टि का अनुसरण जाइज़ नहीं। (मुस्नद अहम्दः 1098)
- हज़रत उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः कर्मों का आधार नियत पर है, और हर व्यक्ति के लिए मात्र वही है जिसकी उसने नियत की। (सही बुख़ारी)
- हज़रत सुहैब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः मोमिन के मामले पर आश्चर्य है कि उसका हर मामला भलाई पर आधारित है, और यह विशेषता मात्र मुसलमान को ही प्राप्त है कि अगर उसे प्रसननता मितली है तो उस पर अल्लाह का शुक्र बजा लाता, और यह शुक्र बजा लाना उसके लिए अति लाभदायक है, और यदि उसे कोई संकट या परेशानी लाहिक़ होती है तो वह उस पर सब्र करता है। उस सब्र करने में भी उसके लिए भलाई है।
- हज़रत अबू मूसा अश्अरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमायाः जब बंदा बीमार होता है या यात्रा की स्थिति में होता है तो उसके अमल के खाते में उन अमलों के बराबर अमल लिख दिए जाते हैं जो वह अपने घर में स्वस्थ्य की स्थिति में किया करता था। (सही बुख़ारीः 2996)
- “(दुनिया के मामले में) अपने से नीचे (कम माल) वाले को देखो, अपने से ऊपर वाले को न देखो, इस से यह होगा कि आप अपने पास मौजूद अल्लाह की नेंमत को तुच्छ नहीं समझेंगे।” (सही बुख़ारीः 1428)
- “जिस व्यक्ति ने अपने परिवार क बीच अम्न और अमान की स्थिति में सुबह की, वह शारीरिक रूप से स्वस्थ्य था और उसके पास दिन भर के गुज़र बसर का की सामग्री मौजूद थी तो वह ऐसे है जैसे सारी दुनिया उसे समेट कर दे दी गई हो।” (सही बुख़ारीः 73)
- “नेकी अच्छे आचरण का नाम है और पाप वह है जो आपके हृदय में खटके और आप अप्रिय समझें कि लोगों को उसकी सूचना मिले।” (सही मुस्लिमः 2553)
- “मज़लूम की शाप से बचो क्यों कि उसकी दुआ और अल्लाह के बीच कोई रुकावट नहीं होती।” (सही मुस्लिमः 19)
- “ज़मज़म के पानी को जिस उद्देश्य के लिए पिया जाए लाभ देता है।” (सुनन इब्ने माजाः 3062)
- “कोई बंदा जब अल्लाह के लिए एक दिन का रोज़ा रखता है तो उस एक दिन के बदले में अल्लाह तआला बंदे के चेहरे को जहन्नम से सत्तर वर्ष की गति पर कर देता है।” ( सही मुस्लिमः 1153)
- “न किसी को हानि पहुंचाओ और न हानि पहुंचाने का माध्यम बनो।” (मुस्नद अहमदः 2865)