नबी – सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के प्रवचन हमें अपने जीवन को अतिसुन्दर बनाने की ओर उत्साहित करता है। दुनिया और आखिरत की सफलता की ओर मार्गदर्शन करता है। हमरी मुक्ति क़ुरआन एवं सुन्नत पर अमल करने पर निर्भर करता है।
أحب الناس إلى الله تعالى أنفعهم للناس ، و أحب الأعمال إلى الله عز وجل سرور يدخله على مسلم ، أو يكشف عنه كربة ، أو يقضي عنه دينا ، أو تطرد عنه جوعا ، و لأن أمشي مع أخ في حاجة أحب إلي من أن اعتكف في هذا المسجد ، يعني مسجد المدينة شهرا ، و من كف غضبه ستر الله عورته ، و من كظم غيظه ، و لو شاء أن يمضيه أمضاه ملأ الله قلبه رجاء يوم القيامة ، و من مشى مع أخيه في حاجة حتى تتهيأ له أثبت الله قدمه يوم تزول الأقدام، و إن سوء الخلق يفسد العمل ، كما يفسد الخل العسل– (السلسلة الصحيحة للشيخ الألباني: 906)
अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” अल्लाह के पास सब से प्रियतम बन्दा वह है जो लोगों को सब से अधिक लाभ पहुंचाता है और अल्लाह के पास सब से प्रियतम कर्म जो एक मुस्लिम के हृदय में खुशी दाखिल करना या उस से किसी परेशानी को दूर करना या किसी से कर्ज़ के बोझ को हटाना या उस से भूक को मिटाना है। किसी भाई की आवश्यक्ता को पूरा करने मेरे पास इस मस्जिद (मस्जिद नबवी) में एक महीना इतेकाफ़ करने से उत्तम है। जो व्यक्ति क्रोध को खत्म कर लेता है तो अल्लाह उस के गुप्तनीय वस्तुओं को छुपाएगा और जो व्यक्ति अपने गुस्से के अनुसार अमल की शक्ति रखने के बावजूद अपने गुस्से को पी जाता है तो अल्लाह तआला उस के हृदय में क़ियामत के दिन आशा भर देगा और जो आदमी अपने भाई की ज़रूरतों की अनुपूर्ति में लगा रहता है और उसे पूरा भी कर देता है तो अल्लाह उस दिन उस के क़दम को साबित रखेगा जिस दिन लोगों के पाँव ठहरते नहीं। बेशक बुरे आचरण कर्मों को ऐसे ध्वस्त करता है जैसे कि सिरका मधू को ख़राब कर देता है।” – (सिलसिला सहीहा- शैख अल्बानीः 906
ऊपर बयान की गई हदीस में कई उद्देश्य का शिक्षण मिलता है। विशेष रूप में नव मुस्लिमों बल्कि प्रत्येक मुस्लिम को किसी भी कर्म के करने से पहले सर्व प्रथम अपने नीयत को स्वयं अल्लाह की प्रसन्नता के लिए खास कर ले। कोई भी नेक कार्य केवल अल्लाह की प्रसन्नता के लिए करें। लोगों को खुश करने या दुनिया के किसी लाभ को प्राप्त करने का लक्ष्य न हो, किसी मानव को खुश करने का इरादा न हो।
पहला शिक्षणः अल्लाह के पास सब से प्रियतम व्यक्ति वह है जो लोगों को सब से ज़्यादा अपने कर्म, बातों और जीभ से लाभ पहुंचाता हो, और सर्वशेष्ठा केवल इसी व्यक्ति में सिमित नहीं है बल्कि दुसरी हदीसों में दुसरे कर्म भी बयान हुई है जिस का अर्थ हुआ कि लोगों को अपने कर्म, कथन और बातों से लाभ पहुंचाने वाला व्यक्ति अल्लाह के पास प्रियतम लोगों में से होगा।
दुसरा शिक्षणः जो व्यक्ति किसी मुस्लिम के हृदय में प्रसन्नता दाखिल करता है तो चाहे वह प्रसन्नता उसकी मदद और सहायता के माध्यम से हो या उस पर आने वाली परेशानी को रोक कर हो या ज़ुबान से दो मीठी बात कर के हो या अतिसुन्दर स्वागत के माध्यम से हो जैसा कि हदीस में वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः दो व्यक्तियों के बीच न्याय करना सद्क़ा है, किसी व्यक्ति के बोझ को उठाना और उतारने में मदद करना भी नेक कार्य है और किसी से अच्छी बात चीत करना भी नेक कार्य में से है।………- (सही बुखारी तथा मुस्मिल
तीसरा शिक्षणः किसी मानव की किसी महत्व आवश्यक्ता की अनुपूर्ति में मदद करना एक महीना मस्जिदे नबवी में इतेकाफ़ करने से उत्तम है। यह हदीस सब लोगों को एक दुसरे की मदद तथा सहायता करने पर उत्साहित करता है। दुसरी हदीसों में इस अर्थात की कई हदीसें वर्णित हैं जैसा कि एक हदीस में वर्णन हैः अल्लाह उस बन्दे की सहायता में रहता है जो अपने मुस्लिम भाई की मदद करता रहता है। -(सही मुस्लिम
चौथा शिक्षणः मानव अपने क्रोध और गुस्से को हमेशा अपने नियंत्रण में रखे और सब्र से काम ले, ग़ुस्सा की स्थिति में कोई ऐसा कार्य न करे जो जीवन भर उसे अफ्सोस में ग्रस्त करने का कारण बन जाए। जो लोग अपने क्रोध को अपने कन्ट्रोल में रखते हैं तो ऐसे लोगों के लिए बहुत शुभ सूचना है। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फरमान हैः जो अपने ग़ुस्से को नियंत्रित किया जब की वह अपने क्रोध के अनुसार कारवाई की क्षमता रखता था तो अल्लाह उसे सब लोगों के सामने बुलाएगा और उसे हूर में से जितनी चाहे अपनी पत्नि बनाने का इख्तेयार देगा। – (सुनन अबू दाऊद व सुनन तिर्मिज़ी
पांचवा शिक्षणः इस हदीस में बुरे आचरण और दुर्व्यवहार की बुराई और ख़राबी उदाहरण के माध्यम से बयान की गई है कि चरित्रहीन और बुरे आचार वाले व्यक्ति के नेक कर्म ऐसे ध्वस्त और ख़राब हो जाते हैं जिस प्रकार मधू में सिरका गिर जाए और मधू की मिठास को खराब कर देता है।
अच्छे आचरण और सद्स्भाव वाले व्यक्ति क़ियामत के दिन नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के निकटतम होंगे जैसा कि जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाह अन्हुमा) कहते है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” निः संदेह क़ियामत के दिन तुम मेरे पास ज्यादा प्रिय और बैठक के अनुसार ज्यादा नज्दीक होंगे जो अच्छे और उत्तम आचार वाले होंगे। -(सुनन तिर्मिज़ी
इसी तरह क़ियामत के दिन तराज़ू में सब से भारी चीज़ अच्छा आचार, उत्तम चरित्र ही होगा। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का फरमान हैः
وعن أبي الدرداء رضي الله عنه أن النبي صلى الله عليه وسلم قال ” ما من شيئ أثقل في ميزان العبد المؤمن يوم القيامة من حسن الخلق وان الله يبغض الفاحش البذي “– ( أخرجه الترمذي
इस हदीस का अर्थातः अबू दरदा (रज़ी अल्लाह अन्हु) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः ” मूमीन बन्दों के तराज़ू में क़ियामत के दिन सब से भारी चीज़ अच्छे अख्लाक होंगे और अल्लाह तआला बद खुलुक, दुराचार तथा दुर्व्यवहार वाले से घृणा करता है।” (सुनन तिर्मिज़ी)
गोया कि मानव के अच्छे या बुरे आचरण के अनुसार बदला मिलेगा। अल्लाह हमारे आचरण को अत्यन्त सुन्दर कर दे। आमी।।।।।।।।।।।न