क़ब्र आख़िरत के चरणों में से प्रथम चरण है जिसकी स्थिति हमारी आँख़ों से ओझल है। यह जन्नत के बाग़ ...
शैख़ सालिह अल-फौज़ान अनुवादः सफात आलम तैमी الحمد لله والصلاة والسلام على نبينا محمد وآله وصحبه ...
हमारा जीवन सीमित है, हम चाहें या न चाहें एक दिन हमें मरना है, और मरने के बाद कब्र तंग और अंधेरी ...