तूफाने नूह क्या है? क्यों आया ? कैसे आया ? और इसका क्या परिणाम हुआ ? इन्हीं बिंदुओं पर इस लेख में चर्चा करने का प्रयास करेंगे।
प्रथम पुरुष आदम अलैहिस्सलाम की संतान 10 शताब्दियों तक एक अल्लाह की पूजा करती रही, फिर नूह अलैहिस्सलाम के युग में 5 महापुरुषों के मरने के पश्चात राक्षस ने उनके अनुयाइयों को उकसाया कि उनकी मूर्तियाँ बना कर अपनी बैठकों में सजा लो ताकि उनकी याद बाक़ी रहे, अतः उन्हों ने मूर्तियाँ बनाकर उन्हें अपनी बैठकों में सजा लीं, फिर जब उनकी संतान आई तो राक्षस उनके पास आकर कहने लगा कि तुम्हारे पूर्वज संकटों में उनसे मांगते थे और उनकी ज़रूरतें पूरी होती थीं, अब क्या था लोग उन्हीं को संकटों में पुकारने लगे, इस प्रकार उन महापुरुषों की शान में अतिश्योक्ति के कारण जब बहुदेववाद की शुरुआत हुई तो अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम को उनके बीच नबी बनाकर भेजा, नूह अलैहिस्सलाम अपने समुदाय को साढ़े नौ सौ वर्ष तक समझाते रहे, लेकिन समुदाय के लोग सरकश थे, टस से मस न हुए तो नूह अलैहिस्सलाम ने अल्लाह से दुआ की कि ऐ अल्लाह! मैं उनकी तुलना में कमजोर हूँ, तू उन से बदला ले। अतः अल्लाह ने नूह अलैहिस्सलाम की दुआ स्वीकार की और उनको आज्ञा दियाः
وَاصْنَعِ الْفُلْكَ بِأَعْيُنِنَا وَوَحْيِنَا وَلَا تُخَاطِبْنِي فِي الَّذِينَ ظَلَمُوا إِنَّهُم مُّغْرَقُونَ – سورة الهود: 37
” तुम हमारे समक्ष और हमारी प्रकाशना के अनुसार नाव बनाओ और अत्याचारियों के विषय में मुझ से बात न करो। निश्चय ही वे डूबकर रहेंगे।” (सूरः हूदः 37)
बताने का उद्देश्य यह था कि अब यह क़ौम ईमान लाने वाली नहीं है, उनकी बर्बादी सुनिश्चित है, अतः आप नाव बनाना शुरू कर दीजिए कि जब तूफान आएगा तो नाव के सवार ही बच सकेंगे. और हाँ! याद रखें कि जब हमारा अज़ाब आने लगे तो उन अत्याचारियों पर तरस खाकर उनके प्रति मुझ से किसी की सिफारिश मत कीजिएगा। यह नाव क्या था, विशाल समुद्री जहाज था, इमाम तबरी रहिमहुल्लाह ने कहा कि नाव 80 हाथ लम्बा था।
जिस समय नूह अलैहिस्सलाम नाव बना रहे थे, कुफ़्फ़ार अपने पास से गुज़रते तो आपका ठट्ठा और मज़ाक उड़ाते हुए कहते हैं, नूह! यह नाव पानी के बिना कहां चलेगा ? क्या यह नाव सूखी जमीन पर चलेगा ? कहां है पानी जहाँ तेरा नाव चल सके ? कोई कहता कि ऐ नूह! रिसालत करते करते अब बढ़ई बन गये हो? नूह अलैहिस्सलाम जवाब में कहते:
وَيَصْنَعُ الْفُلْكَ وَكُلَّمَا مَرَّ عَلَيْهِ مَلَأٌ مِّن قَوْمِهِ سَخِرُوا مِنْهُ ۚ قَالَ إِن تَسْخَرُوا مِنَّا فَإِنَّا نَسْخَرُ مِنكُمْ كَمَا تَسْخَرُونَ ﴿38﴾ فَسَوْفَ تَعْلَمُونَ مَن يَأْتِيهِ عَذَابٌ يُخْزِيهِ وَيَحِلُّ عَلَيْهِ عَذَابٌ مُّقِيمٌ ﴿39﴾ سورة الهود: 38-39
“यदि तुम हम पर हंसते हो तो हम भी तुम पर हँस रहे हैं। जल्द ही तुम्हें खुद पता चल जाएगा कि किस पर वह कयामत आता है जो उसे बदनाम कर देगा और किस पर वह संकट टूट पड़ती है जो टाले न टलेगी।” (सूरः अल-हूदः 38-39)
जब नाव तैयार हो गया और नूह अलैहिस्सलाम अल्लाह का इंतजार करने लगे तो अल्लाह का हुक्म आया कि ईमान वालों के साथ हर प्रकार के जानवर का एक एक जोड़ा यानी नर और मादा नाव में सवार कर लें, ताकि उसकी पीढ़ी बाक़ी रह सके। अतः नूह अलैहिस्सलाम ने ऐसा ही किया, कुछ विद्वान कहते हैं कि उस नाव में वनस्पति भी रखे गये थे।
इस नाव में पुरुषों और महिलाओं को मिलाकर कुल सवार 80 थे, जैसा कि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से प्रमाणित है। कुछ ने 72 की संख्या बताई है और कुछ ने उस से भी कम बताया है।
अब आप पूछ सकते हैं कि तूफान कैसे आया? अचानक अल्लाह ने पृथ्वी को आदेश दिया कि तुम फूट पड़ो, इस तरह सारी धरती स्रोत की तरह उबल पड़ी और आकाश को आज्ञा दिया कि बारिश बरसाओ। अतः ऊपर से आकाश ने खूब बारिश बरसाना शुरू कर दिया। जिस से पानी इतना ऊंचा हो गया कि पहाड़ भी पानी में डूब गये। बल्कि कई टिप्पणीकारों ने लिखा है कि पानी उच्चतम पर्वत से भी पंद्रह हाथ ऊंचा था। लेकिन नाव हज़रत नूह अलैहिस्सलाम और उनके साथियों को अपने दामन में समेटे चल रहा था। उसी बीच नूह अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे को देखा कि वह नाव से बाहर है तो प्यार से कहने लगे:
“बेटा, हमारे साथ सवार हो जा, काफिरों के साथ न रह। उसने पलट कर जवाब दियाः मैं अभी एक पहाड़ पर चढ़ जाता हूँ जो मुझे पानी से बचा लेगा।” यह उसकी सोच थी कि किसी पहाड़ की चोटी पर चढ़ जाऊंगा वहां पानी क्यों कर पहुंच सकेगा। नूह अलैहिस्सलाम ने कहा:
आज कोई चीज़ अल्लाह के हुक्म से बचाने वाली नहीं है, सिवाय इसके कि अल्लाह किसी पर दया करे। बाप-बेटे के बीच अभी यह चर्चा चल ही रही थी कि इतने में एक लहर ने उसे अपनी चपेट में ले या और वह सभी के साथ डूब मरा। चूंकि यह काफिरों में से था और उसने खुद को छिपा रखा था इस लिए नूह अलैहिस्सलाम ने उसे नाव में सवार होने को कहा। इस तरह उस तूफान ने नाव के सवार के अलावा सबको डबो कर रख दिया।
तबाही के बाद अल्लाह ने पृथ्वी और आकाश को आज्ञा दीः
وَقِيلَ يَا أَرْضُ ابْلَعِي مَاءَكِ وَيَا سَمَاءُ أَقْلِعِي وَغِيضَ الْمَاءُ وَقُضِيَ الْأَمْرُ وَاسْتَوَتْ عَلَى الْجُودِيِّ ۖ وَقِيلَ بُعْدًا لِّلْقَوْمِ الظَّالِمِينَ – سورة هود 44
और कहा गया, “ऐ धरती! अपना पानी निगल जा और ऐ आकाश! तू थम जा।” अतएव पानी तह में बैठ गया और फ़ैसला चुका दिया गया और वह (नाव) जूदी पर्वत पर टिक गई औऱ कह दिया गया, “फिटकार हो अत्याचारी लोगों पर!” (सूरः अल-हूदः 44)
जब पृथ्वी की सतह से पानी सूख गया और जमीन पर रहना और चलना संभव हो गया तो अल्लाह तआला ने नूह अलैहिस्सलाम को आज्ञा दी कि वह नाव से उतर आयें जो एक लंबे समय तक पानी में चलता रहा था। अंततः प्रसिद्ध पहाड़ जूदी पर ठहर गया।
उसके बाद नूह अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे के प्रति अल्लाह से सवाल किया कि आखिर वह क्यों डूब गया हालांकि तूने मेरे परिवार को बचाने का वादा किया था। और वह मेरे परिवार में से था। तब अल्लाह तआला ने फरमाया:
قَالَ يَا نُوحُ إِنَّهُ لَيْسَ مِنْ أَهْلِكَ ۖ إِنَّهُ عَمَلٌ غَيْرُ صَالِحٍ ۖ فَلَا تَسْأَلْنِ مَا لَيْسَ لَكَ بِهِ عِلْمٌ ۖ إِنِّي أَعِظُكَ أَن تَكُونَ مِنَ الْجَاهِلِينَ – سورة الهود: 46
कहा, “ऐ नूह! वह तेरे घरवालों में से नहीं, वह तो सर्वथा एक बिगड़ा काम है। अतः जिसका तुझे ज्ञान नहीं, उसके विषय में मुझसे न पूछ, तेरे नादान हो जाने की आशंका से मैं तुझे नसीहत करता हूँ।”
यह तूफान किसी एक क्षेत्र में नहीं आया बल्कि उस समय मौजूद सभी प्राणियों के लिए आम था। नूह अलैहिस्सालम के वंश में से जो लोग नाव में सवार होने के कारण बच गए थे उन्हीं से इंसानों का वंश चला। नूह अलैहिस्सलाम की तीन संतान साम, हाम और याफस से ही आज पूरी दुनिया में आबादी पाई जाती है, और वे तीनों अपनी संतान सहित नाव में सवार थे। अल्लाह ने कहाः
وَجَعَلْنَا ذُرِّيَّتَهُ هُمُ الْبَاقِينَ – سورة الصافات: 77
और हमने उसके वंश को ही बाक़ी रखा। (सूरः साफ्फ़ातः 77)