जब किसी मानव को किसी घटना के कारण शरीर का कोई अंग जल जाए या टूट जाए या घाव हो तो उस स्थान पर दवा और पट्टी या पलास्टर बांधने की आवश्यक्ता पड़ती है और मानव वुज़ू और पवित्रता के स्थान को धो नहीं सकता है।
ऐसी स्थिति में निम्न बातों पर अमल करना उचित है।
1. तक्लिफ़ वाले स्थान के अलावा को धो लिया जाए।
2. पुरी पट्टी या पलास्टर पर मसह करें।
3. वुज़ू में धोने वाले अस्वस्थ स्थान पर तयम्मुम करे और दुसरे वुज़ू वाले स्वस्थ स्थान को धोऐं।
4. टूटे , जले या घाव के स्थान पर पट्टी की आवश्यक्ता नहीं है तो स्वस्थ वुज़ू के अंगों को धोना अनिवार्य है और अस्वस्थ अंगों को धोन से हानि का भय हो तो उन स्थानों पर तयम्मुम करेंगे।
यदि वुज़ू नहीं टूटा हो तो प्रत्येक फ़र्ज़ नमाज़ के लिए अलग तयम्मुम करें और वुज़ू टूट गया हो तो स्वस्थ वुज़ू के अंगों को धोना अनिवार्य है और अस्वस्थ अंगों पर तयम्मुम करेंगे।
जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) ने कहाः हम एक यात्रा में निकले, तो एक व्यक्ति के सर पर पत्थर लगा जिस कारण उस का सर ज़ख़मी हो गया फिर वह स्वप्नदोष हो गया तो उसने प्रश्न किया कि क्या मेरे लिए इस स्थिति में तयम्मुम की छूट है ? तो लोगों ने उत्तर दिय, नहीं, तुम्हारे लिए तयम्मुम की छूट नहीं है। क्योंकि तुम पानी को हासिल करने क्षमता रखते हो, तो वह स्नान किया तो सर पर ज़ख़म के कारण उस की मृत्यु हो गई, तो जब हम मदीना आऐ और इस चीज़ की सूचना रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को दी गई तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कहने लगेः “ उत्तर देने वालों ने उसे क़त्ल कर दिया, अल्लाह उन्हें नष्ट करे, जब किसी समस्या का ज्ञान नहीं हो तो प्रश्न करना चाहिये, अज्ञानता का इलाज प्रश्न है। उस के लिए काफ़ी था कि वह तयम्मुम कर लेता और ज़ख़्म के स्थान पर कपड़े की पट्टी बांध कर मसह कर लेता और दुसरे अंगों को धो लेता।” (सुनन अबी दाऊदः 336)
पलास्टर या पट्टी पर मसह करने की अवधि नियुक्त नहीं है। जब तक वह कारण होगा. वह मसह करेगा, मसह करने का कारण स्माप्त हो गया तो मसह भी बात़िल हो जाऐगा और उस स्थान को धोना अनिवार्य होगा और अगर वह वुज़ू से हो और मसह का कारण स्माप्त हो गया तो उस के लिए उस स्थान को धोना अनिवार्य हो गया।