फेसबुक अंग्रेजी के दो शब्दों से बना हुआ है:
1- face (चेहरा)
2- book (पुस्तक)
पहला शब्द face यानी चेहरा, यहाँ आप अल्लाह के इस कथन को याद कूीजिए:
“उस दिन कुछ चेहरे उज्ज्वल होंगे और कुछ चेहरे काले होंगे।” (सूर: आले इमरान:106)
जिनके चेहरे उज्ज्वल होंगे महा प्रलय के दिन वही लोग सफल होंगे, वे ऐसे लोग होंगे जो दुनिया में ईमान लाये और नेक कर्म किया। जबकि उस दिन कुफ्र और शिर्क तथा पाप करने वालों के चेहरे काले होंगे।
अब आप के लिए विकल्प है कि फेसबुक का सही उपयोग कर के या दुरुपयोग कर के जिन चेहरे वालों में चाहें शामिल हो जाएें।
दूसरा शब्द Book यानी किताब है, यहाँ आप अल्लाह के इस कथन को याद कीजिए:
“हमने प्रत्येक मनुष्य का शकुन-अपशकुन उसकी अपनी गरदन से बाँध दिया है और क़ियामत के दिन हम उसके लिए एक किताब निकालेंगे, जिसको वह खुला हुआ पाएगा, “पढ़ ले अपनी किताब (कर्मपत्र)! आज तू स्वयं ही अपना हिसाब लेने के लिए काफ़ी है।” (सूरः अल-इस्राः 13-14)
यानी यहाँ फेसबुक पर जो कुछ भी आप कर रहे हैं वे आपके कर्मपत्र में लिखा जा रहा है और वह save हो रहा है, कल महा प्रलय के दिन वह कर्मपत्र आपको दिया जाएगा और कहा जाएगा कि लीजिए खुद पढिए कि आपने फेस-बुक पर क्या किया है।
सारांश यह कि अगर आप चाहते हैं कि न्याय के दिन आपका face चमकता रहे और आप अपने book यानी पत्र कार्य दायें हाथ में पाकर खुश हों तो Facebook का सही इस्तेमाल कीजिए। अच्छी चीजें पोस्ट और अपलोड कीजिये, कुफ़्र और शिर्क, पाप और बुराई की बातें पोस्ट या like या share करने से बचिए।
अल्लाह हम सबको फेसबुक पर अच्छी बातें पोस्ट और शेयर करने की तौफ़ीक़ प्रदान करे और बुरी बातें लिखने और शेयर करने से बचाये। आमीन