मक़बूल अहमद सलफ़ी
“भारत माता की जय” जैसे लगता है “भारत जिंदाबाद का नारा है”, लेकिन वास्तविकता इसके विपरीत है। इस नारे में तीन शब्द हैं। पहला शब्द: भारत “भूमि” के अर्थ में, दूसरा शब्द: “माता” भगवान के अर्थ में, तीसरा शब्द: “जे” प्रभु और नारा के अर्थ में।
हिन्दू भाइयों की आस्था के अनुसार पृथ्वी भी यहाँ देवता है जिसकी पूजा की जाती है। हिंदू भाई मानते हैं कि पृथ्वी हमारा भगवान है। यह हमें खाना देती है, रहने के लिए जगह देती है बल्कि दुनिया में जितनी चीज़ें दिखती हैं सब उसी की दैन हैं। इस विश्वास के रूप में हिन्दुओं के यहाँ “धरती माता” शब्द इस्तेमाल किया जाता है। “भारत माता” इसी धरती माता का वैकल्पिक शब्द है। मानो “माता” शब्द उनके यहां भगवान शब्द है. जैसे गौ-माता, काली-माता और दुर्गा-माता आदि। वंदे मातरम और भारत माता की जय में मानवीय समानता पाई जाती है। वंदे मातरम का अर्थ है “हे माँ! हम तेरे पुजारी हैं”। इस से संबोधन पृथ्वी को होता है। यही अर्थ और अभिप्राय “भारत माता की जय” से नकलता है।
इस्लामी आस्था की रोशनी में पृथ्वी सृष्टि है और उसका निर्माता सर्वशक्तिमान अल्लाह है। हम मुसलमान सृष्टि को सृष्टा का स्थान कभी नहीं दे सकते। हम मुसलमान “भारत जिंदाबाद” का नारा लगा सकते हैं, हमारे भी दिल में देश से प्रेम है और उसका प्रदर्शन हमेशा से किए और करते रहेंगे। इसी देश-प्रेम की भावना से अभूतपूर्व बलिदान द्वारा हमने अंग्रेजों के कब्जे से वतन आजाद कराया। लेकिन हम मुसलमान अपनी ज़बान पर बहुदेववाद पह सम्मिलित शब्द कभी नहीं ला सकते हैं इसके लिए हमें जो भी सहना पड़े स्वीकृत और गवारा है।