श्री अब्दुल्लाह पुत्र अब्बास (रज़ि0) का बयान है कि एक दिन मैं अल्लाह के अन्तिम संदेष्टा मुहम्मद सल्ल0 के पीछे सवारी पर बैठा था कि आपने फऱमायाः
«ऐ बेटे! मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाता हूं: अल्लाह को याद रख, अल्लाह तेरी रक्षा करेगा। अल्लाह को याद रख अल्लाह को अपने सामने पाएगा। जब तुझे कुछ सवाल करना हो, तो मात्र अल्लाह से सवाल कर, और जब तुझे सहायता की आवश्यकता हो, तो मात्र अल्लाह से सहायता माँग। और अच्छी तहर जान ले कि यदि सारा संसार इस बात पर एकत्र हो जाए कि तुझे किसी चीज़ से लाभ पहुंचा सके तो वह कदापि नहीं पहुंचा सकते, हाँ मगर उस चीज़ के साथ जो अल्लाह ने तेरे भाग्य में लिख दी है। और यदि प्रत्येक जगत इस बात पर एकत्र हो जाए कि वह तुझे किसी चीज़ से हानि पहुंचा सके तो वह कदापि नहीं पहुंचा सकते परन्तु इतना ही जितना अल्लाह ने तेरे भाग्य में लिख दी है। क़लम उठा लिए गए हैं। और सहीफें खुश्क हो चुके हैं।» (तिर्मिज़ी)
इस हदीस में अल्लाह के रसूल सल्ल. ने बड़े प्यार से इब्ने अब्बास रज़ि. को कुछ उपदेश दियाः
(1) पहला उपदेश यह था कि अल्लाह को याद रख अल्लाह तुझे याद रखेगा। इसका अर्थ यह है कि अल्लाह के अधिकार उसके आदेशों का पालन करो और उसके मना किए हुए कामों से रुक जाओ। इसका परिणाम यह होगा कि तू अल्लाह की सुरक्षा और अमान में रहेगा। हदीस में आता है कि हज़रत सफाना (रज़ि.) ने रात भर जंगल में रात बिताई और शेर रात भर उनकी सुरक्षा के लिए पहरा देता रहा।
उक़बा बिन आमिर रज़ि. ने जब जंगल में आवाज़ लगाई कि आज रसूल सल्ल. की फौज यहाँ ठहरेगी तो सब दरिंदे अपने अपने बच्चों को मुंह में दबाए जंगल से भाग निकले।
उसके अतिरिक्त जो लोग अल्लाह के आदेशों का पालन नहीं करते उनकी सवारियाँ और उनके सेवक भी उनके अनुसरण से मुंह मोड़ लेते हैं।
(2) दूसरा उपदेश यह दिया कि तू अल्लाह का ख्याल रख अल्लाह को अपने सामने पाएगा अर्थात् वह तुम्हारा काम संवार देगा, तुम्हारी कठिनाइयाँ दूर कर देगा वह तेरा हर समय सहायक बना रहेगा। जैसा कि अल्लाह के रसूल सल्ल. ने सौर के गुफा में अबू बक्र रज़ि. से कहा था : घबराओ मत अल्लाह हमारे साथ है।
(3) तीसरा उपदेश जो अल्लाह के रसूल सल्ल. ने दिया यह है कि जब तू सवाल करे तो केवल अल्लाह से ही कर और सहायता मांगे तो अल्लाह से मांग। यही प्रतिक्षा तो हम नमाज़ की हर रकअत में सूरः फातिहा के अंदर करते हैं कि ऐ अल्लाह हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझ से ही सहायता मांगते हैं। अल्लहा और बन्दे के बीच कोई गैप और दूरी नहीं इस लिए बन्दे को चाहिए कि बिना किसी माध्यम के अल्लाह से मांगे। कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई लाभ अथवा हानि पहुंचाने का अधिकारी नहीं। अल्लाह ने फरमायाः और यदि अल्लाह तुझे हानि पहुंचाना चाहे तो अल्लाह के अतिरिक्त कोई उसे दूर करने वाला नहीं है और यदि अल्लाह तेरे साथ भलाई का इरादा करे कोई रोकने वाला नहीं है। (सूरः यूनुस 107)