समुद्र और क़ुरआन

समुद्र जहाँ हृदय में भय, डर, बेचैनी और परीशानी को जन्म देता है तो दूसरी ओर सुकून, शान्ति, और इत्मिनान भी पैदा करता है। समुद्र की अपनी हैजानी के बावजूद इनसानी स्वाभाव में उसके मनाज़िर देखने की बड़ी तड़प रहती है।

समुद्र जहाँ हृदय में भय, डर, बेचैनी और परेशानी को जन्म देता है तो दूसरी ओर सुकून, शान्ति, और संतुष्टी भी पैदा करता है।

समुद्र धरती की तुलना में अति विशाल और महान सृष्टि है जिसकी विभिन्न विशेषतायों हैं, यह एक इनसान के लिए एक दूसरी दुनिया है जो उसकी आत्मा में विभिन्न प्रकार की भावनायें उत्पन्न करता है, यह जहाँ हृदय में भय, डर, बेचैनी और परेशानी को जन्म देता है तो दूसरी ओर सुकून, शान्ति, और संतुष्टी भी पैदा करता है। समुद्र के अपने उतार चढ़ाव के बावजूद मानव स्वाभाव में उसके दृश्य देखने की बड़ी तड़प रहती है। यह समुद्र है जिसमें हम सवारी करते हैं, व्यापार करते हैं, खाने की ताज़ा मछलियाँ प्राप्त करते हैं और हमें मोती भी यहीं मिलती है। समुद्र का वर्णन क़ुरआन में 43 बार आया है,एक स्थान पर क़ुरआन में अल्लाह ने समुद्र के इस उपकार को इस प्रकार याद दिलाया किः

اللَّهُ الَّذِي سَخَّرَ لَكُمُ الْبَحْرَ لِتَجْرِيَ الْفُلْكُ فِيهِ بِأَمْرِهِ وَلِتَبْتَغُوا مِنْ فَضْلِهِ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُون. –  الجاثية: 12

” वह अल्लाह ही है जिसने समुद्र को तुम्हारे लिए वशीभूत कर दिया है, ताकि उसके आदेश से नौकाएँ उस में चलें; और ताकि तुम उसका उदार अनुग्रह तलाश करो; और इस लिए कि तुम कृतज्ञता दिखाओ।” (क़ुरआन 45:12 )

सेनाओं में से एक सेनाः

क़ुरआन में समुद्र कभी कभी अल्लाह की सेनाओं में से एक सेना के रूप में प्रकट होता है जिसने कितनी गंवार और बदमाश क़ौमों को निगल रखा है। यह अपने दामन में फिरऔन और उसकी सेना के डूबने और मूसा और उनके समुदाय के मुक्ति पाने की घटना समेटे हुए है। अल्लाह ने कहाः

وَإِذْ فَرَقْنَا بِكُمُ الْبَحْرَ فَأَنْجَيْنَاكُمْ وَأَغْرَقْنَا آَلَ فِرْعَوْنَ وَأَنْتُمْ تَنْظُرُونَ. –   البقرة: 50

” याद करो जब हमने तुम्हें सागर में अलग-अलग चौड़े रास्ते से ले जाकर छुटकारा दिया और फ़िरऔनियों को तुम्हारी आँखों के सामने डूबो दिया।” (कुरआन, 2: 50 ) 

मृत सागरः

संदेष्टा लूत अलैहिस्सलाम की क़ौम में अन्य बीमारियों के साथ सब से भयंकर बीमारी यह थी कि वह महिलाओं के होते हुए परुषों से अपना सहवास पूरा करती थी। जब उन्हों ने अल्लाह के आदेश का खुल कर उलंधन किया, सीमा को पार कर गए और महिलाओं के होते हुए पुरुषों से सहवास पूरी करने में ढ़ीठ बन गए तो अल्लाह ने उन सब को नष्ट कर दिया और उन्हें दुनिया वालों के लिए पाठ और सबक़ बना दिया, आश्चर्य की बात यह है कि अल्लाह ने उनकी बस्तियों की जगह एक बदबूदार सागर बना दिया, जिसे आज तक “मृत सागर” कहा जाता है. जॉर्डन में स्थित इस “मृत सागर” का पानी इतना खारा है कि उसमें कोई प्राणी जीवित नहीं रह पाती. मानो “मृत सागर” ऐसा स्वभाव रखने वालों के लिए सबक है, पाठ है, संदेश है कि ऐसी गंदी हरकत करने से रुक जायें।

समुद्र में शिर्क नहीं:

क़ुरआन बहुदेववादियों की उस स्थिति को भी बयान करता है कि समुद्र में जब नाव डूबने लगते तो बहुदेववादी मात्र अल्लाह को पुकारते और जब समुद्र से मुक्ति पा जाते तो बहुदेववाद में ग्रस्त हो जाते:

وَإِذَا مَسَّكُمُ الضُّرُّ فِي الْبَحْرِ ضَلَّ مَنْ تَدْعُونَ إِلَّا إِيَّاهُ فَلَمَّا نَجَّاكُمْ إِلَى الْبَرِّ أَعْرَضْتُمْ وَكَانَ الْإِنْسَانُ كَفُورًا. –  الإسراء: 67 

” जब समुद्र में तुम पर कोई आपदा आती है तो उसके सिवा वे सब जिन्हें तुम पुकारते हो, गुम होकर रह जाते हैं, किन्तु फिर जब वह तुम्हें बचाकर थल पर पहुँचा देता है तो तुम उससे मुँह मोड़ जाते हो। मानव बड़ा ही अकृतज्ञ है।” (कुरआन, 17: 67) 

समुद्र ने इक्रमा को मुसलमान बनायाः

मक्का विजय के अवसर पर 21 वर्ष तक जिन लोगों ने मुहम्मद सल्ल. तथा उनके साथियों को तंग किया था सब अपराधी के रूप में आप से क्षमा माँग रहे थे बल्कि आपने स्वयं सब की सार्वजनिक क्षमा की घोषणा भी कर दी थी परन्तु कुछ घोर विरोद्ध करने वाले अपराधी ऐसे थे जिनको स्वयं विश्वास नहीं हो रहा था कि वास्तव में हमें क्षमा कर दिया जाएगा, उनमें एक इकरमा हैं जो मक्का से निकल कर लाल सागर के तट पर नाव में बैठे कि यमन चले जाते हैं। बीच मंजधार में नाव डगमगाने लगा, सब ने आवाज़ लगाई कि देखो! यहां तुम्हारी मूर्तियां काम नहीं आ सकतीं, मात्र ऊपर वाला ही काम आ सकता है, मात्र उसी को पुकारो।  इक्रमा ने दिल ही दिल सोचा कि जब जोश मारते समुद्र में मात्र ऊपर वाला ही हमारी सुन सकता है तो उसी को हम हर समय क्यों न पुकारें और फिर मुहम्मद जी का संदेश भी यही है। उसी समय उन्हों ने संकल्प कर लिया कि यदि अल्लाह ने उन्हें बचा लिया तो अवश्य मुहम्मद सल्ल. की सेवा में जा कर इस्लाम स्वीकार करेंगे। अंततः वह बच गए और फिर मुहम्मद सल्ल. की सेवा में आकर इस्लाम स्वीकार कर लिया

शनिवार वालेः

समुद्र हमें उस परीक्षा की भी याद दिलाता है कि समुद्र तट पर रहने वाले कुछ लोगों पर अल्लाह ने शनिवार के दिन मछलियां पकड़ना निषेध ठहराया था, उन्हों ने चालबाज़ी यह की कि शनिवार को जाल डाल देते और रविवार को जाल में फ़ंसी मछलियाँ पकड़ लेते थे। यह धोकेबाज़ी थी जिसके परिणाम-स्वरूप अल्लाह ने उन सब को बंदर और सुवर के रूप में परिवर्तित कर दिया, क़ुरआन ने इस घटना की ओर इस प्रकार संकेत किया हैः

وَاسْأَلْهُمْ عَنِ الْقَرْيَةِ الَّتِي كَانَتْ حَاضِرَةَ الْبَحْرِ إِذْ يَعْدُونَ فِي السَّبْتِ إِذْ تَأْتِيهِمْ حِيتَانُهُمْ يَوْمَ سَبْتِهِمْ شُرَّعًا وَيَوْمَ لاَ يَسْبِتُونَ لاَ تَأْتِيهِمْ كَذَلِكَ نَبْلُوهُمْ بِمَا كَانُوا يَفْسُقُونَ .  – الأعراف: 163

” उनसे उस बस्ती के विषय में पूछो जो सागर-तट पर थी। जब वे सब्त के मामले में सीमा का उल्लंघन करते थे, जब उनके सब्त के दिन उनकी मछलियाँ खुले तौर पर पानी के ऊपर आ जाती थीं और जो दिन उनके सब्त का न होता तो वे उनके पास न आती थीं। इस प्रकार उनके अवज्ञाकारी होने के कारण हम उनको परीक्षा में डाल रहे थे।” (कुरआन 7:163)

खारा और मीठा समुद्र का संगमः

समुद्र से सम्बन्धित क़ुरआन में पाये जाने वाले वैज्ञानिक चमत्कारों में से एक चमत्कार यह है कि उसने खारा और मीठे समुद्र के संगम का वर्णन किया है जिसका समर्थन आज विज्ञान करता है। एक उम्मी नबी पर आज से साढ़े चौदह सौ वर्ष पूर्व उतरने वाले ग्रन्थ में ऐसी सच्चाई का बयान पढ़ कर आपको अल्लाह की महानता का अनुभव होगा, क़ुरआन कहता हैः

وَهُوَ الَّذِي مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ هَذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ وَهَذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ وَجَعَلَ بَيْنَهُمَا بَرْزَخًا وَحِجْرًا مَحْجُورًا. –   الفرقان: 53

” वही है जिसने दो समुद्रों को मिलाया। यह स्वादिष्ट और मीठा है और यह खारी और कडुआ। और दोनों के बीच उसने एक परदा डाल दिया है और एक पृथक करनेवाली रोक रख दी है” (सूरः अल-फ़ुरक़ान 53)

दूसरे स्थान पर क़ुरआन ने कहाः

مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ يَلْتَقِيَانِ ﴿19﴾ بَيْنَهُمَا بَرْزَخٌ لَّا يَبْغِيَانِ ﴿20﴾ فَبِأَيِّ آلَاءِ رَبِّكُمَا تُكَذِّبَانِ ﴿21﴾. _  سورة الرحمن

” उसने दो समुद्रो को प्रवाहित कर दिया, जो आपस में मिल रहे होते है। (19) उन दोनों के बीच एक परदा बाधक होता है, जिसका वे अतिक्रमण नहीं करते (20) तो तुम दोनों अपने रब के चमत्कारों में से किस-किस को झुठलाओगे? “(सूरः अर्रहमान 21)

अब देखिए कृपया यह विडियोः

समुद्र और अल्लाह की महानताः

हमने अपने सृष्टा और पालनकर्ता की महानता को अब तक समझा नहीं, यदि संसार के प्रत्येक समुद्रों की रोशनाई बनाई जाये फिर सात समुद्र अलग से हों और संसार के प्रत्येक वृक्षों के क़लम बनाये जाएं उसके बाद अल्लाह की महानता नोट की जाए तो क़लम टूट जाएं और सियाही समाप्त हो जाए परन्तु अल्लाह की बात और उसकी महानता समाप्त नहीं हो सकती। ज़रा विचार कीजिए इस आयत परः

وَلَوْ أَنَّمَا فِي الأَرْضِ مِنْ شَجَرَةٍ أَقْلاَمٌ وَالْبَحْرُ يَمُدُّهُ مِنْ بَعْدِهِ سَبْعَةُ أَبْحُرٍ مَا نَفِدَتْ كَلِمَاتُ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ . –  لقمان: 27

” धरती में जितने वृक्ष हैं, यदि वे क़लम हो जाएँ और समुद्र उसकी स्याही हो जाए, उसके बाद सात और समुद्र हों, तब भी अल्लाह के बोल समाप्त न हो सकेंगे। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।” (क़ुरआन 31: 27)

 

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