जौदा अल-फारिस
अनुवादः सफात आलम
बाबुल भारत से संबंध रखने वाला एक हिन्दू युवक था, ड्राइवर के रूप में एक कुवैती के घर में काम करता था, एक दिन उसने IPC की ज़ियारत की, इस्लाम का परिचय प्राप्त किया, अल्लाह ने उसका दिल इस्लाम के लिए खोल दिया, इस प्रकार उसने इस्लाम स्वीकार कर लिया और अपना नाम बिलाल रखा.
फिर IPC के नियमानुसार वह नव मुस्लिमों के लिए विशेष किय गए क्लास में उपस्थित होने लगा. उसने दीन सीखने में कोई मकी नहीं की और अपने आप में संकल्प लिया कि अपने परिवार तक इस्लाम का पैगाम पहुंचाने के लिए खुद को तैयार करेगा , इस प्रकार उसकी इच्छा रंग लाई और वह IPC में सहायक दाई के रूप में काम करने लगा , लगातार मेहनत जारी रखी यहां तक कि आग उनकी गिनती IPC के अच्छे दाइयों में हो रही है।
अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फ़रमाया:
” अगर अल्लाह तुम्हारे द्वारा एक व्यक्ति को सीधे रास्ते पर ला दे तो यह तुम्हारे लिए लाल ऊंट से अच्छा है” एक दूसरी रिवायत में है ” ….दुनिया और उसमें जितनी चीज़ें हैं सब से अच्छा है”.
इस दाई का किस्सा यहीं खत्म नहीं होता बल्कि IPC में नौकरी के पांच साल के अंदर एक हजार लोगों ने उसके हाथ पर इस्लाम लाने का सौभाग्य प्राप्त किया. मुबारक हो, उसे यह महान पुरस्कार.
शैख बिलाल का किस्सा IPC के हजारों नव मुस्लिमों के किस्सों में से एक है जो हमें नब सल्ल. के युग , सहाबा के युग और उनके बाद के समय की याद दिलाते हैं, और क्यों न दिलाएं कि आप देखेंगे कि एक व्यक्ति IPC में प्रवेश करता है तो कलमा शहादत की गवाही देने के बाद भक्तों के बीच से निकलता है तो खुशी के आँसू उसके चेहरे पर छलक रहे हैं .
इस साल IPC का का लोगो है.’ इस्लाम का परिचय …. हमारी जिम्मेदारी है उसे फैलाने में हमारा साथ दें. जी हाँ! अल्लाह की क़सम इस से बढ़ कर और क्या जिम्मेदारी हो सकती है, दावत ‘ नबियों संदेष्टाओं और नेक लोगों की प्रक्रिया है . और यह सारे कामों में सब से उत्तम काम और नौकरी है। अल्लाह तआला का फरमान है :
” उस व्यक्ति की बात से बेहतर किसकी बात हो सकती है जो अल्लाह की ओर बुलाए …. ” .
प्यारे भाई! यदि आप किसी ग़ैर मुस्लिम को जानते हैं तो तुरंत हम से संपर्क करें हमारे पास गैर-मुस्लिमों की भाषा में विभिन्न पुस्तकें और उनकी भाषा में बात करने वाले दाई हैं।