आत्महत्या करना एक महा पाप है।

आत्महत्या करना एक महा पाप है।

आत्महत्या करना एक महा पाप है।

ज्यादा आत्महत्या करने वाले लोग किसी चीज से निराश हो कर आत्महत्या करने का कदम उठाते हैं। टेन्शन के कारण आत्महत्या करते हैं। अल्लाह तआला ने कठिन स्थिति और नाजुक हालात में सब्र से काम लेने का आदेश दिया है और अल्लाह की नेमतों से निराश न होने पर उभारा है। इस्लाम में आत्महत्या करना भी बहुत बड़ा पाप है। क्योंकि यह जीवन अल्लाह की ओर से दी गई है, जिसे अल्लाह के आदेश से अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चल कर गुज़ारना है। अल्लाह का फरमान है।

وَلَا تَقْتُلُوا أَنفُسَكُمْ ۚ إِنَّ اللَّـهَ كَانَ بِكُمْ رَ‌حِيمًا -وَمَن يَفْعَلْ ذَٰلِكَ عُدْوَانًا وَظُلْمًا فَسَوْفَ نُصْلِيهِ نَارً‌ا ۚ وَكَانَ ذَٰلِكَ عَلَى اللَّـهِ يَسِيرً‌ا – إِن تَجْتَنِبُوا كَبَائِرَ‌ مَا تُنْهَوْنَ عَنْهُ نُكَفِّرْ‌ عَنكُمْ سَيِّئَاتِكُمْ وَنُدْخِلْكُم مُّدْخَلًا كَرِ‌يمًا. (سورة النساء: 31)

और न ही आत्महत्या करो। निस्संदेह अल्लाह तुम पर बहुत दयावान है – और जो कोई ज़ुल्म और ज़्यादती से ऐसा करेगा, तो उसे हम जल्द ही जहन्नम में झोंक देंगे, और यह अल्लाह के लिए सरल है-यदितुम उन बड़े गुनाहों से बचते रहो, जिन से तुम्हें रोका जा रहा है, तो हमतुम्हारी बुराइयों को तुम से दूर कर देंगे और तुम्हें प्रतिष्टित स्थान मेंप्रवेश कराएँगे। (सूरह अन्निसाः 29,30,31)

जिस व्यक्ति ने आत्महत्या किया, तो वह हमेशा हमेश के लिए जन्नहम में दाखिल होगा। जहन्नम में अपने आप को उसी वस्तु से कष्ट देता रहेगा, जिस वस्तु से दुनिया में आत्महत्या किया था। सिवाए कि अल्लाह उसे क्षमा कर दे।

مَن قتل نفسه بشيء في الدنيا عذب به يوم القيامة. (صحيح البخاري: 5700) و(صحيحمسلم: 110

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का कथन हैः जिसने दुनिया में किसी वस्तु से आत्महत्या किया तो उसी से क़ियामत के दिन उसे यातना दिया जाएगा। (सही बुखारीः 5700 व सही मुस्लिमः110)

इस अज़ाब के प्रति कुछ विस्तार से दुसरी हदीस में इस प्रकार विवरण हुआ है। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ) के इस कथन पर विचार करें।

عن أبي هريرة رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: مَن تردى من جبل فقتل نفسه فهو في نار جهنم يتردى فيه خالداً مخلداً فيها أبداً، ومَن تحسَّى سمّاً فقتل نفسه فسمُّه في يده يتحساه في نار جهنم خالداً مخلداً فيها أبداً، ومَن قتل نفسه بحديدة فحديدته في يده يجأ بها في بطنه في نار جهنم خالداً مخلداً فيها أبداً.  (صحيح البخاري: 5442) و(صحيح مسلم: 109

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः जिस ने पहाड़ से गिर कर आत्महत्या किया, तो वह जहन्नम में दाखिल होगा और उस में हमेशा हमेश अपने आप को पहाड़ से गिरा कर सज़ा देता रहेगा और जिसने जहर खा कर आत्महत्या किया तो जहन्नम में दाखिल होगा और जहर उस के हाथ में होगा जिस से वह हमेशा स्वयं सज़ा देता रहेगा। और जिस ने धारदार छुरी से आत्महत्या किया। तो जहन्नम में धारदार छुरी उस के हाथ में होगा और हमेशा हमेश वह अपने आप को उस से सज़ा देता रहेगा।  (सही बुखारीः 5442 व मुस्लिमः 109)

आत्महत्या करने वाला व्यक्ति अल्लाह पर विश्वास नहीं करता और अल्लाह की दी हुइ जीवन को बिना उसके अनुमति के खत्म करता है तो अल्लाह तआला उस पर जन्नत हराम कर देता जैसा कि रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)ने पूर्व लोगों में से एक व्यक्ति का किस्सा इस प्रकार बयान फरमाया हैः

وعن جندب بن عبد الله رضي الله عنه قال: قال رسول الله صلى الله عليه وسلم: كان فيمن كان قبلكم رجل به جرح فجزع فأخذ سكيناً فحز بها يده فما رقأ الدم حتى مات. قال الله تعالى: بادرني عبدي بنفسه حرمت عليه الجنة.   ( البخاري: 3276 ) و(صحيح مسلم: 113

जुन्दुब बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः तुम से पूर्व समाज में एक व्यक्ति था जब वह ज़ख्मी हो गया जिस से उसे बहुत पीड़ा का अनुभव हुआ और पीड़ा के कारण उसने एक चाकू लिया और अपने हाथ को काट लिया जिस कारण रक्त बहता रहा, यहाँ तक उसकी मृत्यु हो गई। तो अल्लाह ने फरमायाः मेरे इस दास ने अपने आप के साथ जल्दबाज़ी की तो मैंने इस पर जन्नत को वर्जित कर दिया है।  (सही बुखारीः 3276 व सही मुस्लिमः 113)

जो लोग भी आत्महत्या करते हैं। तो वास्तव में ऐसे लोग बुज्दिल हैं। जो समस्याओं के समाधान से डर कर भागते हैं और अपने परिवार वालों के जिवन में दड़ाड़ उत्पन्न करते हैं और अपने सृष्टिकर्ता के आदेश की अवज्ञा करते हैं। अल्लाह तआला पर विश्वास और भरोसा नहीं करते हैं। जिस कारण अल्लाह तआला ऐसे लोगों से सख्त नाराज होता है और उन्हें कठोर यातनाओं में ग्रस्त करेगा। जैसा किउपर कुछ दलीलें बयान किया गया है।

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