क़ब्र की नेमतें या उसकी सज़ाएं

قبر1जब लोग शव को धर्ती में गाड़ कर आनेलगते हैं और चालिस कदम दूर आजाते हैं तो दो फरिशेते उस के पास आते हैं और उसे बैठाते हैं और उस से प्रश्न करते है। ” तुमहारा रब कौन है ? तो वह उत्तर दोगा, मेरा रब अल्लाह है। दुसरा प्रश्न करेगा कि, तुम्हारा धर्म किया है ? तो वह उत्तर दोगा, मेरा धर्म इस्लाम है। तीसरा प्रश्न करेगा कि , तुम्हारे बीच जो आदमी भेजा गया था उसके बारे तुम किया कहते हो ? तो वह उत्तर देगा , वह अल्लाह के नबी और संदेष्ठ हैं। फिर वह प्रश्न करेगा , तुम्हारा इल्म किया कहता है ? तो वह उत्तर देगा , मैं ने अल्लाह की किताब पढ़ा और उस पर ईमान लाया और उस को सच जाना, तो आकाश से आवाज़ आती है कि मेरे बन्दे ने सच कहा है, उस के लिए जन्नत का बिस्तर बिछा दो , और उस के लिए जन्नत के दरवाज़े खोल दो , जिस दरवाज़े से जन्नत कि ठंडी हवा आएगी और उस के कब्र को बड़ा कर दिया जाता है।  इसके बाद उस के पास एक सुन्दर शक्ल , साफ सुथरा पोशाक वाला और अच्छी खुश्बू वाला आदमी आता है, और कहता है कि खुश हो जाओ , तुम्हारा यह वही दिन है जिसका तुम से दुनिया में वादा किया जाता था , तो वह प्रश्न करेगा,  तुम कौन हो ?, तुम तो अच्छी खबर लेकर आए हो, तो वह जवाब देगा, मैं तुम्हारा नेक कर्म हूँ , मैं तुम्हारा अच्छा आचार हूँ , तो वह कहेगा . ऐ रब ! तू कियामत प्रकट कर दे ताकि मैं अपने घर वालो की ओर जाऊँ और उन्हें अपने बारे में शुभ खबर दे दूं , परन्तु इस के विपरित जब एक अल्लाह को न मानने वालों के मौत का समय अता है , जब वह दुनिया छोड़ कर आखिरत की ओर कदम बढ़ाने वाला होता है, तो उस के पास काले कलौटे और डरावनी शक्ल वाले फरिश्ते आते हैं। गन्दे और मोटे एंव बेकार किस्म के क़फ़न के कपड़े साथ लाते हैं, और उस के पास दूर तक बैठ जाते हैं, फिर मौत के फरिश्ते आते हैं, और उस के सर के पास बैठ जाते हैं, और फटकारते हुए कहते है, ऐ बदबख्त प्राण ! तु अल्लाह की अप्रसन्नता और धुत्कार की ओर निकल, तो उसका प्राण, शरीर में भागने लगता है, फरिश्ते के डर से छिपने लगता है, मगर फरिश्ते उस के प्राण को पकड़ कर खीचता है, जैसे कि भीगे हुए ऊन से तान्त निकाला जाता है और उसे मारा और पीटा जाता है। अल्लाह तआला ने पवित्र कुरआन में फरमाय हैः
” आप का क्या ख़्याल है, जब कि फरिश्ते अधर्मियों की आतमाओं को ग्रस्त कर कहे थे , वह उन के चेह्रे और उन के कुल्हों पर चोट लगा रहे थे और कहते जाते थे , लो ! अब जल्ने की सजा भोग्तो, यह वह बदला है जिस का सामान तुम्हारे अपने हाथों ने पहले ही जुटा रखा था वर्ना अल्लाह तो अपने बन्दों पर अत्याचार करने वाला नहीं हैं।” (सूरः अन्फालः 10)
फिर उन की आत्माओं को पकड़ कर उस तक्लिफ दायक झोले में डाल देंगे और उस झोले से धर्ती पर पायेजाने वाली सम्पूर्ण बदबू से अधिक बदबू निकलेगी, उसे लेकर फरिश्ते आकाश की ओर जाते हैं, जहाँ जहाँ से फरिश्ते उसे लेकर गुज़रते हैं तो वहाँ वहाँ से गुज़रने वाले फरिश्ते कहते हैं, यह कौन बदबख्त प्राण है ?, यह कौन बुरी आत्मा है ?, तो फरिश्ते जवाब देंगे, यह फलाँ का बेटा फलाँ व्यक्ति है, दुनिया के बुरे नामों से उस का परिचय करवाऐंगे, फिर जब उसे लेकर फरिश्ते संसारिक आकाश तक पहुंचेंगे, और उस के लिए आकाश का द्वार खोलने के लिए कहा जाऐगा, परन्तु उस के लिए आकाश का द्वार न खोला जाऐगा, इसी को अल्लाह तआला ने खुले शब्दों में चौदा सौ साल पहले ही चेतावनी दे दी है,
उन के लिए आकाश के दरवाज़े हरगिज़ न खोले जाऐंगे और उन का जन्नत में प्रवेश करना वैसे ही असंभव है जैसा कि सूई के सूराख से ऊंट का पार होना है,(सूरः अल-आराफ़ः 40)

 और अल्लाह कहेगा, इस का नाम धर्ती के निचले भाग में रहने वालों की सूची में लिख दो, और उस के प्राण को आकाश से फेंक दो, फिर नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने क़ुरआन की यह आयत पढ़ीः

 ,” और जो कोई अल्लाह के साथ साझीदार टहराऐगा तो समझो वह आकाश से गिर गया या तो उसे पक्षी उचक लेजाऐगी या हवा उस को एसे स्थान पर ले जाकर पटक फेंक देगी जहाँ उस के चित्ढ़े उड़ जाऐंगे ” । (सूरः अल-हज्जः 31)
फिर उस के प्राण को उस के शरीर में लौटा दीया जाता है। जब लोग शव को धर्ती में गाड़ कर, आने लगते हैं और चालिस कदम दूर आजाते हैं तो दो फरिशेते उस के पास आते हैं और उसे बैठाते हैं और उस से प्रश्न करते है। ” तुमहारा रब कौन है ? तो वह उत्तर दोगा, हाऐ, अफसोस, मुझे ज्ञान नहीं है। दुसरा प्रश्न करेंगे कि, तुम्हारा धर्म किया है ? तो वह उत्तर दोगा, हाऐ, अफसोस, मुझे मालूम नहीं है, तीसरा प्रश्न करेगा कि , तुम्हारे बीच जो आदमी भेजा गया था उसके बारे तुम किया कहते हो ? तो वह उत्तर देगा , हाऐ, अफसोस, मुझे ज्ञान नहीं है। फिर वह प्रश्न करेगा , तुम्हारा इल्म किया कहता है ? तो वह उत्तर देगा , हाऐ, अफसोस, मुझे मालूम नहीं है , तो आकाश से आवाज़ आती है कि मेरा बन्दा झूट कहता है। उस के लिए जहन्नम के बिस्तर बिछा दो, और उस के लिए जहन्नम के दरवाज़े खोल दो , जिस से जहन्नम की गर्म हवा और बदबूदार हवा आएगी और उस के बाद उस के कब्र को तंग कर दिया जाता है, यहाँ तक कि उसकी पिसली की हड्डी कड़कड़ाने लगती है और उस के पास काले कलौटे और डराव्नी शक्ल वाले, गन्दे कपड़े वाला और बुरी बदबू वाला आदमी आता है, और कहता है कि मैं तुम्हें बुरी समाचार देता हूँ , तुम्हारा यह वही दिन है जिसका तुम से दुनिया में वादा किया जाता था तो वह प्रश्न करेगा , तुम कौन हो ? तो वह जवाब देगा , मैं तुम्हारा बुरा कर्म हूँ, मैं तुम्हारा पाप हूँ , तो वह कहेगा, ऐ रब ! कियामत प्रकट न कर , (शरहुततहावियहः शैख अलबानी ने सही कहा हैः 369)

दुसरी सहा रिवायत में इस ज़्यादती के साथ हैः  फिर एक गोंगा और अंधा फरिश्ता एक लोहे के हथौड़ा ले कर आता है यदि वह पहाड़ पर मार दे तो पहाड़ मिट्टी बन जाए तो वह उस के सर पर लोहे के हथौड़े से पीटता है, वह चौट के कारण चीखता है , जिसे मानव और जिन्न के अलावा सब वस्तु सुनेंगे। फिर वह मिट्टी बन जाता है और उस में रूप डाला जाता है। ( सही सुनन अबी दाउदः शैख अलबानी , 4753 )

गोया की मौत के बाद ही कब्र में डाले जाने के बाद से ही पुरस्कार या दण्डित का सिलसिला आरंभ होजाता है. अत्याचारों, भरष्ठाचारों, अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले यातनाओ, परिशानियो, कठिनायों में लिप्त हो जाते है।

इसी तरह अल्लाह तआला फिरऔन और उसके मानने वालो को अज़ाब देता है, जैसा कि अल्लाह तआला ने खुले शब्दों में कह दिया है।

فَوَقَاهُ اللَّهُ سَيِّئَاتِ مَا مَكَرُوا وَحَاقَ بِآلِ فِرْعَوْنَ سُوءُ الْعَذَابِ – النَّارُ يُعْرَضُونَ عَلَيْهَا غُدُوًّا وَعَشِيًّا وَيَوْمَ تَقُومُ السَّاعَةُ أَدْخِلُوا آلَ فِرْعَوْنَ أَشَدَّ الْعَذَابِ – (سورة غافر:46 )

 ” आखिर कार जो बुरी से बुरी चालें उस ईमान वालो के विरुद्ध चली, अल्लाह ने इन सब से उस को बचा लिया और फिरऔन के साथी खुद अत्यंत बुरे अज़ाब के फैरे में आगए , जहन्नम कि आग में वह लोग सुबह शाम दाखिल किए जाते है और जब कियामत की घढ़ी आजाएगी तो आदेश होगा कि फिरौन के लोगो को कठोरतम अज़ाब में दाखिल करो। (सूरः ग़ाफिरः 45-46)
इसी तरह प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के कथन से भी प्रमाणित है कि अल्लाह तआला धर्मभ्रष्ट , अल्लाह के साथ शिर्क करने वालों, नेक कर्म न करने वालों को क़ब्र में यातनाऐं देगा।

مرَّ النبيُّ صلَّى اللهُ عليه وسلَّم بحائطٍ مِن حيطانِ المدينةِ ، أو مكةَ ، فسمِع صوتَ إنسانَينِ يُعَذَّبانِ في قُبورِهما، فقال النبيُّ صلَّى اللهُ عليه وسلَّم : يُعَذَّبانِ وما يُعَذَّبانِ في كبيرٍ . ثم قال : بلَى ، كان أحدُهما لا يَستَتِرُ من بوْلِه، وكان الآخَرُ يمشي بالنَّميمَةِ . ثم دَعا بجَريدَةٍ، فكسَرَها كِسرَتَينِ، فوضَع على كُلِّ قَبرٍ منهما كِسرَةً، فقيل له : يا رسولَ اللهِ ، لِمَ فعَلتَ هذا ؟ قال : لَعلَّه أنْ يُخَفَّفَ عنهما ما لم تَيبَسا أو: إلى أن يَيبَسا .(صحيح البخاري: 216)

प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मदीना या मक्का में एक दीवार के निकट से गुज़रे तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने  दो मानव के आवाज़ सुनी, जिसे अपने क़ब्रों में कष्ठ दिया जा रहा था। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः  ” इन दोनों क़ब्र वालों को अज़ाब दी जा रही है और इन्हें किसी बड़े पाप के कारण अज़ाब नहीं दी जा रही है बल्कि पहले व्यक्ति को केवल इस कारण यातनाऐं दी जा रही है कि वह पेशाब करते समय पेशाब के छींटे से बचता नहीं था और दुसरा व्यक्ति लोगों के बीच चुग़ली खाता था। फिर रसूल ने एक टेहनी मंगवाया और उसे दो टुकड़ा कर के एक टुकड़ा एक क़ब्र में गाड़ दिया और दुसरी टेहनी दुसरे क़ब्र पर गाड़ दिया। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से पूंछा गया, ऐ अल्लाह के रसूल! आपने ऐसा क्यों किया? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने उत्तर दिया। शायद अल्लाह उन्हें क़ब्र की यातनाओं में कमी कर दे जब तक कि टेहनी सूख न जाए ” (  सही बुखारीः 216)
गोया कि जो व्यक्ति पेशाब करते समय अपने कपड़े और शरीर को पेशाब के छींटे से सुरक्षित नहीं रखता तो अल्लाह तआला उसे क़ब्र की यातनाओं में लिप्त करेगा। इसी तरह जो व्यक्ति लोगों के बीच चुग़ली खा कर लोगों को आपस में लड़ाता है, उन के बीच दुशमनी और नफरत पैदा करता है तो ऐसे व्यक्ति को भी कब्र में अल्लाह तआला यातनाए देगा। उसे तरह तरह की परेशानियों में ग्रस्त करेगा। इसी तरह जो व्यक्ति एक अल्लाह को छोड़ कर अनेक वस्तु की पूजा करता है या अल्लाह के साथ साथ दुसरे देवी देवता और पीर बाबा से सहायता और शक्ति मांगता है। उनकी अराधना करता है। खुशियों और कष्टों में एक अल्लाह के साथ साथ दूसरों की उपासना करने वाले , जीवन के मोड़ पे अल्लाह को छोड़ कर दूसरों को याद रखने वाले, उसका विश्वास अल्लाह के साथ एनेक ईश्वर पर होता है तो ऐसा व्यक्ति भी कब्र की यातनाओं में ग्रस्त रहेगा। सच्चा वाकिया आप को बताता हूँ. ज़ैद बिन साबित वर्णन है कि हम नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ) थे।

بينما النبيُّ صلَّى اللهُ عليهِ وسلَّمَ في حائطٍ لبني النجارِ ، على بغلةٍ لهُ ، ونحن معَه ، إذ حادت بهِ فكادت تُلقيهِ . وإذا أقبرُ ستةٍ أو خمسةٍ أو أربعةٍ ( قال : كذا كان يقولُ الجريريُّ ) فقال ” من يعرفُ أصحاب هذه الأقبرِ ؟ ” فقال رجلٌ : أنا . قال ” فمتى مات هؤلاءِ ؟ ” قال : ماتوا في الإشراكِ . فقال ” إنَّ هذهِ الأمةَ تُبتلى في قبورها . فلولا أن لا تدافنوا ، لدعوتُ اللهَ أن يُسمعكم من عذابِ القبرِ الذي أسمعُ منهُ ” ثم أقبل علينا بوجهِه ، فقال ” تعوَّذوا باللهِ من عذابِ النارِ ” قالوا : نعوذُ باللهِ من عذابِ النارِ . فقال ” تعوَّذوا باللهِ من عذابِ القبرِ ” قالوا : نعوذُ باللهِ من عذابِ القبرِ . قال ” تعوَّذوا باللهِ من الفتنِ ، ما ظهر منها وما بطن ” قالوا : نعوذُ باللهِ من الفتنِ ، ما ظهر منها وما بطن . قال ” تعوَّذوا باللهِ من فتنةِ الدجالِ ” قالوا : نعوذُ باللهِ من فتنةِ الدجالِ .(صحيح مسلم: 2867

प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने खच्चर पर सवार हो कर बनी नज्जार के दीवार के पास से ग़ुज़र रहे थे। आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ हम भी थे कि खच्चर बिदग गया और करीब था कि आप को गिरा देता, आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने साथियो से प्रश्न किया कि यह किन लोगो की कब्रें हैं ? आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)  के एक साथी ने कहा। इन लोगो की मृत्यु शिर्क (अल्लाह के साथ भागीदार बनाने) की हालत में होई थी। तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)  ने फरमायाः  यह समुदाए अपने क़ब्रो में आजमाइ जाएंगी, यदि मुझे यह डर न होता कि तुम अपने मुर्दे को दफ़नाना छोड़ दोगे तो मैं अल्लाह से प्रार्थना करता कि वह तुम्हें कब्र की यातनाओं को सुनने की शक्ति दे जो सुनने की शक्ति मुझे दी है। फिर हमारी ओर रूख किया और फरमायाः तुम लोग क़ब्र के अज़ाब से बचने के लिए अल्लाह की शरण मांगो, तो सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह, हम क़ब्र के यातनाओं से तेरी शरण मांगते हैं, फिर रसूल ने फरमायाः तुम लोग क़ब्र के अज़ाब से बचने के लिए अल्लाह की शरण मांगो, तो सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह, हम क़ब्र के यातनाओं से तेरी शरण मांगते हैं, फिर रसूल ने फरमायाः तुम लोग क़ब्र के अज़ाब से बचने के लिए अल्लाह की शरण मांगो, तो सहाबा ने कहाः ऐ अल्लाह, हम क़ब्र के यातनाओं से तेरी शरण मांगते हैं,…….  ” (सही मुस्लिमः 2867 )
इसके अलावा और बहुत सी हदीसें प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से प्रमाणित है कि जो लोग दुनिया में बुरे काम करते हैं, लोगों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते, लोगों का माल नाहक खाजाते हैं , अल्लाह को छोड़ कर अनेक वस्तू की उपासना करते हैं, उनकी परेशानी और अज़ाब कब्र से ही आरंभ हो जाती हैं। अल्लाह तआला इन लोगों को हर प्राकार के तकलीफों में ग्रस्त कर देता है परन्तु जो लोग अल्लाह के आज्ञा के अनुसार अपनी जीवन बिताते हैं, प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के हर कथन को अपने जीवन में लागु करते हैं। अल्लाह और उसके प्रिय नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की मोकम्मल इताअत करते हैं. तो अल्लाह तआला उनका मामला कब्र से आसान तथा सरल कर देता है। कब्र से ही उसे प्रसन्नता और अच्छी जीवन प्राप्त होती है जैसा कि उस्मान बिन अफ्फान (रज़ियल्लाह अन्हु) क़ब्र के प्रति बहुत चिन्तित रहते थे। जैसा कि हदीस में वर्णन है।

أنه كان إذا وقف على قبر ؛ بكى حتى يبل لحيته ، فقيل له : تذكر الجنة والنار ، فلا تبكي ، وتبكي من هذا ؟ ! فقال : إن رسول الله – صلى الله عليه وسلم – ، قال : إن القبر أول منزل من منازل الآخرة ، فإن نجا منه فما بعده أيسر منه ، و إن لم ينج منه فما بعده أشد منه ، قال : قال رسول الله – صلى الله عليه وسلم – : ما رأيت منظرا قط ؛ إلا والقبر أفظع منه. (تخريج مشكاة المصابيحالألباني :128)

उस्मान बिन अफ्फान (रज़ियल्लाह अन्हु) क़ब्र के पास खड़े होते तो रोने लगते यहां तक कि उनकी दाढ़ी भीग जाती थीं, तो उन से कहा गया कि आप जन्नत और जहन्नम को याद करते हैं तो नहीं रोते हैं परन्तु क़ब्र के प्रति रोने लगते हैं? तो उस्मान बिन अफ्फान (रज़ियल्लाह अन्हु) कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः  बेशक क़ब्र पारलोक की सर्वप्रथम सीढ़ी है यदि कब्र की परीक्षा में सफल हो गये तो दुसरे अन्य स्थानों पर सफलता प्राप्त होगी और यहां सफल नहीं हुए तो इसके अलावा स्थान और कष्ठदायक होगा। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः मैं क़ब्र से अधिक रूसवा दृश्य कहीं भी नहीं देखा।”  (मिश्कातः शैख अल्बानीः 128)

कब्र की यातनाए और परिशानियाँ या कब्र की खुशहाली और फरिश्तों का प्रश्न करना, प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होगा जिस की मृत्यु हो चुकी है चाहे उसे धर्ती में गाढ़ दी जाए या आग में जलाया जाए या उसे फांसी देकर खम्भे पर लटकाया जाए या सागर के मछलियों को खिला दी जाए या जंगली जानवर उसे खा जाए.
अल्लाह तआला ने मानव को पैदा किया है और उसे दोबारा जीवित करना उसके लिए बहुत सहज है।
प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने पहले ज़माने में से एक व्यक्ति का किस्सा बयान फरमाया कि पूर्वज समुदाए में से एक व्यक्ति ने अपने देहांत से पहले अपने पुत्रो से वचन लियाः

عن أبي هريرة رضي الله عنه أن النبي صلى الله عليه وسلم قال: أسرف رجلٌ على نفسِه . فلما حضره الموتُ أوصى بنيه فقال : إذا أنا متُّ فأحرِقوني . ثم اسحقوني . ثم اذروني في الريحِ في البحرِ . فواللهِ ! لئن قدر عليّ ربي ، ليعذبني عذابًا ما عذبه به أحدٌ . قال ففعلوا ذلك به . فقال للأرضِ : أدي ما أخذتِ . فإذا هو قائمٌ . فقال له : ما حملك على ما صنعتَ ؟ فقال : خشيتُك . يا ربِّ ! – أو قال – مخافتُك . فغفر له بذلك (مسلم : 2756)

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है प्रिय रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने पहले ज़माने में से एक व्यक्ति का किस्सा बयान फरमायाः एक व्यक्ति ने बहुत पाप किया तो जब मैं उस के मृत्यु का समय आया तो अपने पुत्रो से वचन लियाः जब मैं मर जाऊंगा तो मुझे आग में जला देना और मेरी राख को पीस देना, और फिर तेज़ आँधी के दिन हवा में उड़ा कर सागरों में बहा देना। तो अल्लाह की क़सम! यदि अल्लाह मुझे पकड़ लेगा तो ऐसी यातनाएं देगा कि किसी को वैसी यातना न दिया होगा, तो उसके बेटों ने बाप के आज्ञा के अनुसार अमल किया, अल्लाह तआला ने धरती को आज्ञा दिया। धरती ने अल्लाह के आज्ञा का पालन करते हुए, उसके एक एक राख को जमा कर दिया, तो वह अल्लाह के समक्ष खड़ा हो गया तो अल्लाह तआला ने उस से प्रश्न किया ” तुम ने ऐसा क्यों क्या ? वह उत्तर दियाः ” ऐ अल्लाह, तेरे भय के कारण, मैं ने ऐसा किया! और तू जानने वाला है तो अल्लाह तआला ने उसे माफ़ कर दिया।”   (सही मुस्लिमः 2756)

अल्लाह तआला ने धर्ती और उसके कीड़ो पर वर्जित कर दिया है कि वह नबियों तथा सन्देष्ठाओं के शरीर को खाए मगर दुसरे सर्व मनुष्य के शव को मिट्टी और उसके कीड़े खा जाते हैं सिवाए मनुष्य के रीढ़ के निचले भाग की एक छोटी हड्डी बाकी रहती है। उसी से इन्सान दो बारा पैदा किया जाएगा जैसा कि सही हदीस में आया है। अल्लाह तआला आसमान से पानी बरसाएगा तो लोग वैसे ही उगेंगे जैसेकि पौदा उगता है. मानव के शरीर का हर भाग जीर्ण हो जाएगा सिवाए रीढ़ के निचले भाग की एक छोटी हड्डी और उसी से पूरे मानव की दो बारा रचना होगी।

अल्लाह अपनी दया और कृपा से हम सब को क़ब्र की यातनाओं  से सुरक्षित रखे।

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