मौत एक खुली वास्तविक्ता

मौत संसार एक परिक्षास्थल हैः

निःसंदेह यह संसार एक परिक्षास्थल है।इस में जो कर्म हम करेंगे, चाहे वह अच्छा हो या बुरा, उसी के अनुसार हमें आगे के दोनों जीवन में बद्ला प्राप्त होगा, यदि हमने अपनी जीवन को अच्छे कार्यों में लगाए, लोगों के भलाइ के काम किये, लोगों को उनका अधिकार दिया, अल्लाह की उपासना और पूजा सही तरीके से किया, तो हमें अच्छा परिणाम मिलेगा, यदि हमने अपनी जीवन को गलत कामों में लगाए, दुसरे लोगों के साथ अत्याचार किया और एक अल्लाह को छोड़ कर अन्गिनित भगवानो के सामने अपना माथा झुकाया तो हमारा मालिक हमें डंडित करेगा, अल्लाह हमारे अपराधों के बराबर हमें बदला देगा।

परलौकिक जीवन मृत्यु के बाद आरंभ हो जाता हैः

जिस का पहला स्थान कब्र है जिस में अपने कर्म के अनुसार सज़ा या पुरस्कार मिलेगा, फिर प्रत्येक मानव जीवित होगा जो परलौकिक जीवन का दुसरा स्थान है, जहाँ अल्लाह हर इन्सान से उसके कर्मों के बारे में प्रश्न करेगा, इसके बाद जन्नत (स्वर्ग) या जह़न्नम     (नर्क) में डालेगा, यही जीवन वास्तविक जीवन और हमेशा रहने वाली जीवन है।
मृत्यु एक खुली वास्तविक्ता है, हर जीवधारी को एक दिन यह संसार छोड़ कर जाना है, इस लिए यदि वह परलौकिक जीवन में परसन्नता प्राप्त करना चाहता है, परलौकिक जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहता है , जन्नत (स्वर्ग) में प्रवेश होना चाहता है तो वह इस धर्ती पर अच्छा काम करे, लोगों के साथ उत्तम व्यहवार करे, लोगों को उस का अधिकार दे, लोगों के लिए वही चीज़ पसन्द करे जो वह अपने लिए पसन्द करता है। पुण्य के कार्यों में आगे आगे रहे, जो धन-दौलत अल्लाह ने जो उसे प्रदान किया है, उस में से कुच्छ ग़रीबों, मिस्कीनों और ज़रूरतमन्द व्यक्तियों को अल्लाह को खूश करने के लिए दान करे, अल्लाह की इबादत अच्छे ढ़ंग से करें, अल्लाह की इबादत में किसी को उसका भागीदार न बनाए, अल्लाह से अपने पापों, अत्याचारों की क्षमा मांगे, क्योंकि अल्लाह तआला ने खुले शब्दों में मानव को चेतावनी दे दी है कि जो अच्छा काम करना है, इसी दुनिया में करलो, मृत्यु के बाद दोबारा तुम्हें मुहलत मिलने वाली नहीं है, अल्लाह तआला का फरमान है।

” يا أيها الذين آمنوا لا تلهكم أموالكم ولا أولادكم عن ذكر الله ومن يفعل ذلك فأولئك هم الخاسرون – وأنفقوا من ما رزقناكم من قبل أن ياتي أحدكم الموت فيقول رب لولا أخرتني إلى أجل قريب فأصدق وأكن من الصادقين- ولن يؤخر الله نفسا إذا جاء أجلها والله خبير بما تعلمون “- (المنافقون: 9-11)

” ऐ लोगों जो ईमान लाए हो, तुम्हारी सम्पत्ती और तुम्हारी संतान तुम को अल्लाह की याद से ग़ाफिल न कर दे और जो ऐसा करेंगें, वह घाटे में रहने वाले लोग होंगे, जो जीविका हम्ने तुमको दी है उस में से खर्च करो, इस से पहले कि तुम में से किसी के मौत का समय आजाऐ, और उस समय वह कहे कि ऐ मेरे रब, क्यों न तूने मुझे थोड़ी सी मुह्लत और दे दी कि मैं दान देता और अच्छे लोगों में शामिल हो जाता, हांलाकि जब किसी के कर्म करने की मुह्लत के समाप्त होने का समय आजाता है तो अल्लाह तआला किसी व्यक्ती को हरगिज़ और ज़्यादा मुह्लत नहीं देता है और जो कुच्छ तुम करते हो अल्लाह को उसकी खबर है।” (सूरह मुनाफिक़ीनः 9-11

प्रत्येक जीवधारी की मृत्यु का मज़ा चखना हैः

जो व्यक्ती भी इस धर्ती पर जन्म लिया है, उसे मरना है, उस का देहांत निश्चित है। अल्लाह तआना ने पवित्र कुरआन में सम्पूर्ण वस्तु के नष्ट होने की सूचना दे दी है।

كل من عليها فان – ويبقى وجه ربك ذوالجلال والاكرام – )سورة الرحمن: 26-27)

इस आयत का अर्थः हर चीज़ जो इस जमीन में है नाशवान है, और सिर्फ तेरे रब का प्रतापवान एवं उदार स्वरूप ही बाकी रहने वाला है।” (सूरः अर-रहमानः26,27)

जो भी इस धरती पर आया है, उसे मौत का स्वाद चखना है, उसे इस दुनिया से जाना है, चाहे वह अल्लाह का नबी हो या रसूल, बहुत बड़ा साइंटिस्ट हो और बहुत ज्ञानी,  बहुत ही धनी हो या गरीब , अल्लाह का बहुत बड़ा भक्त हो या आम आदमी, कोई भी व्यक्ति हो मौत का मज़ा चखना हैं, इस लिए अल्लाह ने अपने सब से प्रियतम नबी को सम्बोधित करते हुए फरमायाः

وَمَا جَعَلْنَا لِبَشَرٍ‌ مِّن قَبْلِكَ الْخُلْدَ ۖ أَفَإِن مِّتَّ فَهُمُ الْخَالِدُونَ – كُلُّ نَفْسٍ ذَائِقَةُ الْمَوْتِ ۗ وَنَبْلُوكُم بِالشَّرِّ‌ وَالْخَيْرِ‌ فِتْنَةً ۖ وَإِلَيْنَا تُرْ‌جَعُونَ. (سورة الأنبياء: 35)

तुमसे पहले भी किसी आदमी के लिए अमरता नहीं रखी। फिर क्या यदि तुम मर गए तो वे सदैव रहनेवाले है? – हर जीव को मौत का मज़ा चखना है और हम अच्छी और बुरी परिस्थितियों में डालकर तुम सबकी परीक्षा करते है। अन्ततः तुम्हें हमारी ही ओर पलटकर आना है। (सूरह अल्अन्बियाः 35

जब हर मानव को एक दिन यह संसार छोड़ कर जाना है तो वह अपने साथ क्या ले कर जाएगा ?

खाली हाथ इस धरती पर आया था और खाली हाथ इस धरती से जाऐगा।

तो क्यों नहीं, वह काम किया जाए। जो उसे अमर बना दे। जो मृत्यु के बाद उस को लाभ पहुंचाए। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मृत्यु के बाद लाभ पहुंचाने वाले कर्मों के प्रति सूचना दे दी है।

إذا مات الإنسانُ انقطع عنه عملُه إلا من ثلاثةٍ: إلا من صدقةٍ جاريةٍ. أو علمٍ ينتفعُ به. أو ولدٍ صالحٍ يدعو له. (صحيح مسلم: 1631)

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमायाः ” जब इन्सान का निधन हो जाता है तो उस के कर्म करने का समय और उसका पुण्य समाप्त हो जाता है सिवाए तीन कर्म के जिस का लाभ उसे मिलता रहता है। हमेशा रहने वाला दान, ऐसा ज्ञान जिस से लोग लाभ उठाते रहेंगे, और नेक संतान जो माता-पिता के लिए अल्लाह से दुआ करते रहते हैं। ( सही मुस्लिमः 1631)

इस लिए प्रत्येक व्यक्ति को मृत्यु को याद रखना चाहिये और उस से भय खाते हुए और अल्लाह से क्षमा और पूण्य की आशा करते हुए नेक कार्य करना चाहिये ताकि मृत्यु के बाद अच्छा परिणाम प्राप्त कर सके, अल्लाह को खुश कर के अल्लाह की बहूमुल्य जन्नत हासिल कर सके, तो जो व्यक्ति अल्लाह को खुश कर के अल्लाह की जन्नत का हकदार हो गया तो वह सफल हो गया। अल्लाह हम सब को क्षमा करे और अपने दया और कृपा से जन्नत में दाखिल करे । (आमीन या रब्बल आलमीन)

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