जब मेरी आखों से आँसू नहीं बहता तो…

abdurrahimहीरा लाल ( अब्दुर्रहीम) राजिस्थान के नवमुस्लिमों में से एक हैं जिनको अल्लाह ने कुवैत आने के बाद इस्लाम स्वीकार करने का अवसर प्रदान किया।  इस्लाम स्वीकार करते ही मुस्लिज समाज से जुड़ कर अच्छे लोगों की संगत अपनाई। जिसका उनकी जीवनी पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ा। नमाज़ में जाते तो उनकी आंखों से आँसू बहने लगते…मैंने एक बार उनसे पूछ ही दिया कि आखिर क्या बात है कि जब भी आप नमाज़ में जाते हैं आपकी आँखों से आँसू बहने लगता है ? उनका उत्तर था।

“जब मेरी आखों से आँसू नहीं बहता तो मुझे ऐसा अनुभव होता है कि शायद मेरी नमाज़ स्वीकार न हुई है।”

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