जहन्नम किन लोगों का आवास होगा ?

2004_img-370जहन्नम सरकशों का घर, अपराधियों का निवास , और अत्याचारियों  का आवास होगा।, लोग यहाँ चींखेंगे पुकारेंगे, यहां दहकती हुई आग होगी,  यहां ओढ़ना बिछौना आग का होगा, इस आग को भड़काने के लिए कोयला, लकड़ी और पेट्रौल आदि की आवश्यकता न होगी बल्कि कुफ्फ़ार और मुश्रेकीन , पापियों और अवज्ञाकारों की टोली होगी।

अल्लाह ने जहन्नम को बहुत से नामों से याद किया है ताकि इसकी यातनाओं, परेशानियों, कष्ठों और तक्लिफों से लोगों को सूचित किया जाए।

उस के मश्हूर नामों में से है, जहन्नम, हलाकत का घर, भड़कती हुई आग,न बाकी रखती और न छोड़ती बल्कि चेहरे  झुलसाने वाली आग, तोड़फोड़ करने वाली है, इत्यादि

जहन्नम बहुत ही भयंकर स्थान होगा, उस में यातनाएं अत्यंत कष्ठनीय होगा। जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती, इस हदीस पर ग़म्भीरता से विचार करें जो जहन्नम के और अत्यन्त कष्टदायक और दर्दनाक और उसके महान होने को प्रामाणित करता है।

जैसा कि अबदुल्लाह बिन मस्उद (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः

يؤتَى بجَهنَّمَ يومئذٍ لَها سبعونَ ألفَ زمامٍ . معَ كلِّ زمامٍ سبعونَ ألفَ ملَكٍ يجرُّونَها.  (صحيح مسلم: 2842) 

क़ियामत के दिन जहन्नम को लाया जाएगा, उसके सत्तार हज़ार लगाम होंगे और हर लगाम के साथ सत्तार हज़ार फरिश्ते होंगे जो उस लगाम को खींच रहे होंगे,  (सही मुस्लिमः 2842

जब अत्याचारों ,पापियों और अल्लाह के साथ कुफ्र एवं शिर्क करने वालों को जहन्नम की ओर ले जाया जाएगा तो जहन्नम उन्हें दूर से देख कर ही चीखेगी, चिल्लाएगी जैसा कि अल्लाह का फरमान हैः

إذا رأتهم من مكان بعيد سمعوا لها تغيظا وزفيرا وإذا ألقوا منها مكانا ضيقا مقرنين دعوا هنالك ثبورا لا تدعوا اليوم ثبورا واحدا وادعوا ثبورا كثيرا.  (سورة الفرقان:  12)  

अर्थः  वास्तविक बात यह है कि ये लोग, उस घड़ी को झुठला चुके हैं।- और जो उस घड़ी को झुठलाए, उस के लिए हमने भड़कती हुई आग जुटा रखी है।– वह जब दूर से इनको देखेगी तो ये उसके प्रकोप और जोश की आवाजें सुन लेंगे। और जब ये हाथ-पाँव बँधे उसमें एक तंग जगह ठूँसे जाएँगे तो अपनी मौत को पुकारने लगेंगे, (उस समय उनसे कहा जाएगा) आज एक मौत को नहीं, बहुत-सी मौतों को पुकारो । – सूरः अल-फ़ुरक़ानः 11-14

जहन्नम के सात द्वार होंगे जिस में से जहन्नम वासी दाख़िल किये जाएंगे।  जैसा कि अल्लाह तआला का कथन है।

و إن جهنم لموعدهم أجمعين – لها سبعة أبواب لكل باب منهم جزء مقسوم- (سورة الحجر:43)

और निश्चय ही जहन्नम ही का ऐसे समस्त लोगों से वादा है- उसके सात द्वार है। प्रत्येक द्वार के लिए एक ख़ास हिस्सा होगा।” – 15- सूरह अलहिज्रः 44

जहन्नम की गहराईः

जहन्नम बहुत ज़्यादा गहरी होगी जिस की कल्पना भी नहीं किया जा सकता है, जैसा कि हदीस में वर्णन हैः इस हदीस पर गम्भीरता से विचार करें।

अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन हैः हम लोग नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास बैठे हुए थे, एक बहुत ही भयंकर आवाज़ आई तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमायाः क्या तुम लोग जानते हो कि यह कैसी आवाज़ थी? तो हमने कहा, अल्लाह और उसके रलूल अधिकतम जानते हैं। तो आप ने फरमायाः यह एक पत्थर जो जहन्नम में सत्तर वर्ष पहले फेंका गया था तो वह अभी तक जहन्नम में गिरता रहा यहां तक कि उसकी तह को पहुंचा है। (दुसरी रिवायत में इस प्रकार है) वह पत्थर उसकी गहराइ में पहुंचा है तो तुम लोगों ने उस के गिरने की आवाज़ सुनी है। – सही मुस्लिमः 2844

जहन्नम किय ही बुरा ठेकाना है।

जहन्नम क्या ही बुरा ठेकाना होगा, क्या ही परेशानी का स्थल होगा, क्या ही अपमानजनक स्थान होगा? जब जहन्नमियों को जहन्नम की ओर ले जाया जाएगा, जहन्नम में डाला जाएगा तो जहन्नम के दारोगे उन्हें अपमान करते हुए कहेंगे। जिस दृश्य को क़ुरआन ने इस प्रकार बयान किया है।

जिन लोगों ने इनकार किया, वे गिरोह के गिरोह जहन्नम की ओर ले जाए जाएँगे, यहाँ तक कि जब वे वहाँ पहुँचेगे तो उसके द्वार खोल दिए जाएँगे और उसके प्रहरी उनसे कहेंगे, क्या तुम्हारे पास तुम्हीं में से रसूल नहीं आए थे जो तुम्हें तुम्हारे रब की आयतें सुनाते रहे हों और तुम्हें इस दिन की मुलाक़ात से सचेत करते रहे हों ?  वे कहेंगे, क्यों नहीं (वे तो आए थे)।” किन्तु इनकार करने वालों पर यातना की बात सत्यापित होकर रही, कहा जाएगा, जहन्नम के द्वारों में प्रवेश करो। उसमें सदैव रहने के लिए।” तो बहुत ही बुरा ठिकाना है अहंकारियों का! (अज़्ज़ुमरःसूरह3972)

जब जन्नत वासियों को जन्नत में और जह्न्नम वासियों को जहन्नम में दाखिल कर दिया जाएगा तो इसके बाद किसी को मौत नहीं आऐगी बल्कि जन्नत वासी हमेशा जन्नत में होंगे और जहन्नम वासी हमेशा जहन्नम में होंगे सिवाए जिन्हें अल्लाह अपने कृपा से जहन्नम से निकाल कर जन्नत में दाखिल करेगा। इस हदीस पर विचार करें।

अबू सईद कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः मौत को सुन्दर चितकब्रे दुंबे के रुप में लाया जाएगा, तो एक पुकारने वाला पुकारेगा, ऐ जन्नत वासियों! तो जन्नत वासी अपने सर उठा कर झांकेंगे और देखेंगे तो पुकारने वाला कहेगा, क्या तुम लोग इसे पहचानते हो? तो वे जवाब देंगे, हाँ, यह मौत है, और हर एक ने इसे देखा है, फिर वह पुकारेगा, ऐ जहन्नम वासियों! तो जहन्नम वासी अपने सर उठा कर झांकेंगे और देखेंगे तो पुकारने वाला कहेगा, क्या तुम लोग इसे पहचानते हो? तो वे जवाब देंगे, हाँ, यह मौत है और हर एक ने इसे देखा है, तो उसे ज़बह कर दिया जाएगा और फिर कहा जाएगा, ऐ जन्नतवासियों! हमेशा हमेश के लिए जन्नत में विश्राम करो, अब मौत नहीं, और ऐ जहन्नमवासियों! हमेशा हमेश के लिए जहन्नम में यातना झेलो, अब मौत नहीं, फिर यह आयत तिलावत फरमाईः “ उन्हें पश्चाताप के दिन से डराओ,जबकि मामले का फ़ैसला कर दिया जाएगा, और उनका हाल यह है कि वे ग़फ़लत में पड़े हुए है और वे ईमान नहीं ला रहे है।”   (19-सूरहः मरयमः 39-

जहन्नम वासी विभिन्न प्रकार की यातनाओं, परेशानियों और कष्टों में ग्रस्त होंगे। जहन्नम में सब से कम यातना वाला व्यक्ति भी अपने आप को सब से सख्त अज़ाब वाला व्यक्ति समझेगा। जैसा कि हदीस में विवरण हैः नुमान बिन बशीर (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः

” إن أهون أهل النار عذابا يوم القيامة رجل على أخمص قدميه جمرتان يغلي منهما دماغه كما يغلي المرجل المقمقم” – (صحيح البخاري وصحيح مسلم)

बेशक क़ियामत के दिन सब से हलका अज़ाब एक व्यक्ति को दिया जाएगा कि उस के दोनों पाँव में आग के जूतें पहनाये जाएंगे, जिस कारण उस का दिमाग़ इस प्रकार खौलेगा जिस तरह पानी खौलता है।- -सही बुखारीः 6562, सही मुस्लिमः 213

जहन्नम की आग दुनिया की आग से सत्तर गुना अधिक होगी जैसा कि हदीस में वर्णन है।

जहन्नमियों का वस्त्र भी आग ही होगा जैसा कि अल्लाह तआला का फरमान है।

 ये दो विवादी हैं, जो अपने रब के विषय में आपस में झगड़े। अतः जिन लोगों ने कुफ्र किया उनके लिए आग के वस्त्र काटे जा चुके है। उनके सिरों पर खौलता हुआ पानी डाला जाएगा – इससे जो कुछ उनके पेटों में है, वह पिघल जाएगा और खालें भी-और उनके लिए (दंड देने को) लोहे के गुर्ज़ होंगे – जब कभी भी घबराकर उससे निकलना चाहेंगे तो उसी में लौटा दिए जाएँगे और (कहा जाएगा)”चखो दहकती आग की यातना का मज़ा!”  – 22-सूरः अल-हज्जः 22

दुसरी आयत में भी अल्लाह तआला ने कुछ इस प्रकार बयान किया है।

وَتَرَى الْمُجْرِمِينَ يَوْمَئِذٍ مُقَرَّنِينَ فِي الْأَصْفَادِسَرَابِيلُهُمْ مِنْ قَطِرَانٍ وَتَغْشَىٰ وُجُوهَهُمُ النَّارُ لِيَجْزِيَ اللَّهُ كُلَّ نَفْسٍ مَا كَسَبَتْ  إِنَّ اللَّهَ سَرِيعُ الْحِسَابِ– (سورة ابراهيم-14: 51)

और उस दिन तुम अपराधियों को देखोगे कि ज़ंजीरों में जकड़े हुए है – उनके परिधान तारकोल के होंगे और आग उनके चहरों पर छा रही होगी,-ताकि अल्लाह प्रत्येक जीव को उसकी कमाई का बदला दे। निश्चय ही अल्लाह जल्द हिसाब लेने वाला है।  – 14-सूरः इबराहीमः 51

जहन्नमियों का ओढ़ना और बिछौना ही आग होगा ताकि कोई पल भी आराम व शान्ति से न रहे बल्कि प्रत्येक छण ही यातनाओं और कष्ट में ग्रस्त रहें, हमेशा चीखते चिल्लाते रहें। जैसा कि अल्लाह ने उन की इस स्थिति के प्रति सूचित किया है।

لَهُمْ مِنْ جَهَنَّمَ مِهَادٌ وَمِنْ فَوْقِهِمْ غَوَاشٍ وَكَذَٰلِكَ نَجْزِي الظَّالِمِينَ ٤١- (سورة الاعراف-7: 41)

उनके लिए बिछौना जहन्नम का होगा और ओढ़ना भी उसी का। अत्याचारियों को हम ऐसा ही बदला देते है। – 41-सूरः अल-आराफः (41

जहन्नम वासी विभिन्न प्रकार की यातनाओं और परेशानियों में लिप्त होंगे। किसी के चमड़े को जलाया जाएगा तो किसी की आन्त रोंदी जाऐंगी तो किसी के चेहरे को झुलसाया जाएगा। और न जाने किस किस प्रकार का अज़ाब दिया जाएगा। प्रत्येक प्रकार के अज़ाब में ग्रस्त होंगे, भूकु पियास की शिद्दत से तड़प रहे होंगे , भूक-पियास से जान निकल रही होगी। उस के बाद जो खानपान के लिए उन्हें दिया जाएगा, तो उनके परेशानी और तक्लीफ में अधिकपन ही होगा। जैसा कि अल्लाह ने खबर दिया है।

إِنَّ شَجَرَتَ الزَّقُّومِ-طَعَامُ الْأَثِيمِ-كَالْمُهْلِ يَغْلِي فِي الْبُطُونِ-كَغَلْيِ الْحَمِيمِ-(سورة الدخان-44: 46)

निस्संदेह ज़क़्क़ूम का वृक्ष-गुनहगार का भोजन होगा- तेल की तलछट जैसा, वह पेटों में खौलता होगा-जैसे गर्म पानी खौलता है।  – 44- सूरः अद्दुखानः 46

ज़क़्क़ूम (थोहड़) की कड़वाहट और बदबू बहुत ज़्यादा होगी जिस का दुनिया के किसी चीज़ से उदाहरण नहीं दे सकते बल्कि कुछ अनुमान लगा सकते हैं जो अनुमान से भी कहीं ज़्यादा होगी। जिस के लिए इस हदीस पर विचार करें।

لو أن قطرة من الزقوم قطرت في دار الدنيا لأفسدت على أهل الأرض معايشهم. فكيف بمن يكون طعامه. (صحيح الجامع الصغير: الشيخ الألباني)

यदि ज़क़्क़ूम (थोहड़) की एक बूंद दुनिया में गिर जाए तो धरती वासियों की पूरी जीवन नष्ट हो जाएगी। तो जिन का भोजन ही यही होगा तो उनकी क्या हालत होगी ?-  (सहीहुल जामिअ अस्स़गीरः शैख़ अल्बानी)

दहकती आग में प्रवेश करेंगे-खौलते हुए स्रोत से पिएँगे-उनके लिए कोई खाना न होगा सिवाय एक प्रकार के ज़री के,- जो न पुष्ट करे और न भूख मिटाए।  – 88-सूरह-ग़ाशियाः7

क्या वे उन जैसे हो सकते है, जो सदैव आग में रहनेवाले है और जिन्हें खौलता हुआ पानी पिलाया जाएगा, जो उनकी आँतों को टुकड़े -टुकड़े करके रख देगा (47- सूरह-मुहम्मदः 15)

उन्होंने फ़ैसला चाहा और प्रत्येक सरकश-दुराग्रही असफल होकर रहा वह जहन्नम से घिरा है और पीने को उसे कचलोहू का पानी दिया जाएगा-जिसे वह कठिनाई से घूँट-ट करके पिएगा और ऐसा नहीं लगेगा , कि वह आसानी से उसे उतार सकता है, और मृत्यु उस पर हर ओर से चली आती होगी, फिर भी वह मरेगा नहीं। और उसके सामने कठोर यातना होगी – (सूरह इबराहीम-14: 17)

हर गीज़ नहीं, अवश्य ही वे उस दिन अपने रब से ओट में होंगे- फिर वे भड़कती आग में जा पड़ेगे – सूरह मुत़फ़्फ़ेफ़ीनः 16

इतने सख्त अज़ाब और यातना में जहन्नम वाले ग्रस्त होंगे जिस के कारण वह बहुत ज़्यादा रोएंगे जिसा का हदीस में वर्णन है जिस हदीस को अब्दुल्लाह बिन क़ैस वर्णन करते हैं कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) फरमाते हैं।

إن أهل النار ليبكون حتى لو أجريت السفن في دموعهم جرت، و إنهم ليبكون الدم يعني مكان الدمع(السلسلة الصحيحة: 1679- الشيخ الألباني)

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः बेशक जहन्नम वासी इस मात्रा में रोइंगे कि यदि उनके आंसू के पानी में कश्ती चलाइ जाए तो कश्ती चल पड़ेंगी, और वह लोग पानी के आंसू की जगह खून के आंसू रोऐंगे।  – सिल्सिला अस्सहीहाः शैख़ अल्बानीः 1679

जहन्नम में दाखिल करने वाले कर्मः  

अल्लाह का कुफ्र किया जाए और उसका इन्कार किया जाए, अल्लाह की इबादत में किसी दुसरे को साझिदार तथा भगिदार बनाया जाए, रसूलों को झुटलाया जाए और उनका इन्कार किया जाए, अल्लाह और उसके रसूलों का अपमान किया जाए, और अल्लाह और उसके रसूल की शान गुस्ताखी की जाए,

किसी की अमानत में ख्यानत करना, बेहयाइ ,झूट बोलना, किसी से हसद और करना, रिश्तेदारों से सम्बन्ध तोड़ना, किसी को धोखा देना, किसी पर अत्याचाक करना, अल्लाह की दी हुई नेमतों पर गर्व और अहंकार करना, अल्लाह और उसके रसूलों की नाफरमानी एवं अवज्ञा करना, अनिवार्य वस्तुओं को छोड़ना और अवैध वस्तुओं पर अमल करना, अल्लाह की नाफरमानी में मानव की आज्ञा पालन किया जाए, जादू टोना सीखना और सिखाना, माता-पिता की अवज्ञा करना और उन की देख रेख न करना, उन के साथ दुर्व्यवहार करना, आत्महत्या करना, किसी दुसरे मानव को बिना हक्क के क़त्ल करना, किसी का धनदौलत ना हक खाना, और दुसरे पाप गुनाह है जो जहन्नम में प्रवेश होने का कारण बनता है सिवाए कि बन्दा अपने गुनाह पर शर्मिन्दा हो कर अल्लाह से तौबा और क्षमा मांगे तो अल्लाह की चाहत पर निर्भर है, अल्लाह चाहे तो उसे माफ कर दे या चाहे तो उसे सज़ा दे परन्तु अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले को अल्लाह कभी क्षमा नहीं करेगा यदि उसने अपनी मृत्यु से पूर्व तौबा न कर ले।

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