बड़े शिर्क की खराबियां

‏शिर्कशिर्क करने वाले लोग अल्लाह का सही तरीके से परिचय नही कर पाते हैं जिस कारण अल्लाह के उच्च स्थान पर किसी गैरूल्लाह को बराजामन कर देते हैं। अल्लाह के शान और स्थान को छोटा कर देते हैं। अल्लाह तआला के शान और मर्तबे को कम कर देते हैं और जिस मख्लूक का कोई स्थान और आदर नहीं, उसे ऊंचा पद दान प्रदान कर देते हैं। जो बुद्धिहीनता को ही प्रमाणित करता है।

निः संदेह अल्लाह के साथ शिर्क बहुत बड़ा पाप है। जिस के कारण शिर्क करने वाले लोगो को बहुत ज़्यादा यातना और परेशानियों और नरक की चेतावनी दे दिया गया है।

जिस में से कुछ खराबियों और यातनाओं को निम्न में बयान किया जाता है।

1-  शिर्क में ग्रस्त व्यक्ति आदर व सम्मान की ऊंचाइ और बलन्दी से रूसवाइ और ज़िल्लत के गहरी खाई में गिर जाता है। जिस को अल्लाह ने एक उदाहरण से समझाया है।

وَمَن يُشْرِكْ بِٱللَّهِ فَكَأَنَّمَا خَرَّ مِنَ ٱلسَّمَاء فَتَخْطَفُهُ ٱلطَّيْرُ أَوْ تَهْوِى بِهِ ٱلرّيحُ فِى مَكَانٍ سَحِيقٍ. -الحج:31

क्योंकि जो कोई अल्लाह के साथ साझी ठहराता है तो मानो वह आकाश से गिर पड़ा। फिर चाहे उसे पक्षी उचक ले जाएँ या वायु उसे किसी दूरवर्ती  स्थान पर फेंक दे। (22-सूरह अल-हज्जः 31)

2- शिर्क सब से बड़ा पाप और अपराध है। जिस में ग्रस्त लोगों को अल्लाह बिना तौबा के क्षमा नहीं करेगा।

 ألا أنبِّئُكم بأكبرِ الكبائرِ .ثلاثًا، قالوا: بلَى يا رسولَ اللهِ، قال: الإشراكُ باللهِ،وعقوقُ الوالدينِ – وجلَس وكان متكئًا،فقال -ألا وقولُ الزُّورِ.قال: فما زال يكرِّرُهاحتَّى قلنا: ليتَه يَسكتُ.(صحيح البخاري -الرقم: 2654)

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः क्या मैं तुम्हें पापों में से सब से महान पाप के प्रति सुचित न करूँ, यह वाक्य नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने तीन बार फरमायाः तो सहाबा (रज़ियल्लाहु अन्हुम) ने कहाः क्यों नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल! तो आपने फरमायाः अल्लाह के साथ शिर्क करना, माता पिता की अवज्ञा करना या उन्हें परिशान करना, और झुटी गवाही देना, नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ठीक से बैठ गए, हाँलांकि आप टेक लगाए हुए थे। बार बार कहने लगे और झुटी गवाही देना और हम हृदय में विचार करने लगे कि काश कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) खामुश हो जाते। (सही बुखारीः 2654)

3- शिर्क करने वाले की मृत्यु बिना तौबा किये हो गई तो अल्लाह तआला उसके गुनाहों को माफ नहीं करेगा। जैसा कि अल्लाह तआला ने चेतावनी दे दिया है।

إِنَّ اللَّـهَ لَا يَغْفِرُ‌ أَن يُشْرَ‌كَ بِهِ وَيَغْفِرُ‌ مَا دُونَ ذَٰلِكَ لِمَن يَشَاءُ ۚ وَمَن يُشْرِ‌كْ بِاللَّـهِ فَقَدْ ضَلَّ ضَلَالًا بَعِيدًا – (سورة النساء: 116)

निस्संदेह अल्लाह इस चीज़ को क्षमा नहीं करेगा कि उसके साथ किसी को शामिल किया जाए। हाँ, इससे नीचे दर्जे के अपराध को, जिसके लिए चाहेगा, क्षमा कर देगा। जो अल्लाह के साथ किसी को साझी ठहराता है, तो वह भटककर बहुत दूर जा पड़ा।    (116सूरह निसाः)

4-  यदि अल्लाह के साथ अल्लाह के नबी तथा रसूल भी किसी को साझीदार बनाते तो अल्लाह उन नबियों के नेक कर्मों को नष्ट और बर्बाद कर देता तो साधारण मानव यदि अल्लाह के साथ शरीक और साझीदार बनाएंगे तो निःसंदेह अल्लाह उन के आमाल एवं नेक कर्मों को बर्बाद और अकारथ कर देगा।

وَلَقَدْ أُوحِيَ إِلَيْكَ وَإِلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِكَ لَئِنْ أَشْرَ‌كْتَ لَيَحْبَطَنَّ عَمَلُكَ وَلَتَكُونَنَّ مِنَ الْخَاسِرِ‌ينَ ﴿٦٥﴾ بَلِ اللَّـهَ فَاعْبُدْ وَكُن مِّنَ الشَّاكِرِ‌ينَ – (سورة الزمر:65

तुम्हारी ओर और जो तुमसे पहले गुज़र चुके हैं, उनकी ओर भी वह्य की जा चुकी है कि “यदि तुमने शिर्क किया तो तुम्हारा किया-धरा अनिवार्यतः अकारथ जाएगा और तुम अवश्य ही घाटे में पड़नेवालों में से हो जाओगे।” (65) नहीं, बल्कि अल्लाह ही की बन्दगी करो और कृतज्ञता दिखानेवालों में से हो जाओ।    (सूरहः जुमरः 65-66)

रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भी शिर्क करने वालों के प्रति अल्लाह का कथन हदीस कुद्सी के माध्यम से वर्णन किया हैः

قال اللهُ تباركَ وتعالَى : أنا أغنَى الشركاءِ عن الشركِ.مَن عمِل عملًا أشرك فيه معِي غيرِي، تركتُه وشركُه- (صحيح مسلم – الرقم: 2985)

अल्लाह  तबारक व तआला का फरमान हैः मैं शिर्क करने वालों के शिर्क से बेनयाज़ हूँ तो जिसने कोई ऐसा कर्म किया जिस में उसने किसी को मेरे साथ भागीदार बनाया तो मैं उसे भी और उसके शरीक को भी छोड़ देता हूँ।  (सही मुस्लिमः 2985)

5-  शिर्क करने वाले लोग अल्लाह के साथ बुरा गुमान करते हैं जिस कारण अल्लाह उन्हें दर्दनाक यातनाओं में ग्रस्त करेगा तथा अल्लाह का क्रोध और उसकी लानत शिर्क करने वालों पर उतरेगी। जैसा कि अल्लाह ने चेतावनी दिया है।

وَيُعَذّبَ ٱلْمُنَـٰفِقِينَ وَٱلْمُنَـٰفِقَـٰتِ وَٱلْمُشْرِكِينَ وَٱلْمُشْرِكَـٰتِ ٱلظَّانّينَ بِٱللَّهِ ظَنَّ ٱلسَّوْء عَلَيْهِمْ دَائِرَةُ ٱلسَّوْء وَغَضِبَ ٱللَّهُ عَلَيْهِمْ وَلَعَنَهُمْ وَأَعَدَّ لَهُمْ جَهَنَّمَ وَسَاءتْ مَصِيراً [الفتح:6].

और कपटाचारी पुरुषों और कपटाचारी स्त्रियों और बहुदेववादी पुरुषों और बहुदेववादी स्त्रियों को, जो अल्लाह के बारे में बुरा गुमान रखते है, यातना दे। उन्हीं पर बुराई की गर्दिश है। उनपर अल्लाह का क्रोध हुआ और उसने उनपर लानत की, और उसने उनके लिए जहन्नम तैयार कर रखा है, और वह अत्यन्त बुरा ठिकाना है! (48-सूरह अल-फतहः 6)

6- जो लोग भी अल्लाह के साथ शिर्क करेंगे तो उन्हें हमेशा हमेश के लिए जहन्नम में डाल दिया जाएगा। शिर्क के कारण कभी उन्हें जहन्नम से मुक्ति नहीं मिलेगी और शिर्क से दूरी जन्नत में दाखिल होने का कारण बनता है। जैसा कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का प्रवचन है।

 وعن جابر بن عبدالله (رضي الله عنهما)قال: أتى النَّبيَّ صلَّى اللهُ عليهِ وسلَّمَ رجلٌ فقالَ: يا رسولَ اللهِ! ما الموجبتانِ ؟ فقالَ :من ماتَ لا يشرِكُ باللَّهِ شيئًا دخلَ الجنَّةَ . ومن ماتَ يشركُ باللَّهِ شيئًا دخلَ النَّارَ:   (صحيح مسلم –  رقم الحديث: 93)

जाबिर बिन अब्दुल्लाह (रज़ियल्लाहु अन्हुमा) से वर्णन है कि एक व्यक्ति नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आया और प्रश्न किया, ऐ अल्लाह के रसूल! दो अनिवार्य करने वाली चीज़ क्या है ? तो आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः जिस व्यक्ति का निधन इस स्थिति में हुआ कि उस ने अल्लाह के साथ कुछ भी शिर्क न किया हो तो वह जन्नत में दाखिल होगा और जिस व्यक्ति का निधन इस स्थिति में हुआ कि उस ने अल्लाह के साथ शिर्क किया तो वह जहन्नम में दाखिल होगा।  (सही मुस्लिमः 93)

7- अल्लाह के साथ शिर्क करने वाले सदैव जहन्नम में रहेंगे और उन का कोई मददगार सहायक नहीं होगा। अल्लाह तआला ने सूचित कर दिया है। अल्लाह का फरमान है।

إِنَّهُ مَن يُشْرِ‌كْ بِاللَّـهِ فَقَدْ حَرَّ‌مَ اللَّـهُ عَلَيْهِ الْجَنَّةَ وَمَأْوَاهُ النَّارُ‌ ۖ وَمَا لِلظَّالِمِينَ مِنْ أَنصَارٍ-  (سورة المائدة: 72

जो कोई अल्लाह के साथ शिर्क करेगा, उसपर तो अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है और उसका ठिकाना जहनन्म है। अत्याचारियों को कोई सहायक नहीं।” ‌ (5-सूरह अल-माईदाः 72)

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