रसूल (सल्ल0) की पत्नियां

विभिन्न उद्देश्यों के अंतर्गत अल्लाह तआला ने नबी r को अपनी उम्मत की तुलना में चार से अधिक विवाह की अनुमति दी थी। आपकी  पत्नियों की संख्या 11 तक पहुंचती है। उन में से दो हज़रत ख़दीजा और ज़ैनब बिन्ते जहश (रज़ियल्लाहु अनहुमा) आपके जीवन ही में प्रलोक सुधार गईं  जबकि 9 का देहांत आपके बाद हुआ। अल्लाह ने उनके सम्मान हेतु उनको “मुमिनों की माएं” (सूरः अहज़ाबः6) की उपाधि दी है।

निम्न में हम उसके नाम और उनका संक्षिप्त वर्णन पैश कर रहे हैं:

(1) उम्मुल मुमिनीन  ख़दीजा बिन्त ख़ुवैलिद (रज़ियल्लाहु अन्हा)

यह रसूल r की पत्नियों में प्रथम पत्नी हैं जिन से आपने 25 वर्ष की आयु में विवाह किया जब कि उस समय खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) की आयु 40 वर्ष थी। इनके जीते जी अल्लाह के रसूल r ने किसी अन्य से शादी नहीं की। इब्राहीम के सिवा रसूल r के सब बेटे-बेटियाँ खदीजा से ही हुईं। दो बेटे क़ासिम, अब्दुल्लाह और चार बेटियाँ जैनब, रुक़य्या , उम्मे कुल्षुम और फातिमा।

खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) के देहांत के बाद भी हमेशा रसूल r उन को याद करते थे। यहाँ तक कि खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) की सहेलियों को भी कभी कभी उपहार भेजते थे। आईशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) कहती हैं ” नबी r की पत्नियों में मुझे जितना रश्क  खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) पर आया, किसी अन्य पर नहीं आया, हालांकि  मैं ने उन्हें देखा भी नहीं था लेकिन रसूल r  उनको बहुत याद करते थे और जब कभी बकरी जब्ह करते तो उस में से कुछ खदीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) की सहेलियों को भेज देते थे। ” (सहीह बुखारी )

(2) उम्मुल मुमिनीन  सौदा बिन्त ज़म्अह (रज़ियल्लाहु अन्हा)

ख़दीजा (रज़ियल्लाहु अन्हा) के देहांत के बाद रसूल r ने इन से मक्का में हिजरत से पहले नबुव्वत के 10वें वर्ष शव्वाल के महीने में विवाह किया। विवाह के समय सौदा (रज़ियल्लाहु अन्हा) की आयु 55 वर्ष थी। उनके पहले पति सकरान बिन अमर थे। उनके मरने के बाद रसूल r ने उन से शादी कर लिया। हिजरत करके मदीना आईं और रसूल r के देहांत तक आप के साथ रहीं। उमर बिन खत्ताब (t) के शासन में उनका देहांत हुआ।

(3)  उम्मुल मुमिनीन  आईशा बिन्त अबी बकर सिद्दीक़ (रज़ियल्लाहु अन्ह़ुमा)

उन से रसूल r ने नुबूवत के 11वें वर्ष शव्वाल के महीने में शादी की। अर्थात् सौदा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से शादी के एक वर्ष बाद। उस समय उनकी आयु 6 वर्ष थी फिर तीन साल के बाद 9 वर्ष की आयु में उनकी रुखसती हुई । आपकी पत्नियों में आईशा (रज़ियल्लाहु अन्हा) ही कुंआरी थीं, उनके सिवा किसी और कुंआरी महिला से आपने शादी नहीं की। आईशा (रज़ी अल्लाहु अन्हा) रसूल की सब से प्यारी पत्नी थीं और आईशा के पिता अबू बकर (t) रसूल r के सब से प्रिय मित्र थे। जब आप (r) बीमार हुए तो अपनी सब पत्नियों से अनुमति ले कर आईशा (रज़ी अल्लाहु अन्हा) के घर पर आ गये थे और आप (रज़ि अल्लाहु अन्हा) ही के पास रसूल (r) का देहांत हुआ। रसूल (r) के साथ रहते हुए बहुत सारा ज्ञान प्राप्त किया, यहां तक कि बड़े बड़े सहाबा आप से मसाइल पूछते थे। 65 वर्ष की आयु में सन् 57 हिज्री में आप का देहांत हुआ।

(4)  उम्मुल मुमिनीन  हफ्सा बिन्त उमर (रज़ियल्लाहु अन्ह़ुमा)

उनके पहले पति का बद्र औऱ उहद के बीच की अवधि में देहांत हो गया और वह विधवा हो गईं तो रसूल ने सन् 3 हिजरी में उन से शादी कर ली।  हफ्सा (रज़ियल्लाहु अन्हा) बहुत ज़्यादा रोज़ा रखने वाली और नमाज़ पढ़ने वाली महिला थीं। उनका देहांत अमीर मुआविया (रज़ियल्लाहु अन्हु) के समय सन् 45 हिज्री में हुआ।

(5)  उम्मुल मुमिनीन  ज़ैनब बिन्त खुज़ैमा अल-हिलालियह (रज़ियल्लाहु अन्हा)

रसूल (r) ने इन से रमज़ान सन 3 हिज्री में विवाह किया। ज़ैनब (रज़ि अल्लाहु अन्हा) गरीबों को खाना खिलाने और निर्धनों की सहायता करने में प्रसिद्ध थीं। इसी लिए उनको उम्मुल मसाकीन (गरीबोंकी माता) कहा जाता था। वह अब्दुल्लाह बिन जहश की पत्नी थीं। जब वह उहुद के युद्ध में शहीद हो गए तो रसूल(r) ने सन् 4 हिज्री में उन से विवाह कर लिया। लेकिन मात्र आठ महीना रसूल (r) के साथ रहने के बाद वफात पा गईं।

(6)  उम्मुल मुमिनीन  उम्म सल्मा (रज़ियल्लाहु अन्हा)

आप का नाम हिन्द बिन्ते उमय्या अल्मख़्ज़ूमिया है। अपने पति अबू सल्मा के साथ इस्लाम स्वीकार किया और मदीना की ओर हिजरत कीं। रसूल (r) ने सन 4 हिज्री में उनके पति अबू सल्मा के देहांत के बाद उन से विवाह किया। उम्मे सल्मा बहुत बुद्धि वाली और होशियार महिला थीं। विभिन्न स्थानों पर रसूल (r) को सही सलाह दिया। आप का देहांत सन् 61 हिज्री में हुआ।

(7)  उम्मुल मुमिनीन  जैनब बिन्त जहश (रज़ियल्लाहु अन्हा)

यह आप (r) की फुफी की बेटी थीं। रसूल(r) ने ज़िल-क़ादः सन् 5 हिज्री में अल्लाह के आदेशानुसार इन से विवाह किया। पहले इनका विवाह ज़ैद बिन हारिसा (t) से हुआ था जिनको अल्लाह के रसूल का बेटा समझा जाता था, परन्तु दोनों के बीच निबाह न होने के कारण ज़ैद ने तलाक दे दिया। तो अल्लाह तआला ने अज्ञानताकाल के रिति-रिवाज को तोड़ने के लिए आप की शादी ज़ैनब (रज़ियल्लाहु अन्हा) से कर दी। ज़ैनब (रज़ियल्लाहु अन्हा) बड़ी खर्च करने वाली महिला थीं, सन् 20 हिज्री में आप का देहांत हुआ और उमर बिन खत्ताब (t) ने नमाज़े जनाज़ा पढ़ाई।

(8)  उम्मुल मुमिनीन  जुवैरिया बिन्त अल-ह़ारिस (रज़ियल्लाहु अन्हा)

रसूल (r) ने सन् 6 हिज्री शाबान के महीने में बनूल-मुस्तलक़ के युद्ध के बाद इन से विवाह किया। जुवैरिया बनूल-मुस्तलक़ के क़ैदियों में लाई गई थीं। उनके पिता बनूल-मुस्तलक़ के सरदार थे। रसूल(r) ने उनको आज़ाद कर के उन से शादी कर लिया। जब सहाबा (y) को पता चला कि रसूल (r) ने जूवैरिया से विवाह कर लिया है तो सहाबा (y) ने उन के कबीले के सब दासों को आज़ाद कर दिया। सन् 56 हिज्री में 70 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआ।

(9)  उम्मुल मुमिनीन  सफ़िय्या बिनत  हुयाय्य बिन अख़तब (रज़ियल्लाहु अन्हा)

यह बनी इस्राइल से थीं और ख़ैबर में क़ैद की गईं, लेकिन रसूल (r) ने उन्हें अपने लिए चयन कर लिया और आज़ाद कर के उस से शादी कर ली। सफिय्या (रज़ियल्लाहु अन्हा) का देहांत अमीर मुआविया (t) के समय में सन् 50 हिज्री में हुआ।

(10)  उम्मुल मुमिनीन  उम्मे हबीबा बिन्त अबू सुफयान (रज़ियल्लाहु अन्ह़ुमा)

आपका नाम रमला बिन्त अबू सुफयान बिन हर्ब (रज़ियल्लाहु अन्ह़ुमा) है। यह उबैदुल्लाह बिन जहश की पत्नी थीं और उसके साथ हिजरत कर के हब्शा भी गई थीं, लेकिन उबैदुल्लाह वहाँ जाने के बाद इस्लाम से फिर कर  इसाई बन गया और वहीं मर भी गया लेकिन उम्मे हबीबा अपने दीन और अपनी हिजरत पर बाक़ी रहीं। नबी (r) ने हब्शा के राजा नजाशी को पत्र लिखा कि वह उम्मे हबीबा से उन का विवाह कर दे। तो नजाशी ने उम्मे हबीबा (रज़ियल्लाहु अन्हा) से आप का विवाह कर दिया। फिर उम्मुल मुमिनीन उम्मे हबीबा (रज़ियल्लाहु अन्हा) सन 7 हिज्री में मदीना आप के घर तशरीफ लाईं, उस्मान (t) ने वलीमा की दावत किया। उम्मे हबीबा(रज़ियल्लाहु अन्हा) का देहांत सन् 44 हिज्री में हुआ। जब कि वह 70 वर्ष से अधिक की हो गई थीं।

(11)  उम्मुल मुमिनीन  मैमूनह बिन्त अलह़ारिस अल-हिलालियः(रज़ियल्लाहु अन्हा)

यह नबी (r) की सब से अन्तिम पत्नी हैं जिन से आप (r) ने हिज्रत के सातवें वर्ष ज़ील्क़ादा के महीने में उम्रतुल्क़ज़ा के बाद विवाह किया। नबी (r) के देहांत के बाद काफी लम्बी आयु पाईं । सन् 51 हिज्री में उनका देहांत हुआ और सरफ के स्थान पर उनको दफनाया गया।

 यह 11 पत्नियाँ हुइं जो रसूल (r) के निकाह में आईं । इन में से दो पत्नियाँ अर्थात् ख़दीजा और ज़ैनब उम्मुल मसाकीन(रज़ियल्लाहु अन्हुमा) का देहांत रसूलुल्लाह (r) के जीवन में ही हुआ, जबिक 9 पत्नियाँ आपके देहांत के बाद जीवित रहीं।

जहाँ तक दासियों का मामला है तो प्रसिद्ध यह है कि आपने दो दासियों को अपने पास रखा। एक मारिया क़िब्त़िया को जिन्हें मक़ूक़स ने उपहार के रूप में भेजा था, उन्हीं से आपके बेटे इबराहीम पैदा हुए जिनका बचपन ही में मदीना के अंदर देहांत हो गया।

दुसरी दासी रैह़ाना बिन्ते ज़ैद थीं जो बनू क़ुरैज़ा के क़ैदियों में से थीं, उन्हें रसूल (r) ने अपने लिए विशेष कर लिया था।

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