रमज़ान का स्वागत कैसे करें?

ramadan1कुछ दिनों के बाद हम अति महत्वपूर्ण महीना रमज़ान का स्वागत करने वाले हैं, जिस में जन्नत (स्वर्ग) के द्वार खोल दिए जाते हैं, जहन्नम (नरक) के द्वार बंद कर दिए जाते हैं, विद्रोही शैतान जकड़ दिए जाते हैं, नेकियों के पुण्य में वृद्धि कर दी जाती है, जिसकी हर रात घोषणा होती है “हे भलाई के खोजकर्ता! आगे बढ़, और हे बुराइयों के इच्छुक “पीछे हट “. जिसकी एक रात हजार महीनों से उत्तम है, जो उस की भलाई से वंचित रहा वह वास्तव में वंचित है। रोज़ा, कुरआन की तिलावत, दान और ख़ैरात, रातों के क़्याम, दुआ और पश्चाताप पर सम्मिलित नेकियों के इस वसंत ऋतु का आगमन बहुत निकट है।

जब हमारे घरों में किसी लोकप्रिय अतिथि का आगमन होता है तो अपने घरों को सजाते हैं, उसकी शोभा बढ़ाते और सजावट करते हैं, चेहरे पर खुशियां मचल रही होती हैं, दिल पुलकित होता है, और अतिथि के लिए अपनी आँखें बिछाये हुए होते हैं. क्या रमज़ान के आगमन पर हम अपने दिल में यह अभिलाषा पा रहे हैं ….?

अल्लाह वाले 6 महीने पहले से रमजान की प्रतीक्षा करते थे, प्रसिद्ध ताबई मुअल्ला बिन फ़ज़्ल रमजान के सम्बन्ध में सहाबा के हर्ष व उल्लास को बयान करते हुए फरमाते हैं कि वे 6 महीने पहले से प्रार्थना करते थे कि “हे अल्लाह! हमें रमज़ान के महीने की सआदत प्रदान कर”. फिर जब रमजान का महीना गुज़र जाता तो शेष 6 महीने प्रार्थना करते ” हे अल्लाह! जिन कामों की तू ने तौफ़ीक़ दी है उन्हें स्वीकार भी कर ले “.

अब प्रश्न यह पैदा होता है कि रमज़ान के इस शुभ अवसर का हम स्वागत कैसे करें ? इस सम्बन्ध में  निम्न में कुछ मुख्य उपाये प्रस्तुत किए जा रहे हैं:

अपने नफ़्स का जाइज़ा लें:

दिन और रात के गुज़रने के साथ हमारा जीवन भी कम हो रहा है,हम दुनिया से दूर और आख़िरत से निकट होते जा रहे हैं, हसन बसरी रहि. ने कहा थाः “ऐ आदम की संतान, तुम कुछ दिनों से इबारत हो, जब तुम्हारा एक दिन चला गया तो मानो तुम्हारे जीवन का कुछ भाग चला गया।“ जी हाँ!  हमारा जीवन पानी का बुलबुला है, और बर्फ़ के समान पिघल रहा है, पता नहीं कब पूरा पिघल जाए, स्यवं यह दुनिया अमल के लिए बनाई गई है जहां हिसाब नहीं है, जबकि कल हिसाब हौगा और अमल का अवसर न होगा, इस लिए बुद्धिमान वही है जो अपने नफ़्स का जाइज़ा लेता है और मृत्यु के बाद के लिए तैयारी करता है और बुद्धिहीन वह है जो अपने नफ़्स की इच्छाओं के पीछे लगा रहता है और अल्लाह से उमीदें बांधे रहता है। ज़रा विचार कीजिए कि कितने लोग पिछले वर्ष हमारे साथ रोज़ा में शामिल थे आज कब्र में दफ़न किये जा चुके हैं, कितने चेहरे जिन्हें हमने पिछले साल रमजान में सही सलामत देखा था ‘आज मृत्यु के बिस्तर पर पड़े मौत और जीवन के बीच हिचकोले खा रहे हैं. कया खबर कि आने वाला रमजान हमारे जीवन का अंतिम रमज़ान हो, इसलिए आने वाले महीने का भलिं-भाँती स्वागत करें, हमारे ऊपर उदय होने वाला रमज़ान का चाँद अच्छाई और बरकत का चाँद हो, उसे देख कर हमारा दिल हर्ष व उल्लास से उमड आए, हमारी ज़बान पर यह प्रार्थना हो:

اللهم أهله علينا بالأمن والإيمان والسلامة والإسلام ، ربي وربك الله  

“हे अल्लाह! यह चाँद हम पर शांति और ईमान, सलामती और इस्लाम के साथ उदय करना, हे चाँद मेरा और तेरा रब अल्लाह है”.

रमज़ाम के महत्व को मन एवं मस्तिष्क में बैठायें:

रमज़ान के आगमन से पहले उसके महत्व, उसकी महानता, उसकी श्रेष्ठता, उसके उद्देश्य और उसके संदेश को अपने मन और मस्तिष्क में बैठायें ताकि उसकी बरकतों से भली-भाँति लाभ उठा सकें, अपनी नीयतों का जाइज़ा लेना अति आवश्यक है कि कितने लोग आदत के तौर पर रोज़ा रखते और रमज़ान गुज़ारते हैं जब कि हमें आदेश है कि हम अपनी नीयतों को ख़ालिस करते हुए रोज़ा रखें, अल्लाह के रसूल सल्ल. ने फरमायाः “जिसने ईमान की स्थिति में और पुण्य की नीयत से रमज़ान के रोज़े रखे उसके पिछले पाप क्षमा कर दिये जाते हैं।“ (बुख़ारी, मुस्लिम) उसी प्रकार रमज़ान में रात के क्याम के महत्व को भी ज़ेहन में बैठायें कि जिसने ईमान की स्थिति में और पुण्य की नीयत से रमज़ान के रोज़े रखे उसके पिछले पाप क्षमा कर दिये जाते हैं। (बुख़ारी, मुस्लिम) और यह महत्व भी ज़ेहन में हो कि जो व्यक्ति इमाम के साथ रात का क़याम करता है उसे पूरी रात क़याम करने का पुण्य मिलता है (सुनन अबूदाऊद) रमज़ान की तरावीह में कितने लोग मामूली सुस्ती कर के बहुत सारे पुण्य से स्वयं को वंचित कर लेते हैं,और दो चार रकअत पढ़ कर ही निकल भागते हैं हालांकि यदि हम में से किसी को कहा जाये कि इतनी रकअत नमाज़ पर इतने पैसों का चेक मिलेगा तो हममें से हर व्यक्ति अधिक से अधिक नमाज़ अदा करने का प्रयन्त करेगा कि उसके बदले उसे पैसों का चेक नज़र आ रहा है। सच फ़रमाया अल्लाह नेः “नहीं, बल्कि तुम तो सांसारिक जीवन को प्राथमिकता देते हो, हालाँकि आख़िरत अधिक उत्तम और शेष रहने वाली है। ( सूरः अल-आला 16-17)

इस लिए हमें चाहिए कि हम रमज़ान के रोज़े और क़याम के महत्व को मन और मस्तिष्क में बैठाते हुए उनका एहतमाम करें और पूरा संकल्प रखें कि हम इस महीने में अपने अन्दर तक़वा (अल्लाह का डर) पैदा करने की कोशिश करेंगे जो रोज़ा का सार है।

*रमज़ान में करने के कामों की सूची बना लें:

उन कामों की सूची बना लें जो अल्लाह के अधिकार से संबंधित हैं, उन कामों को भी निर्दिष्ट कर लों जो बन्दों के अधिकार से संबंधित हैं, फिर उन कामों की भी सूची बना लें जो रमजान में करने हैं, यदि उनके साथ नौकरी की आवश्यकताएँ हों और इबादत के लिए स्वयं को पूरे तौर पर फ़ारिग़ न कर सकते हों तो यह देखें कि किन कार्यों को रमज़ान के कारण छोड़ सकते हैं और किन कामों को आस्थगित कर सकते हैं।

  * इस शुभ महीने में हम अपने जीवन, और स्वास्थ्य में अवकाश को गनीमत जानें:

 रत-जगा करके दिन में सोने और समय को नष्ट करने से बचें कि रमज़ान का एक एक घण बहुत बहुमूल्य है। अपने सारे पापों से सच्ची तौबा करें, अनिवार्य कामों तथा अनिवार्य उपासनाओं की अदायगी और स्वयं को निषेध कामों से बचाने का आदी बनाएं.

* दैनिक पाँच समय की नमाज़ों विशेष रूप में फ़जर की नमाज़ की जमाअत से अदाएगी को अपने ऊपर अनिवार्य कर लें:

 जिन पर ज़कात और हज अनिवार्य है और उसकी अदाएगी में सुस्ती कर रहे हैं, वह यह तय करें कि पहली फुरसत में हज अदा करेंगे और अल्लाह के दिए हुए माल से गरीबों तथा निर्धनों का हक़ अदा करेंगे।

* जो लोग निषेध काम कर के अल्लाह की ग़ैरत को चुनौती दे रहे हैं:

 व्यभिचार, शराब का सेवन, निषेध कारोबार, ब्याज का लेन देन जैसे अपराधों में लिप्त हैं वे पश्चाताप कर के संकल्प करें कि वे इन अपराधों से बिल्कुल दूर हो जाएँगे और फिर जब तक जान में जान है उनके निकट न होंगे।

* कुरआन की तिलावत का एक चार्ट बनाएँ:

हर फर्ज़ नमाज के बाद कुछ आयतों की तिलावत अनुवाद सहित अपनी आदत बना लें कि आने वाला महीना कुरआन का महीना है जिसके लिए अभी से तैयारी करनी है।

* उसी प्रकार रात के तीसरे पहर में क़याम की आदत डालें:

 क्यों कि यह रात का वह भाग है जिसमें अल्लाह समाए दुनिया पर उतरता है और यह घोषणा करता है: “है कोई प्रार्थना करने वाला कि हम उसकी प्रार्थना स्वीकार करें , है कोई सवाल करने वाला कि हम उसके सवाल को पूरा करें, है कोई अपने पापों की क्षमा चाहने वाला कि हम उसके पापों को माफ कर दें. “(बुखारी, मुस्लिम).

 वास्तविकता यह है कि रात में अल्लाह के भय से आँसुओं काटपकना और शरीर का कांपना एक ओर अल्लाह की आज्ञाकारी का उत्तम माध्यम है तो दूसरी ओर व्यक्तित्व की उन्नति का रहस्य भी है, रातों में अल्लाह के सामने झुके बिना न कभी महान इनसान बने हैं और न कभी बन सकते है, अल्लामा इक़बाल ने कहा था

अत्तार हो, रुमी हो, राज़ी हो, गज़ाली हो

कुछ हाथ नहीं आता बे आहे सिहर-गाही

* प्रामाणिक पुस्तकों और केसिट्स की मदद से रोज़ा से के तरीक़े और मसाइल की जानकारी प्राप्त कर लें।

* सामाजिक संपर्क और अधिकार पर विशेष रूप में ध्यान दें:

 किसी का कोई ऋण (क़र्ज़) या दावा है तो उसे तुरंत चुका दें और मामले का निपटारा कर लें, महा-प्रलय के दिन वह व्यक्ति बड़ा अभागा और दरिद्र होगा जो नमाज़, रोज़े और ज़कात के साथ आएगा लेकिन उसके ऊपर लोगों की ओर से दावो का भंडार होगा, किसी को मारा होगा, किसी को गाली दी होगी, किसी को बेइज़्ज़त की होगी, अतः उसकी एक एक नेकियाँ ले ले कर दावे दारों को दे दी जाएंगी, जब यह नेकियाँ समाप्त हो जाएंगी और अभी भी दावेदार बाक़ी रह जाएंगे तो दावेदारों के पाप उनके सिर पर थोप दिए जाएंगे फिर उन्हें जहन्नम (नरक) में फ़ेक दिया जाएगा. ( सहीह मुस्लिम)

इस लिए रमजान के आगमन से पहले सामाजिक संपर्क को मजबूत कर लें, और यह दृढ़ संकल्प कर लें कि आप अपनी ज़बान की रक्षा करेंगे, गाली-गलोच, ग़ीबत, चुगल-ख़ोरी से दूर रहेंगे, नेकी और भलाई के कामों में आगे रहेंगे और किसी आदमी को कष्ट न पहुँचाएँगे। रमज़ान हृदय की शुद्धता और नफ्स की पवित्रता का सब से उत्तम अवसर है, इस लिए रमज़ान के आने से पूर्व यदि आपको किसी से कष्ट पहुंचा है अथवा आपने किसी को कष्ट पहुंचाया है तो क्षमा और निपटारा से काम लें, और हृदय को हर एक के प्रति शुद्ध रखें तथा अपनी ज़बान को लगाम दें।

* इस महीने में अपने व्यवहार और किरदार पर ध्यान दें:

 अपने आप को अच्छे आचरण का इंसान बनाएँ, बुरी आदतों से दूरी अपनाएं, नैतिकता और अच्छे आदाब पर सम्मिलित पुस्तकों का अध्ययन करें और अच्छा व्यवहार रखने वाले लोगों की संगत अपना कर उनकी खूबियां अपने अंदर पैदा करने की कोशिश करें।

* अपने आप को अल्लाह के रास्ते में खर्च करने का आदी बनायें:

कि रमजान सहानुभूति और दया का महीना है, हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि म सल्लम यूं भी दानशील थे लेकिन रमजान में आपकी दानशीलता हवा से भी अधिक बढ़ जाती थी. इस लिए अल्लाह ने जितना भी दे रखा है उस में से गरीबों और निर्धनों के लिए अवश्य निकालें, और अपने सामर्थ्य के अनुसार रोज़ा रखने वालों को इफ्तार भी कराएं कि इसका उतना ही पुण्य मिलता है जितना स्वयं रोज़ा का रखने का मिलता है। (तिर्मिज़ी).

* इस पवित्र महीने में दावत के लिए स्वयं को तैयार करें:

 इस उद्देश्य के लिए संभवतः संसाधन काम में लाएं, क्योंकि इस महीने में मानव के मन में स्वाभाविक रूप में सत्य को स्वीकार करने की क्षमता पैदा होती है, जिन गैर-मुस्लिमों से आप परिचित हैं कम से कम उन तक इस्लाम का संदेश अवश्य पहुँचाएँ, उन्हें इस्लाम परिचय पर आधारित पुस्तकें लाकर करें, और अपने भाइयों और परिवार के सदस्य की सुधार और उनके आध्यात्मिक प्रशिक्षण की ओर पूरा ध्यान आकर्षित करें।

और यह भावना पैदा करने के लिए बहुत उचित होगा कि रमजान के आगमन से एक दो दिन पहले एकांत में बैठकर अपने नफ़स का जाइज़ा लें कि हम ने साल भर क्या खोया और क्या पाया, उस दिन को याद करें जिस दिन अचानक मौत का फरिश्ता बेदर्दी के साथ आत्मा निकाल लेगा, लोग स्नान कराएंगे, कफन पहनाएँगे, तंग और अंधेर कोठरी में उतार देंगे, मनों मिट्टी के नीचे दबा देंगे, वहाँ गंभीर अजगर निकलेंगे, वहाँ नरक की दहकती हुई आग होगी, लाख चिल्लाएं, आहें भरें, दया के तलबगार हों, लेकिन कोई सुनने वाला न होगा. यह एहसास स्वयं में पैदा कर रोएँ, गिड़गिड़ाएँ, फिर नए उत्साह के साथ अपने रब की आज्ञाकारी के लिए कमर कस लें और अल्लाह से दुआ भी करें कि वह हमें रमज़ान की बरकतें समेटने की तौफ़ीक़ दे।

* रमजान  की बरकतों से भर पूर लाभान्वित होने के लिए चौबीस घंटे के समय का एक चार्ट बना लें:

ताकि अधिक से अधिक समय अल्लाह की इबादत में लगे और उसे पूरी व्यवस्था और नियमित रूप में बजा लाने की कोशिश करें।

 

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