यह जीवन अल्लाह की ओर से दी गई एक बहुत बड़ी अमानत है। जिसे किसी मानव को स्माप्त करने का अधिकार नहीं है। किसी का ना हक्क हत्या करने की अनुमति नहीं है। बल्कि अल्लाह के पास मानव के जान की बहुत ज्यादा महत्वपूर्णता है। जैसाकि रसूल (सल्ल) के इस प्रवचन से प्रतीत होता हैः
لزوالُ الدُّنيا أَهونُ عندَ اللَّهِ من قتلِ رجلٍ مسلمٍ. صحيح النسائي: 3998 وصحيح الترمذي: 1395
अब्दुल्लाह बिन अम्र से वर्णन है कि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः एक मुस्लिम की ना हक्क हत्या करने से ज्यादा कमतर अल्लाह के पास दुनिया की समाप्ति है। (सही अन्नसईः 3998 व सही तिर्रमीज़ीः 1395)
ना हक्क किसी की हत्या बहुत ही बड़ा पाप है। जिस के प्रति क़ियामत के दिन अल्लाह तआला सर्वप्रथम हिसाब लेंगे और लोगों के बीच ना हक्क क़त्ल के प्रति न्याय करेंगे। जैसा कि नबी (सल्ल) ने सूचित किया है। नबी (सल्ल) का प्रवचन है।
أوّلُ ما يُقضَى بينَ الناسِ يومَ القيامةِ، في الدِّمَاءِ. وفي روايةٍ : يُحْكمُ بينَ الناسِ. ( صحيح مسلم: 1678
अब्दुल्लाह बिन मस्ऊद (रज़ि) से वर्णन है कि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः क़ियामत के दिन सर्वप्रथम लोगों के बीच रक्तपात के प्रति न्याय किया जाएगा। (और एक दुसरी रिवायत में) लोगों के बीच क़ियामत के दिन सर्वप्रथम खून के प्रति फैसला किया जाएगा। (सही मुस्लिमः 1678)
किसी भी बेगुनाह व्यक्ति का कत्ल करना बहुत बड़ा पाप है। अल्लाह ने हत्यारे को हमेशा हमेश के लिए जहन्नम में दाखिल करने की धमकी दी है। क्योंकि यह जीवन अल्लाह की ओर से मनुष्य के लिए अमानत है, जिस पर किसी का अधिकार नहीं। अल्लाह तआला ने स्पष्ट रूप से किसी मूमिन की ना हक्क हत्या करने वाले को जहन्नम में दाखिल करने की चेतावनी दे दी है। जिस में हत्यारा हमेशा हमेश रहेगा। अल्लाह तआला का फरमान है।
وَمَن يَقْتُلْ مُؤْمِنًا مُّتَعَمِّدًا فَجَزَاؤُهُ جَهَنَّمُ خَالِدًا فِيهَا وَغَضِبَ اللَّـهُ عَلَيْهِ وَلَعَنَهُ وَأَعَدَّ لَهُ عَذَابًا عَظِيمًا. (سورة النساء: 93
औरजो व्यक्ति जान-बूझकर किसी मूमिन की हत्या करे, तो उसका बदला जहन्नम है, जिस में वह हमेशा रहेगा; उस पर अल्लाह का प्रकोप और उसकी फिटकार है और उस के लिएअल्लाह ने बड़ी यातना तैयार कर रखी है। (सूरह अन्निसाः 93)
बल्कि जो लोग ना हक्क किसी की हत्या करेगा और दुसरे अपराध भी जिस से अल्लाह और उस के रसूल (सल्ल) ने मना किया है, वह कार्य करेगा, तो ऐसे लोगों को दुगना तीनगुन्ना यातनाओं में ग्रस्त किया जाएगा और उनका कोई सहायक न होगा। जैसा कि अल्लाह ने खबरदार किया है।
وَالَّذِينَ لَا يَدْعُونَ مَعَ اللَّـهِ إِلَـٰهًا آخَرَ وَلَا يَقْتُلُونَ النَّفْسَ الَّتِي حَرَّمَ اللَّـهُ إِلَّا بِالْحَقِّ وَلَا يَزْنُونَ ۚ وَمَن يَفْعَلْ ذَٰلِكَ يَلْقَ أَثَامًا- يُضَاعَفْ لَهُ الْعَذَابُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَيَخْلُدْ فِيهِ مُهَانًا. (سورة الفرقان: 69
और जोअल्लाह के साथ किसी दूसरे इष्ट-पूज्य को नहीं पुकारते हैं और नाहक़ किसी जीवको जिस (के क़त्ल) को अल्लाह ने हराम किया है, क़त्ल नहीं करते हैं। और न वेव्यभिचार करते है-जो कोई यह काम करे तो वह गुनाह के वबाल से दोचार होगा-क़ियामत के दिन उसकी यातना बढ़ती चली जाएगी और वह उसी में अपमानित होकर स्थायी रूप से पड़ा रहेगा। (सूरह अलफुर्क़ानः 69)
इसी प्रकार नबी (सल्ल) ने भी किसी मूमिन की ना हक्क हत्या में शामिल सब लोगों को जहन्नम में दाखिल किये जाने की सूचना दी है। रसूल (सल्ल) का फरमान हैः
لوأنَّ أَهلَ السَّماءِ وأَهلَ الأرضِ اشترَكوافي دمِ مؤمنٍ لأَكبَّهمُ اللَّهُ في النَّارِ. (صحيح الترغيب: 2442 وصحيح الترمذي: 1398
अबू सईद अल्खुदरी से वर्णन है कि रसूल (सल्ल) ने फरमायाः यदि किसी एक मूमिन की ना हक्क हत्या में धरती वाले और आकाश वाले भागीदार हों तो अल्लाह उन सब को मुख के बल घसीटते हुए जहन्नम में दाखिल करेगा। (सही अत्तरगीबः 2442 व सही अत्तिरमिज़ीः 1398)
मुसलमान या गैर मुस्लिम सब का ना हक्क हत्या करना महा पाप है। इस अपराध के दोषी व्यक्ति को अल्लाह जन्नत में दाखिल नहीं करेगा। नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सर्व मानव को सूचित कर दिया है। रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का फरमान है।
من قتل نفسًا معاهدًا لم يَرَحْ رائحةَ الجنةِ، وإنَّ رِيحَها ليُوجدُ من مسيرةِ أربعين عامًا. (صحيح البخاري: 691
जिस ने किसी शान्ति प्रिय व्यक्ति की हत्या किया तो वह जन्नत की सुगंध नहीं पाएगा, अगर्चे कि जन्नत की सुगंध चालिस वर्ष की दूरी से पहले ही प्राप्त होती है। (बुखारीः 6914)
और (तर्गीब व तर्हीबः78/4) की सही रिवायत में है कि जिस ने किसी शान्ति प्रिय व्यक्ति की ना हक्क हत्या किया तो वह जन्नत की सुगंध नहीं पाएगा अगर्चे कि जन्नत की सुगंध सौ वर्ष की दूरी से पूर्व ही आती है।
गोया कि इस्लाम मानव प्राण की सुरक्षा की ओर सही मार्गदर्शन करता है और हत्यारे को दुनिया तथा आखिरत में सख्त यातना में ग्रस्त करने का आदेश देता है। ताकि मानव की सुरक्षा की जा सके।