दिखलावा और रिया कारी करना
दिखलावा भी महा पापों में से है। जैसे कि कोई भी नके कार्य अल्लाह की खुशी के लिए न किया जाए बल्कि लोगों को दिखलाने के लिए किया जाए, या अल्लाह के साथ साथ लोगों की खुशी का इरादा किया जाए। जिस में बहुत से लोग अज्ञानता के कारण लिप्त हैं। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने हृदय में उत्पन्न होने वाले विचार और नियत के प्रति फरमायाः उमर बिन खत्ताब (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णन है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः” निःसंदेह कर्मों संकल्प (हृदय की ईच्छा) पर आधारित है और प्रति व्यक्ति के संकल्प के आधार पर अच्छे या बुरे कर्मों का बदला मिलेगा। तो जो अल्लाह और रसूल के लिए अपने घर बार को छोड़ कर दुसरे गाँव में बसगए, तो उस का घर बार छोड़ना अल्लाह के लिए हुआ और जो दुनिया को पाने या किसी स्त्री से विवाह के लिए (हिजरत किया) घर बार छोड़ा, तो उस का घर बार छोड़ना दुन्यावी लक्ष्य के लिए हुआ” (सही बुखारीः 1)
इस हदीस में कई उपदेश हैं। प्रत्येक मुस्लिम किसी भी कर्म के करने से पहले सर्व प्रथम अपने नियत को स्वयं अल्लाह के लिए निः स्वार्थ कर ले। कोई भी नेक कार्य केवल अल्लाह की प्रसन्नता के लिए करे। लोगों को खुश करने या दुनिया के किसी लाभ को प्राप्त करने का लक्ष्य न रखे, किसी मानव को खुश करने का इरादा न हो। क्यों कि यदि ह कोइ व्यक्ति अपने किसी भी कार्य में दुनिया पाने या अल्लाह के अलवा को खुश करने का लक्ष्य रखेगा तो अल्लाह नाखुश होगा और वह कार्य अकारथ जाएगा, अल्लाह उस कार्य को स्वीकार नहीं करेगा बल्कि सवाब के बजाए उसे डंडित करेगा। जैसा कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इस से डराया है।
إنَّ أخوَفَ ما أخافُ عليكم الشِّركُ الأصغرُ، قالوا: وما الشِّركُ الأصغرُ؟ قال الرِّياءُ، يقولُ اللهُ عزَّ وجلَّ لأصحابِ ذلك يومَ القيامةِ إذا جازَى النَّاسَ:اذهبوا إلى الَّذين كنتم تُرائون في الدُّنيا فانظُروا هل تجِدون عندهم جزاءً ؟. ( السلسلة الصحيحة، الشيخ الألباني: 951
बेशक मैं सब से अधिक तुम पर छोटे शिर्क से डरता हूँ। लोगों ने प्रश्न किया कि छोटा शिर्क क्या है ?, तो आप ने फरमायाः दिखलावा, रिया कारी, अल्लाह तआला क़ियामत के दिन लोगों को बदला देते समय दिखलावा करने वालों से कहेगा, तुम लोग अपना बदला उन लोगों से हासिल करो जिसे तुम दुनिया में दिखलाने के लिए नेक कर्म करते थे। क्या तुम उनके पास बदला पाते हो। (सिल्सिला अस्सहीहाः शैख अलबानीः 951)
अल्लाह तआला ने भी लोगों को दिखलाने के लिए नमाज़ तथा नेक कर्म करने वालों को सावधान रहने की चेतावनी दे दी है।
فَوَيْلٌ لِّلْمُصَلِّينَ-الَّذِينَ هُمْ عَن صَلَاتِهِمْ سَاهُونَ-الَّذِينَ هُمْ يُرَاءُونَ-وَيَمْنَعُونَ الْمَاعُونَ. (سورة الماعون: 7
अतः तबाही है उन नमाज़ियों के लिए,- जो अपनी नमाज़ से ग़ाफिल (असावधान) हैं,-जो दिखावे के लिए कार्य करते हैं,-और साधारण प्रयोग की चीज़ भी किसी को नहीं देते। (सूरह माऊनः 4-7)
इसी प्रकार जो लोग दिखलावा के लिए किसी पर खर्च करते हैं, या केवल दिखलावा के लिए सद्का और खैरात करते हैं। तो ऐसे लोगों का नेक कार्य अल्लाह के स्वीकारित नहीं है। जैसा कि अल्लाह तआला ने घोषणा किया है।
وَالَّذِينَ يُنفِقُونَ أَمْوَالَهُمْ رِئَاءَ النَّاسِ وَلَا يُؤْمِنُونَ بِاللَّـهِ وَلَا بِالْيَوْمِ الْآخِرِ ۗ وَمَن يَكُنِ الشَّيْطَانُ لَهُ قَرِينًا فَسَاءَ قَرِينًا- سورة النساء: 38
जो अपने माल लोगों को दिखाने के लिए ख़र्च करते है, न अल्लाह पर ईमान रखतेहै, न अन्तिम दिन पर, और जिस किसी का साथी शैतान हुआ, तो वह बहुत ही बुरासाथी है। (सूरह अन्निसाः 38)
रेयाकारी और दिखलावे के लिए कोई भी कार्य करना छोटे शिर्क की सूची में से है। छोटे शिर्क में लिप्त व्यक्ति इस्लामकी सीमा से बाहर नहीं होता परन्तु छोटा शिर्क मानव को धीरे धीरे बड़े शिर्क की ओर ले जाता है और छोटा शिर्क भी बड़े पापों में से शुमार होता है।