मुलाक़ात के शिष्टाचार

(1)     जब किसी से मिलें तो अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुहु कहें। यह सांसारिक और पारलौ ...

खानपान के शिष्टाचार

खानपान अल्लाह के महान उपकारों में से एक है जिसका सेवन करके मानव इस दुनिया में जीवित है। अल्लाह ...

पवित्रता के शिष्टाचार

इस्लाम ने जीवन के विभिन्न विभागों सम्बन्धित आदेश दी है जिसमें से एक शिष्टाचार भी है। इस्लाम ने ...

भाग्य (क़िस्मत) के अच्छे या बुरे पर ईमान

(6)   ईमान का छठा स्तम्भः   भाग्य (क़िस्मत) के अच्छे या बुरे पर ईमान है। भाग्य का अर्थात यह कि ...

नव मुस्लिम हेतू 8 उपदेश

हर नव-मुस्लिम के लिए इस्लाम स्वीकार करने के बाद निम्नलिखित 8 उपदेशों पर ध्यान देना अति आवश्यक ह ...

माता पिता पर संतान के अधिकार

विवाह के साथ पुरूष और महिला से मिलकर एक परिवार का निर्माण होता है और जब दोनों के प्रेम का फल बच ...

ज़कात और उसके लाभ

  ज़कात इस्लाम के अनिवार्य कार्य में से एक कार्य है और इस्लाम के पांच स्तम्भों में से एक स्तम्भ ...

इस्लाम के स्तम्भ

इस्लाम शब्द का अर्थ होता है ‘सुपुर्दगी, आत्मसमर्पण, अम्नों शान्ति, सुरक्षित आदि अर्थात अपने आपक ...

इस्लाम में महिला का स्थान

नारी पर प्रतिकाल में अत्याचार हुआ है। यूनानियों ने उसे शैतान की बेटी, सुक्रात ने उसे हर प्रकार ...

क़ब्र की नेमतें या उसकी सज़ाएं

जब लोग शव को धर्ती में गाड़ कर आनेलगते हैं और चालिस कदम दूर आजाते हैं तो दो फरिशेते उस के पास आ ...

मृत्यु के समय एक इनसान की स्थिति

हर मानव जीवन के तीन महत्पूर्ण दर्जे से गुज़रेगा। पहला दर्जाः लौकिक जीवन, अर्थात, संसारिक जीवन ज ...

आखिरत के दिन पर विश्वास

संसारिक जीवन के समाप्त होने के बाद पारलोकिक जीवन में प्रवेश होने पर पुख्ता और कठोर आस्था रखना ह ...

माता-पिता के हुक़ूक़

प्रेम एक विचित्र मनोभाव है। इसी मनोभाव के कारण मनुष्य मुश्किल से मुश्किल काम को सरलतापूर्वक कर ...

मैं ने इस्लाम क्यों क़ुबूल किया ?

अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत दयावान और अत्यन्त कृपालु है। मेरा नाम इबराहीम (पुर्व नाम ...

अल्लाह के भेजे हुए नबियों पर विश्वास

   ईमान का चौथा स्तम्भः अल्लाह के भेजे हुए नबियों पर विश्वास तथा ईमान है। अल्लाह तआला ने अपने क ...

अल्लाह की अवतरित की हुई पुस्तकों पर विश्वास

ईमान का तीसरा स्तम्भः अल्लाह की अवतरित पुस्तकों पर विश्वास तथा ईमान है। अल्लाह ने अपने बन्दों क ...

महापाप (बड़े गुनाह) क्या हैं ?

महापाप (बड़े गुनाह) प्रत्येक वह कार्य जिस का पाप बहुत ज़्यादा हो और पाप और गुनाह के कारण उसकी ग ...

इस्लाम स्वीकार करने के बाद का अनुभव

रिज़वान भाई के इस्लाम स्वीकार करने के दो महीने बाद मैं ने उन से प्रश्न किया ? अब आप इस्लाम स्वी ...

आत्म-हत्या की बढ़ती हुई मानसिकता और उसका समाधान

इस समय दुर्भाग्य से पूरी दुनिया में आत्म-हत्या का रुजहान बढ़ता जा रहा है। पश्चिमी देशों में साम ...

हदीस का परिचय (1)

पवित्र क़ुरआन के बाद मुसलमानों के पास इस्लाम का दूसरा शास्त्र अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्ल. की क ...