जादू सत्य है और एक खुली वास्तिवक्ता है। जिस का कुछ अकलानी लोग इन्कार करते हैं। जब कि जादू की वास्तविक्ता क़ुरआन और हदीस और समाज में घटित घटनाओं से प्रमाणित है। जादू को अल्लाह ने परिक्षा के तौर पर फरिशतों के माध्यम से उतार है और फरिश्ते जादू सिखाने से पहले ही जादू की खराबी स्पष्ट कर देते थे। इसी प्रकार मूसा (अलैहिस्सलाम) और फिरओन और जादूगरों के किस्से विस्तार से अल्लाह तआला ने बयान किया है। जादू एक वास्तविक्ता है परन्तु जादू और जादूगरों को सफलता नहीं मिलती और जादू सीखना और सिखाना महा पापों में है। बल्कि जादू सीखना और सिखाना वह कार्य है जिस के कारण मानव इस्लाम से खारिज हो जाता है।
जैसा कि अल्लाह तआला ने सुलैमान(अलैहिस्सलाम) के किस्से के तहत सुलैमान(अलैहिस्सलाम) के प्रति यहूदियों की बात का खंडन करते हुए कहाः
وَمَا كَفَرَ سُلَيْمَانُ وَلَـٰكِنَّ الشَّيَاطِينَ كَفَرُوا يُعَلِّمُونَ النَّاسَ السِّحْرَ وَمَا أُنزِلَ عَلَى الْمَلَكَيْنِ بِبَابِلَ هَارُوتَ وَمَارُوتَ ۚ وَمَا يُعَلِّمَانِ مِنْ أَحَدٍ حَتَّىٰ يَقُولَا إِنَّمَا نَحْنُ فِتْنَةٌ فَلَا تَكْفُرْ ۖ فَيَتَعَلَّمُونَ مِنْهُمَا مَا يُفَرِّقُونَ بِهِ بَيْنَ الْمَرْءِ وَزَوْجِهِ ۚ وَمَا هُم بِضَارِّينَ بِهِ مِنْ أَحَدٍ إِلَّا بِإِذْنِ اللَّـهِ ۚ وَيَتَعَلَّمُونَ مَا يَضُرُّهُمْ وَلَا يَنفَعُهُمْ ۚ وَلَقَدْ عَلِمُوا لَمَنِ اشْتَرَاهُ مَا لَهُ فِي الْآخِرَةِ مِنْ خَلَاقٍ ۚ وَلَبِئْسَ مَا شَرَوْا بِهِ أَنفُسَهُمْ ۚ لَوْ كَانُوا يَعْلَمُونَ. (سورة البقرة: 102
हालाँकिसुलैमान ने कोई कुफ़्र नहीं किया था, बल्कि कुफ़्र तो शैतानों ने किया था; वे लोगों को जादू सिखाते थे – और उस चीज़ में पड़ गए जो बाबिल में दोनोंफ़रिश्तों हारूत और मारूत पर उतारी गई थी। और वे किसी को भी (जादू) सिखाते न थे जबतक कि कह न देते,” हम तो बस एक परिक्षा है; तो तुम कुफ़्र में न पड़ना।”तो लोग उन दोनों से वह कुछ सीखते हैं, जिसके द्वारा पति और पत्नी में अलगावपैदा कर दे-यद्यपि वे उससे किसी को भी हानि नहीं पहुँचा सकते थे। हाँ, यहऔर बात है कि अल्लाह के हुक्म से किसी को हानि पहुँचनेवाली ही हो- और वहकुछ सीखते है, जो उन्हें हानि ही पहुँचाए और उन्हें कोई लाभ न पहुँचाए। औरउन्हें भली-भाँति मालूम है कि जो उसका ग्राहक बना, उसका आखिरत में कोईहिस्सा नहीं। कितनी बुरी चीज़ के बदले उन्हों ने प्राणों का सौदा किया, यदिवे जानते (तो ठीक मार्ग अपनाते)। (सूरह अल बकराः 102)
जादूगर अपने जादू , तलिस्मों और शैतानों पर विश्वास करता है और अल्लाह पर भरोसा नहीं करता है। तो वह अल्लाह के साथ कुफ्र करता है और अपने जादू के माध्यम से दुसरे मासूम लोगों को अत्यन्त नुकसान पहुंचाता है और लोगों का माल नाहक तरीके से खाता है। इसी लिए इस्लाम ने जादूगरों को क़त्ल करने का आदेश दिया है। रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)का फरमान है।
حدُّالساحرِضربةٌبالسيفَ. (الجامع الصغير: 3688
जादूगर की सजा क़त्ल है। (अल्जामिअ अस्सगीरः 3688)
उमर बिन खत्ताब (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने अपने गवर्नरों को सरकारी चिट्ठी लिखा कि जादूगरों को क़त्ल किया जाए। तो उनके गवर्नरों ने उमर बिन खत्ताब (रज़ियल्लाहु अन्हु) के आदेश का पालन करते हुए तीन जादूगरों को क़त्ल किया जैसा कि वाकिया सही हदीस में प्रमाणित है। (सुनन अबू दाऊदः हदीस क्रमांकः 3043)
जादूगरों के धोखे और लोगों को नुक्सान पहुंचाने के कारण और अल्लाह के साथ कुफ्र करने और शैतान की इबादत के कारण जादूगरों की बात को सच्च और सत्य मानना भी बहुत बड़ा पाप है और ऐसे लोग भी जन्नत में दाखिल नहीं होंगे। जैसा कि रसूल(सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम)ने सुचित किया है।
ثلاثةٌلايدخلونالجنَّةَ: مُدمنُالخمرِ ، وقاطعُالرَّحِمِ ، ومُصدِّقٌ بالسِّحرِ. (صحيح الترغيب :الألباني:2539
अबू मूसा अशअरी (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि रसूल का फरमान हैः तीन प्रकार के व्यक्ति जन्नत में दाखिल नहीं होंगे, बहुत मदिरा सेवन करने वाला, रिश्ते नाता तोड़ने वाला, और जादूगरों की जादूगरी को सच्च मानने वाल। (सही अत्तरगीब वत्तरहीबः अल्लामा अलबानीः 2539)
जो लोग भी जादूगरों के पास जाते हैं ताकि किसी दुसरे भाई को नुकसान पहुंचाए और इसके लिए अपना रूपिया खर्च करते हैं तो गोया कि वह कई प्रकार के महा पाप में लिप्त होते हैं। रूपिये पैसे से अपने लिए पाप खरीदते हैं।